Important Questions ईंटें मनके तथा अस्थियां || Class 12 Social Science (History) Chapter 1 in Hindi ||

Class 12 History Book 1 Chapter 1 in hindi
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पाठ – 1

Important Questions

ईंटें मनके तथा अस्थियां

In this post we have mentioned all the important questions of class 12 (History) chapter 1 in Hindi

इस पोस्ट में क्लास 12 के इतिहास के पाठ 1 ईंटे मनके तथा अस्थियां  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं इतिहास विषय पढ़ रहे है।

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ईंटे, मनके तथा अस्ठियाँ Part – 1 (2021 – 22) || Class 12 History Ch – 1 in Hindi || By Rohit Sir

Chapter 1 

ईंटें मनके तथा अस्थियां

Important Questions 

 

उत्तर  1

  • 1921 में जॉन मार्शल के नेतृत्व में दयाराम साहनी द्वारा इसकी खोज की गई

उत्तर  2. 

  • हड़प्पा सभ्यता में सड़कों तथा गलियों को लगभग एक ग्रिड पद्धति पर बनाया गया था और ये      

    एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।

  • जल निकास प्रणाली अनूठी थी। घरों के गंदे पानी की नालियों को गली की नालियों से जोड़ा गया था। नालियाँ पक्की ईंटों से बनाई गयी थीं।

उत्तर  3

  • जॉन मार्शल सर्वेयर जनरल थे जिनके नेतृत्व में हड़प्पा सभ्यता की खोज की थी

उत्तर  4. 

  • श्रेणी का प्रयोग व्यापारियों के संगठन 

उत्तर  5

  • लिपि में 250-400 अक्षर यह लिपि छोटे- छोटे समूहों में अभिलेख के रूप में मिलि है

उत्तर  6

  • नहरें, कुँए, जलाशय और नदियाँ

उत्तर  7. 

  • फयॉन्स एक चिपचिपा प्रकार का पदार्थ होता हैऐसे जटिल तरीकों से बनाया जाता था

उत्तर  8. 

  • मेसोपोटामिया और पश्चिमी एशिया के कई देश

उत्तर  9

  • मातृ शक्ति की पूजा

उत्तर  10.

  • हड़प्पा मोहनजोदड़ो  कालीबंगा लोथल धोलावीरा

उत्तर  11. 

  • दुर्ग और निचला 

प्रश्न 12 : हड़प्पाई लिपि को एक रहस्यमय लिपि क्यों कहा गया है? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर  : हड़प्पा की लिपि एक चित्रात्मक लिपि थी इसमें लगभग 375 से 400 के बीच चिन्ह थे इसे दाएं से बाएं लिखा जाता था इस लिपि को आज· तक पढ़ा नहीं जा सका है इसीलिए इसे रहस्यमय लिपि कहा जाता है।

3 अंक वाला प्रश्न

प्रश्न 1 :हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन के दौरान मार्शल और कनिंघम के द्वारा अपनाई गई तकनीक में क्या अंतर था?

उत्तर :इसके पहले डायरेक्टर अलेक्जेंडर कनिंघम थे o उन्हें भारतीय इतिहास का जनक कहा जाता है  दूसरे जॉन मार्शल जनरल डायरेक्टर बने जॉन मार्शल के नेतृत्व में 1921 में दयाराम साहनी द्वारा हड़प्पा सभ्यता की खोज की गई

प्रश्न 2 : हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थों की सूची बनाये? चर्चा करे कि इन पदार्थों को कैसे प्राप्त किया जाता था?

उत्तर 

    • मनको को कार्नेलियन (लाल रंग का सुंदर पत्थर), जैस्पर, सेलखड़ी, स्फटिक आदि से बनाया
    • जाता था कुछ मनको को दो या दो से अधिक पदार्थों को आपस में मिलाकर भी बनाया जाता था 
    • मनको का आकार चक्राकार, गोलाकार, बेलनाकार, खंडित आदि होता था ऊपर से चित्रकारी 
    • द्वारा सजावट की जाती थी पत्थर के प्रकार के अनुसार मनके बनाने की विधि में परिवर्तन आता था
  • अन्य क्षेत्रों से मंगवाया जाने वाला कच्चा माल
    • नागेश्वर और बालाकोट से शंख
    • लोथल से कार्नेलियन पत्थर
    • राजस्थान और उत्तर गुजरात से सेलखड़ी
    • राजस्थान के खेतरी से तांबा

प्रश्न 3 :  मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?

