काले मेघा पानी दे Important Questions || Class 12 Hindi (Aroh) Chapter 13 in Hindi ||

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पाठ – 13

काले मेघा पानी दे 

In this post we have mentioned all the important questions of class 12 Hindi (Aroh) chapter 13 काले मेघा पानी दे in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 12 के हिंदी (आरोह) के पाठ 13 काले मेघा पानी दे के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
Subjectहिंदी (आरोह)
Chapter no.Chapter 13
Chapter Nameकाले मेघा पानी दे
CategoryClass 12 Hindi (Aroh) Important Questions
MediumHindi
Class 12 Hindi (Aroh) Chapter 13 काले मेघा पानी दे Important Questions

Chapter 13 काले मेघा पानी दे

पाठ के साथ

प्रश्न.1. लोगों ने लड़कों की टोली की मेढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी? 

उत्तर: गाँव के कुछ लोगों को लड़कों के नंगे शरीर, उछल-कूद, शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ से चिढ़ थी। वे इसे अंधविश्वास मानते थे। इसी कारण वे इन लड़कों की टोली को मेढक-मंडली कहते थे। यह टोली स्वयं को ‘इंदर सेना’ कहकर बुलाती थी। ये बच्चे इकट्ठे होकर भगवान इंद्र से वर्षा करने की गुहार लगाते थे। बच्चों का मानना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक हैं तथा उसी के लिए लोगों से पानी माँगते हैं ताकि इंद्र बादलों के रूप में बरसकर सबको पानी दें।

प्रश्न 2. जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया? 

उत्तर: यद्यपि लेखक बच्चों की टोली पर पानी फेंके जाने के विरुद्ध था लेकिन उसकी जीजी (दीदी) इस बात को सही मानती है। वह कहती है कि यह अंधविश्वास नहीं है। यदि हम इस सेना को पानी नहीं देंगे तो इंदर हमें कैसे पानी देगा अर्थात् वर्षा करेगा। यदि परमात्मा से कुछ लेना है तो पहले उसे कुछ देना सीखो। तभी परमात्मा खुश होकर मनुष्यों की इच्छाएँ पूरी करता है।

प्रश्न 3. पानी दे, गुड़धानी दे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

उत्तर: गुड़धानी गुड़ व अनाज के मिश्रण से बने खाद्य पदार्थ को कहते हैं। बच्चे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग करते हैं। पानी से प्यास बुझती है, साथ ही अच्छी वर्षा से ईख व धान भी उत्पन्न होता है, यहाँ ‘गुड़धानी’ से अभिप्राय अनाज से है। गाँव की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होती है जो वर्षा पर निर्भर है। अच्छी वर्षा से अच्छी फसल होती है जिससे लोगों का पेट भरता है और चारों तरफ खुशहाली छा जाती है।

प्रश्न 4. गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है? 

उत्तर: इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात इसलिए मुखरित हुई है कि एक तो वर्षा नहीं हो रही। दूसरे जो थोड़ा बहुत पानी गगरी (घड़े) में बचा था। वह भी घड़े के टूटने से गिर गया। अब घड़े में भी कुछ पानी नहीं बचा। इसलिए बैल प्यासे रह गए। बैल तभी खेत-जोत सकेंगे जब उनकी प्यास बुझेगी। हे मेघा! इसलिए पानी बरसा ताकि बैलों और धरती दोनों की प्यास बुझ जाए! चारों ओर खुशी छा जाए।

प्रश्न 5. इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है? 

उत्तर: वर्षा न होने पर इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती है। इसका कारण यह है कि भारतीय जनमानस में गंगा, नदी को विशेष मान-सम्मान प्राप्त है। हर शुभ कार्य में गंगाजल का प्रयोग होता है। उसे ‘माँ’ का दर्जा मिला है। भारत के सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश में नदियों का बहुत महत्त्व है। देश के लगभग सभी प्रमुख बड़े नगर नदियों के किनारे बसे हुए हैं। इन्हीं के किनारे सभ्यता का विकास हुआ। अधिकतर धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र भी नदी-तट पर ही विकसित हुए हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी, बनारस, आगरा आदि शहर नदियों के तट पर बसे हैं। धर्म से भी नदियों का प्रत्यक्ष संबंध है। नदियों के किनारों पर मेले लगते हैं। नदियों को मोक्षदायिनी माना जाता है।

प्रश्न 6. रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुधि की शक्ति को कमज़ोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