उत्तर  : दुर्ग पर बहुत बड़े-बड़े स्नानागार के अवशेष मिले हैं इनका आकार 12 मी. लंबा, 7 मी. चौड़ा और लगभग 2.4 मी. गहरा था इसके चारों और बरामदे होते थे स्नानागार को भरने के लिए कुओं का प्रबंध था ऐसा माना जाता है कि इनका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों के लिए या विशेष अवसरों पर नहाने के लिए किया जाता था जलाशयों में तल तक जाने के लिए उत्तरी और दक्षिणी और से सीढ़ियां भी बनाई गई थी इन सभी जलाशयों को मुख्य नालियों से जोड़ा जाता था।

प्रश्न 4 : हड़प्पा निवासियों की आर्थिक गतिविधियों पर प्रकाश डालें?

उत्तर : हड़प्पा सभ्यता के लोग मुख्य रूप से गेहूं, जौ, दाल, बाजरा, सफेद चना आदि उगाते थे सिंचाई के लिए नहरों एवं कुओं का प्रयोग करते थे हड़प्पा की मोहरों में वृषभ बैल की जानकारी मिलती है इससे अनुमान लगाया गया कि हड़प्पा के लोग खेत जोतने के लिए बैल का प्रयोग किया करते थे कई जगहों पर हल के प्रतिरूप भी मिले हैं जिनसे यह पता चलता है कि खेतों में हल के द्वारा जुताई की जाती थी कालीबंगन और राजस्थान में जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं जिन्हें देखकर लगता है कि एक साथ दो अलग-अलग फसलें उगाई जाती थी हड़प्पा सभ्यता के लोग लकड़ी और पत्थर से बने औजारों का प्रयोग फसल की कटाई के लिए किया करते थे 

 प्रश्न 5 : हड़प्पाई समाज में सामाजिक आर्थिक भिन्नताओं का अवलोकन करने के लिए पुरातत्वविद किस  विधियों का प्रयोग करते थे?हड़प्पा वासियों के धार्मिक विश्वासों की जानकारी प्राप्त करने में, वहां से प्राप्त मोहरे किस प्रकार सहायक होती हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर  : मोहर और मुंद्राकन का प्रयोग भेजी गई वस्तुओं की सुरक्षा के लिए किया जाता ।

      • उदाहरण के लिए अगर कोई सामान एक थैले में डालकर कहीं दूर भेजा जाता था तो उसके मुंह को रस्सी से बांध दिया जाता था और उस रस्सी पर गीली मिट्टी लगाकर उस पर मोहर की छाप लगाई जाती थी अगर उस मोहर की छाप में कोई परिवर्तन आए तो यह दर्शाता था की सामान के साथ छेड़छाड़ की गई है साथ ही साथ इससे भेजे जाने वाले की पहचान का पता भी चलता था कुछ मोहरों में अनुष्ठान के दृश्य मिले हैं मोहरो पर पेड़ पौधों को भी पाया गया है आभूषणों से लदी हुई एक नारी की मूर्ति मिली है जिसे मात्र देवी कहा जाता था 

प्रश्न 6 :  पुरातत्वविद शिल्प उत्पादन केंद्रों की पहचान कैसे करते हैं?

उत्तर :शिल्पकला के अंदर आभूषण, मूर्तियां, औजार बनाना आदि को शामिल किया जाता है हड़प्पा में मुख्य रूप से मनके, मुहर, बाट बनाए जाते थे, शंख की कटाई की जाती थी और धातु कार्य किए जाते थे हड़प्पा सभ्यता का मुख्य शिल्प उत्पादन केंद्र चन्हुदड़ो, लोथल था और हाल ही में धौलावीरा में छेद करने का औजार मिला हैं।

प्रश्न 7 : जनरल कनिंघम कौन थे? वह किस प्रकार हड़प्पा के महत्व को समझने में चूक गए?

उत्तर : सन 1861 में कोलकाता में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की गई पुरातत्व विभाग वह संस्था है जो एक देश के इतिहास से संबंधित जानकारियों की जांच करता है इसके पहले डायरेक्टर एलेग्जेंडर कनिंघम थे इन्हें ही भारतीय इतिहास का जनक कहा जाता है उन्हें लगा कि हड़प्पा सभ्यता कोई बड़ी सभ्यता नहीं बल्कि छोटी सी सभ्यता है हड़प्पा की मोहरो को समझने में असफल रहे हड़प्पा का काल निर्धारण करने में असफल रहे, उन्होंने हड़प्पा अवशेषों को वैदिक काल से जोड़ कर देखा जबकि वह उससे भी पुराने थे उन्होंने केवल लिखित प्रमाणों पर विश्वास किया जिस वजह से वह गलती कर बैठे

प्रश्न 8 : हड़प्पा सभ्यता की ‘जल निकास प्रणाली’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?

 उत्तर : जल निकास प्रणाली

      • नियोजित ढंग से नालीयों एवं गलियों का निर्माण किया गया था
      • नालियों के निर्माण के लिए जिप्सम के गारे का प्रयोग किया जाता था
      • नालियों को ईटों से ढका जाता था ताकि कूड़ा करकट से बचाया जा सके
      • वर्षा जल निकास के लिए विशेष प्रबंध किए गए।

प्रश्न 10 : हड़प्पा सभ्यता के अंत के लिए कौन से कारण उत्तरदाई थे?

उत्तर :    ऐसा माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता का अंत किसी प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ जैसे कि

      • भूकंप
      • सिंधु नदी का रास्ता बदलना
      • जलवायु परिवर्तन
      • वनों की कटाई
      • आर्यों का आक्रमण

प्रश्न 11 : मोहनजोदड़ो के आवासीय भवनों की विशिष्ट विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए?

उत्तर  : मोहनजोदड़ो में सफाई का विशेष ध्यान रखा गया था।

      • आंगन के चारों तरफ कमरों का निर्माण किया जाता था।
      • प्रत्येक घर की दीवार के बाहर एक नाली अवश्य होती थी।
      • हर घर में बड़े-बड़े आंगन होते थे।
      • हर घर में पक्की ईंटों का बना हुआ स्नानागार होता था।
      • घरों के अंदर कुए का निर्माण किया जाता था।
      • पानी की निकासी के लिए हर घर में नालियों का प्रबंध किया गया था।
      • इस आंगन का उपयोग खाना पकाने एवं अन्य कार्यों के लिए किया जाता था।
      • निचले कमरों में खिड़कियां नहीं होती थी और दरवाजे आंगन की तरफ खुलते थे।
      • स्नानागार की नालियां बाहर गलियों की नालियों से जुड़ी होती थी।
      • कई घरों में सीढ़ियां भी मिली है जिससे यह स्पष्ट होता है कि वहां मकान दो मंजिल के भी होते थे।
      • अकेले मोहनजोदड़ो में ही लगभग 700 अलग अलग कुए प्राप्त हुए

8 अंक वाले प्रश्न 

प्रश्न 1 शवाधान एवं विलासिता की वस्तुएँ हड़प्पा सभ्यता में व्याप्त सामाजिक विषमताओं को समझने का एक बेहतर स्रोत है। व्याख्या करें?

उत्तर  निमंखलिखित कारणों की वजह से शवाधान एवं विलासिता की वस्तुएँ हड़प्पा सभ्यता में व्याप्त सामाजिक विषमताओं को समझने का एक बेहतर स्रोत है।