उत्तर: लेखक का अपनी जीजी के प्रति गहरा प्यार था। वह अपनी जीजी को बहुत मानता था। दोनों में भावनात्मक संबंध बहुत गहरा था। लेखक जिस परंपरा कां या अंधविश्वास का विरोध करता है जीजी उसी का भरपूर समर्थन करती है। धीरे-धीरे लेखक और उसकी जीजी के बीच की भावनात्मक शक्ति बँटती चली जाती हैं। लेखक का विश्वास डगमगाने लगता है। वह कहता भी है कि मेरे विश्वास का किला ढहने लगा था। उसकी जीजी लेखक की बुधि शक्ति को भावनात्मक रिश्तों से कमजोर कर देती है। इसलिए लेखक चाहकर भी किसी बात का विरोध नहीं कर पाता । यद्यपि वह विरोध जताने का प्रयास करता है लेकिन अंत में उसे जीजी के आगे समर्पण करना पड़ता है।

पाठ के साथ

प्रश्न.1. लोगों ने लड़कों की टोली की मेढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी? 

उत्तर: गाँव के कुछ लोगों को लड़कों के नंगे शरीर, उछल-कूद, शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ से चिढ़ थी। वे इसे अंधविश्वास मानते थे। इसी कारण वे इन लड़कों की टोली को मेढक-मंडली कहते थे। यह टोली स्वयं को ‘इंदर सेना’ कहकर बुलाती थी। ये बच्चे इकट्ठे होकर भगवान इंद्र से वर्षा करने की गुहार लगाते थे। बच्चों का मानना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक हैं तथा उसी के लिए लोगों से पानी माँगते हैं ताकि इंद्र बादलों के रूप में बरसकर सबको पानी दें।

प्रश्न 2. जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

उत्तर: यद्यपि लेखक बच्चों की टोली पर पानी फेंके जाने के विरुद्ध था लेकिन उसकी जीजी (दीदी) इस बात को सही मानती है। वह कहती है कि यह अंधविश्वास नहीं है। यदि हम इस सेना को पानी नहीं देंगे तो इंदर हमें कैसे पानी देगा अर्थात् वर्षा करेगा। यदि परमात्मा से कुछ लेना है तो पहले उसे कुछ देना सीखो। तभी परमात्मा खुश होकर मनुष्यों की इच्छाएँ पूरी करता है।

प्रश्न 3. पानी दे, गुड़धानी दे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

उत्तर: गुड़धानी गुड़ व अनाज के मिश्रण से बने खाद्य पदार्थ को कहते हैं। बच्चे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग करते हैं। पानी से प्यास बुझती है, साथ ही अच्छी वर्षा से ईख व धान भी उत्पन्न होता है, यहाँ ‘गुड़धानी’ से अभिप्राय अनाज से है। गाँव की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होती है जो वर्षा पर निर्भर है। अच्छी वर्षा से अच्छी फसल होती है जिससे लोगों का पेट भरता है और चारों तरफ खुशहाली छा जाती है।

प्रश्न 4. गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है? 

उत्तर: इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात इसलिए मुखरित हुई है कि एक तो वर्षा नहीं हो रही। दूसरे जो थोड़ा बहुत पानी गगरी (घड़े) में बचा था। वह भी घड़े के टूटने से गिर गया। अब घड़े में भी कुछ पानी नहीं बचा। इसलिए बैल प्यासे रह गए। बैल तभी खेत-जोत सकेंगे जब उनकी प्यास बुझेगी। हे मेघा! इसलिए पानी बरसा ताकि बैलों और धरती दोनों की प्यास बुझ जाए! चारों ओर खुशी छा जाए।

प्रश्न 5. इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है? 

उत्तर: वर्षा न होने पर इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती है। इसका कारण यह है कि भारतीय जनमानस में गंगा, नदी को विशेष मान-सम्मान प्राप्त है। हर शुभ कार्य में गंगाजल का प्रयोग होता है। उसे ‘माँ’ का दर्जा मिला है। भारत के सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश में नदियों का बहुत महत्त्व है। देश के लगभग सभी प्रमुख बड़े नगर नदियों के किनारे बसे हुए हैं। इन्हीं के किनारे सभ्यता का विकास हुआ। अधिकतर धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र भी नदी-तट पर ही विकसित हुए हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी, बनारस, आगरा आदि शहर नदियों के तट पर बसे हैं। धर्म से भी नदियों का प्रत्यक्ष संबंध है। नदियों के किनारों पर मेले लगते हैं। नदियों को मोक्षदायिनी माना जाता है।

प्रश्न 6. रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुधि की शक्ति को कमज़ोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