  • शवाधान
        • यहाँ  पर अंतिम संस्कार व्यक्ति को दफनाकर किया जाता था
        • पाई गई कब्रों की बनावट एक दूसरे से अलग अलग है
        • कई कब्रों में ईंटों की चिनाई की गई है जबकि कई कब्रे सामान्य है
        • कब्रों में व्यक्तियों के साथ मिट्टी के बर्तन और आभूषण भी दफना दिए जाते थे क्योंकि शायद हड़प्पा के लोग पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे
        • कब्रों में से तांबे के दर्पण मनके और आभूषण आदि भी मिले हैं
        • सामाजिक और आर्थिक स्तिथि जानने  के लिए विलासिता की वस्तुएँ  एक महत्वपूर्ण  स्रोत है । 
        •  विलासिता की वस्तुओं को जानने के लिए पुरातात्विक दो भागों में विभाजित करते हैं 
        • रोजमर्रा की वस्तुएं 
        • रोजमर्रा वस्तुएं जैसे–चक्कियाँ, मृभांड, सूइयाँ, झाँवा आदि आती हैं। इन्हें पत्थर अथवा मिट्टी जैसे सामान्य पदार्थों से सरलतापूर्वक बनाया जा सकता था। इस प्रकार की वस्तुएँ सामान्यतः सभी हड़प्पाई पुरास्थलों से प्राप्त हुई हैं। 
        • विलासिता की वस्तुएं;  
        • विलासिता की वस्तुओं के अन्तर्गत वे महँगी अथवा दुर्लभ वस्तुएँ सम्मिलित थीं जिनका निर्माण स्थानीय स्तर पर अनुपलब्ध पदार्थों से अथवा जटिल तकनीकों द्वारा किया जाता था।
        • ऐसी वस्तुएँ मुख्य रूप से हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे महत्त्वपूर्ण नगरों से ही मिली हैं। 
        • ऐसा प्रतीत होता है कि हड़प्पाई समाज में विद्यमान विभिन्नताओं का प्रमुख आधार आर्थिक घटक ही रहे होंगे। 
        • उदाहरण के लिए, कालीबंगन में मिले साक्ष्य से पता लगता है कि पुरोहित दुर्ग के ऊपरी भाग में रहते थे और निचले भाग में स्थित अग्नि वेदिकाओं पर धार्मिक अनुष्ठान करते थे।
        • इस प्रकार पुरातत्त्वविद हड़प्पाई समाज की सामाजिक-आर्थिक भिन्नताओं का पता लगाने के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण बातों जैसे विभिन्न लोगों की सामाजिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, नगरों अथवा छोटी बस्तियों में निवास, खान-पान एवं रहन-सहन और शवाधानों से प्राप्त होने वाली बहुमूल्य अथवा सामान्य वस्तुओं आदि पर विशेष रूप से ध्यान देते हैं।

प्रश्न 2 हड़प्पा सभ्यता की नगर निर्माण योजना का विस्तार से वर्णन कीजिए?

        • यह हड़प्पा सभ्यता के सबसे मुख्य शहरों में से एक था
        • यह आधुनिक पाकिस्तान के लरकाना जिले में स्थित था
        • इसका क्षेत्रफल लगभग 125 हेक्टेयर था
        • मोहनजोदड़ो में नगर को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया था
        • दुर्ग
        • निचला

दुर्ग और निचला शहर

      • दुर्ग शहर

        • दुर्ग आकार में छोटा था
        • इसे ऊंचाई पर बनाया गया था
        • दुर्ग को चारों तरफ दीवार से घेरा गया था
        • यह दीवार ही इसे निचले शहर से अलग करती थी

          निचला शहर

          • निचला शहर आकार में दुर्ग से बड़ा था
          • यह सामान्य लोगों के लिए बनाया गया था
          • यहाँ  की मुख्य विशेषता इसकी जल निकासी प्रणाली थी

            दुर्ग शहर

          • माल गोदाम (अन्न गृह )
          • यह एक बड़े आकार का गोदाम होता था जिसमें अनाज को रखा जाता था 

प्रश्न 3 हड़प्पा सभ्यता की मुख्य देन या उपलब्धियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर हड़प्पा सभ्यता की मुख्य देन तथा उपलब्धियाँ निम्नलिखित है 

        • उन्नत नगर योजना
        • अद्भुत भवन निर्माण कला
        • जल निकास प्रणाली
        • जलाशयों का निर्माण
        • सार्वजनिक भवन
        • विशाल स्नानागार
        • अन्न भंडार गृह
        • सामाजिक जीवन
  • विशाल स्नानागार

        • दुर्ग पर बहुत बड़े-बड़े स्नानागार के अवशेष मिले हैं इनका आकार 12 मी. लंबा, 7 मी. चौड़ा और लगभग 2.4 मी. गहरा था
        • इसके चारों और बरामदे होते थे
        • स्नानागार को भरने के लिए कुओं का प्रबंध था
        • ऐसा माना जाता है कि इनका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों के लिए या विशेष अवसरों पर नहाने के लिए किया जाता था
        • जलाशयों में तल तक जाने के लिए उत्तरी और दक्षिणी और से सीढ़ियां भी बनाई गई थी
        • इन सभी जलाशयों को मुख्य नालियों से जोड़ा जाता था
  • निचला शहर

        • सड़कें
          • मोहनजोदड़ो में सड़के 4 से 10 मीटर तक चौड़ी थी
          • यहाँ  सड़के एक दूसरे को समकोण पर काटा करती थी
          • कई इतिहासकारों का कहना है कि सड़को को इस तरह से बनाया गया था ताकि वह हवा के जरिए अपने आप साफ हो जाए
        • जल निकास प्रणाली
          • नियोजित ढंग से नालीयों एवं गलियों का निर्माण किया गया था
          • नालियों के निर्माण के लिए जिप्सम के गारे का प्रयोग किया जाता था
          • नालियों को ईटों से ढका जाता था ताकि कूड़ा करकट से बचाया जा सके
          • वर्षा जल निकास के लिए विशेष प्रबंध किए गए
        • भवन निर्माण
          • मोहनजोदड़ो में सफाई का विशेष ध्यान रखा गया था
          • आंगन के चारों तरफ कमरों का निर्माण किया जाता था
          • प्रत्येक घर की दीवार के बाहर एक नाली अवश्य होती थी
          • हर घर में बड़े-बड़े आंगन होते थे
          • हर घर में पक्की ईंटों का बना हुआ स्नानागार होता था
          • घरों के अंदर कुए का निर्माण किया जाता था
          • पानी की निकासी के लिए हर घर में नालियों का प्रबंध किया गया था
          • इस आंगन का उपयोग खाना पकाने एवं अन्य कार्यों के लिए किया जाता था
          • निचले कमरों में खिड़कियां नहीं होती थी और दरवाजे आंगन की तरफ खुलते थे
          • स्नानागार की नालियां बाहर गलियों की नालियों से जुड़ी होती थी
          • कई घरों में सीढ़ियां भी मिली है जिससे यह स्पष्ट होता है कि वहां मकान दो मंजिल के भी होते थे
          • अकेले मोहनजोदड़ो में ही लगभग 700 अलग अलग कुए प्राप्त हुए
        • अन्य विशेषताएं
          • यात्रियों के लिए सराय का निर्माण किया गया था
          • बर्तन पकाने की भट्टी को शहर से बाहर बनाया जाता था ताकि शहर में प्रदूषण ना हो
          • गलियों का निर्माण इस तरीके से किया गया था ताकि सूर्य की रोशनी कोने कोने तक जा सके
          • रात को सुरक्षा के लिए पहरेदार तैनात किए जाते थे
          • कूड़े को नगरों से बाहर गड्ढों में दबाया जाता था. 

प्रश्न 4 हड़प्पा संस्कृति की कृषि और कृषि प्रौद्योगिकी की मुख्य पक्ष कौन से थे?