उत्तर: लेखक का अपनी जीजी के प्रति गहरा प्यार था। वह अपनी जीजी को बहुत मानता था। दोनों में भावनात्मक संबंध बहुत गहरा था। लेखक जिस परंपरा कां या अंधविश्वास का विरोध करता है जीजी उसी का भरपूर समर्थन करती है। धीरे-धीरे लेखक और उसकी जीजी के बीच की भावनात्मक शक्ति बँटती चली जाती हैं। लेखक का विश्वास डगमगाने लगता है। वह कहता भी है कि मेरे विश्वास का किला ढहने लगा था। उसकी जीजी लेखक की बुधि शक्ति को भावनात्मक रिश्तों से कमजोर कर देती है। इसलिए लेखक चाहकर भी किसी बात का विरोध नहीं कर पाता । यद्यपि वह विरोध जताने का प्रयास करता है लेकिन अंत में उसे जीजी के आगे समर्पण करना पड़ता है।

पाठ के आसपास

प्रश्न 1. क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणा स्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव है। जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।

उत्तर: हाँ, इंदर सेना आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणा-स्रोत हो सकती है। यह सामूहिक प्रयास ही है जो किसी भी समस्या को सुलझा सकता है। सामूहिक शक्ति के कारण ही बड़े-बड़े आंदोलन सफल हुए हैं। ‘वृक्ष बचाओ’, महात्मा गांधी के आंदोलन, जेपी आंदोलन आदि युवाओं की सामूहिक शक्ति के कारण ही सफल हो सके हैं। आज भी युवा यदि संगठित होकर कार्य करें, तो अशिक्षा, आतंकवाद, स्त्री-अत्याचार जैसी समस्याएँ शीघ्र समाप्त हो सकती हैं। समाजोपयोगी रचनात्मक काय सबधी अनुभव विद्यार्थी स्वय लिखें।

प्रश्न 2. तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्त्वपूर्ण हैं पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है?

उत्तर: भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की लगभग 78 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। इसलिए तकनीकी विकास के बाद भी बहुत कुछ कृषि पर निर्भर रहता है। कृषि के लिए सभी महीने महत्त्वपूर्ण हैं। लेकिन इनमें से वैशाख महीना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी महीने में कटाई प्रारंभ होती है। यदि इस महीने में धूप खिली रहे, बरसात न हो, तो धन धान्य भरपूर होता है। किसानों के चेहरे खिले रहते हैं। इसलिए आषाढ़ का चढ़ना किसानों में उल्लास भर देता है। वह बेहद खुश हो जाता है।

प्रश्न 3. पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता बादल-राग पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है?

उत्तर: निराला की ‘बादल-राग’ कविता में बादलों को क्रांति करने के लिए पुकारा गया है। बादल समाज के शोषक वर्ग को समाप्त करके शोषित को उनका अधिकार दिलाता है। बादल क्रांति के प्रतीक हैं। बादलों की गर्जना से पूँजीपति वर्ग भयभीत होता है तथा निर्धन वर्ग प्रसन्न होता है। हमारे जीवन में बादल की अह भूमिका है। बादल धरती की प्यास बुझाते हैं, जीवों व वनस्पतियों में प्राणों का संचार करते हैं। बादलों पर हमारा जीवन निर्भर है। इससे कृषि-कार्य संपन्न होता है।

प्रश्न 4. त्याग तो वह होता ………. उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।

उत्तर: मैं मध्यवर्गीय परिवार से हूँ। किंतु हमारा परिवार बड़ा है कमाने वाले सदस्य दो ही हैं। इसलिए कमाई का साधन ज्यादा नहीं है। पिछले दिनों एक भिखारी मेरे घर आया। कपड़ों के नाम पर उसके बदन पर फटा हुआ कुर्ता और टूटी हुई चप्पल थी। सरदी के दिन थे, ऐसी हालत में और अधिक दयनीय लग रहा था। मेरे पास भी दो ही स्वेटर थे। मैंने उसकी स्थिति को देखते हुए अपना एक स्वेटर उसे दे दिया और वह आशीर्वाद देता चला गया। शायद मेरे लिए यही त्याग था।

प्रश्न 5. पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।

उत्तर: पर्यावरण से संबंधित अन्य संकट निम्नलिखित हैं –

  • उद्योगों व वाहनों के कारण वायु-प्रदूषण होना।
  • भूमि का बंजर होना।
  • वर्षा की कमी।
  • सूखा पड़ना।
  • बाढ़ आना।
  • धरती के तापमान में दिन पर दिन बढ़ोतरी।

प्रश्न 6. आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।

उत्तर: हमारी दादी-नानी भी ठीक उसी तरह बातें करती हैं जिस प्रकार की बातें लेखक की जीजी करती हैं। हमारी दादी-नानी भी तरह-तरह के अंधविश्वास को सच्चा मानती हैं। वे कहती हैं कि पेड़ पर भूत बसते हैं। कभी दोपहर में मीठा खाकर बाहर नहीं जाना चाहिए। यदि कोई छींक दे तो भी शुभ कार्य के लिए नहीं जाना चाहिए। दादी कहती है कि यदि बिल्ली रास्ता काट जाए तो काम बिगड़ जाता है। इसी प्रकार चिमटा बजाने से घर में लड़ाई हो जाती है। मैं इन सारे विश्वासों को सुनकर अनसुना कर देती हूँ/देता हूँ।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लेखक का मन कैसा है?