उत्तर  4 

      • कृषि
        • हड़प्पा सभ्यता के लोग मुख्य रूप से गेहूं, जौ, दाल, बाजरा, सफेद चना आदि उगाते थे
        • सिंचाई के लिए नहरों एवं कुओं का प्रयोग करते थे
        • हड़प्पा की मोहरों में वृषभ बैल की जानकारी मिलती है इससे अनुमान लगाया गया कि हड़प्पा के लोग खेत जोतने के लिए बैल का प्रयोग किया करते थे
        • कई जगहों पर हल के प्रतिरूप भी मिले हैं जिनसे यह पता चलता है कि खेतों में हल के द्वारा जुताई की जाती थी
        • कालीबंगन और राजस्थान में जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं जिन्हें देखकर लगता है कि एक साथ दो अलग-अलग फसलें उगाई जाती थी
        • हड़प्पा सभ्यता के लोग लकड़ी और पत्थर से बने औजारों का प्रयोग फसल की कटाई के लिए किया करते थे
      •  पशुपालन
        • हड़प्पा स्थलों से मवेशी, भेड़, बकरी, भैंस तथा सूअर जैसे जानवरों की हड्डियां प्राप्त हुई है जिससे पता चलता है कि यह लोग इन जानवरों को पालते थे
      • शिकार
        • यहाँ  पर मछली, पक्षियों एवं जंगली जानवरों की हड्डियां भी मिली है जिनसे अनुमान लगाया गया है कि हड़प्पा के निवासी जानवरों का मांस खाया करते थे
        • सिन्धु और पंजाब में प्रतिवर्ष नदियों द्वारा लाइ गई उपजाऊ मिट्टी में कृषि कार्य अधिक श्रम-साध्य नहीं रहा होगा. 
        • इस नरम मिट्टी में कृषि के लिए शायद ताम्बे की पतली कुल्हाड़ियों को लकड़ी के हत्थे पर बाँध कर तत्कालीन किसान भूमि खोदते रहे होंगे.
        • मोहनजोदड़ो से पत्थर के तीन ऐसे उपकरण मिले हैं जिनके आकार-प्रकार और भारीपन से इनके शस्त्र के रूप में प्रयुक्त होने की संभावना कम लगती है.
        • इन्हें कुछ लापरवाही से निर्मित किया गया है. ऐसा सुझाव दिया जाता है कि ये हल के फाल थे. हल लकड़ी के रहे होंगे जो अब नष्ट हो गये हैं.

प्रश्न 5 सिंधु घाटी सभ्यता की आर्थिक व धार्मिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?

उत्तर  .सिंधु घाटी सभ्यता की आर्थिक व धार्मिक विशेषताएँ निम्नलिखित है। 

      • धार्मिक विशेषताएं 
        • ऐसा माना जाता है कि हड़प्पा के लोग प्रकृति की पूजा किया करते थे
        • कुछ मोहरों में अनुष्ठान के दृश्य मिले हैं
        • मोहरो पर पेड़ पौधों को भी पाया गया है
        • आभूषणों से लदी हुई एक नारी की मूर्ति मिली है जिसे मात्र देवी कहा जाता था
        • कालीबंगा और लोथल जैसे क्षेत्रों में विशाल स्नानागार मिले हैं जो सामूहिक स्नान के लिए उपयोग किए जाते थे
        • कुछ मोहरों में एक व्यक्ति को योग मुद्रा में बैठे दिखाया गया है
        • पत्थर को शिवलिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया है
        • ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू धर्म के मुख्य देवता शिव की आराधना किया करते थे
      •  आर्थिक विशेषताएं 
        • हड़प्पा सभ्यता के लोग मुख्य रूप से गेहूं, जौ, दाल, बाजरा, सफेद चना आदि उगाते थे
        • सिंचाई के लिए नहरों एवं कुओं का प्रयोग करते थे
        • हड़प्पा की मोहरों में वृषभ बैल की जानकारी मिलती है इससे अनुमान लगाया गया कि हड़प्पा के लोग खेत जोतने के लिए बैल का प्रयोग किया करते थे
        • कई जगहों पर हल के प्रतिरूप भी मिले हैं जिनसे यह पता चलता है कि खेतों में हल के द्वारा जुताई की जाती थी
      • पशुपालन
        • हड़प्पा स्थलों से मवेशी, भेड़, बकरी, भैंस तथा सूअर जैसे जानवरों की हड्डियां प्राप्त हुई है जिससे पता चलता है कि यह लोग इन जानवरों को पालते थे
      • शिकार
        • यहाँ  पर मछली, पक्षियों एवं जंगली जानवरों की हड्डियां भी मिली है जिनसे अनुमान लगाया गया है कि हड़प्पा के निवासी जानवरों का मांस खाया करते थे

प्रश्न 7 चर्चा कीजिए कि पुरातत्वविद किस प्रकार अतीत का पुनर्निर्माण करते हैं?

उत्तर  . पुरातत्विद निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर इतिहास का निर्माण करते है 

      • जीवन निर्वाह के तरीके 
      • पशुपालन वह शिकार 
      • सामाजिक आर्थिक भिन्नता की पहचान
      • शिल्प  केंद्र की पहचान 
      • परोक्ष तत्वों के आधार पर

 


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