उत्तर: लेखक का मन तर्कशील है। वह तर्क के आधार पर विश्वास को परखना चाहता है। वह चाहता है कि जो कुछ उसकी जीजी कहती है वह तर्क के आधार पर सिद्ध होना चाहिए। इसीलिए लेखक का किशोर मन बच्चों द्वारा पानी माँगने को पानी की बर्बादी के रूप में देखता है। उसे पानी की बर्बादी इसलिए लगती है कि सूखे में जहाँ लोग प्यासे मरते हों वहाँ पानी से नहाना गलत है।

प्रश्न 2. क्या अंधविश्वास समाज के लिए लाभकारी है?

उत्तर: बिलकुल नहीं। अंधविश्वासों के कारण ही समाज की गति रुक जाती है। व्यक्ति चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाता। इन अंधविश्वासों के फेर में पड़कर लोग कर्म करना छोड़ देते हैं। केवल धर्म को ही सब कुछ मानते हैं। उनके अनुसार भाग्य ही सब कुछ है।

प्रश्न 3. बारिश के लिए किए गए प्रयत्न किस कोटि के हैं?

उत्तर: बच्चों द्वारा बारिश के लिए किए गए प्रयत्न विश्वास के अंतर्गत आते हैं। भोले बच्चे बारिश लाने के लिए हर तरह के प्रयत्न करते हैं। वे नहीं जानते कि यह विश्वास है या अंधविश्वास। वे तो चाहते हैं कि बारिश हो जाए। चाहे इंद्र को प्रसन्न करने के लिए कोई भी कार्य करना पड़े।

प्रश्न 4. ‘काले मेघा पानी दे’ कैसा संस्मरण है?

उत्तर: ‘काले मेघा पानी दे’ एक सार्थक संस्मरण है। इसमें लेखक ने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। विज्ञान का अपना तर्क होता है और विश्वास का अपना सामर्थ्य। लेखक जहाँ तर्क के आधार पर सब कुछ सिद्ध करना चाहता है वहीं दीदी के विश्वास के सामने वह निरुत्तर हो जाता है।

प्रश्न 5. दिन-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवा वर्ग ‘काले मेघा पानी दे’ की इंदर सेना की तर्ज पर कोई सामूहिक आंदोलन प्रारंभ कर सकता है? अपने विचार लिखिए। 

उत्तर: दिन-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए आज का युवा वर्ग ‘इंदर सेना’ की तर्ज पर सामूहिक आंदोलन चला। सकता है। युवा वर्ग जागरुकता रैली निकाल सकते हैं। वे नुक्कड़ नाटकों, रैल, पोस्टरों, चर्चाओं, रेडियों व टीवी के माध्यम से पानी के संरक्षण, उसके सदुपयोग आदि के बारे में जागृति पैदा कर सकता है। वे वृक्षारोपण करके, तालाबों की खुदाई आदि के जरिए पानी के संकट को काफ़ी हद तक दूर कर सकते हैं।

प्रश्न 6. ‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण विज्ञान के सत्य पर सहज प्रेम की विजय का चित्र प्रस्तुत करता है- स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: लेखक अपनी जीजी से स्नेह करता है। जीजी भी उसे बहुत चाहती है। दोनों का भावनात्मक लगाव है। लेखक जीजी के अंधविश्वासों को निरर्थक मानता है, परंतु जीजी उसे अपने तर्को से चुप करा देती है। अत्यधिक स्नेह भाव के कारण लेखक की तर्क क्षमता कमजोर हो जाती है। जीजी की भावनाएँ लेखक की बुधि पर हावी हो जाती है। वह चाहकर जीजी के अंधविश्वासों का विरोध नहीं कर पाता।

प्रश्न 7. धर्मवीर भारती मेंढक मंडली पर पानी डालना क्यों व्यर्थ मानते थे? 

उत्तर: लेखक मेंढक मंडली पर पानी डालना व्यर्थ मानते थे क्योंकि इस समय पानी की भारी कमी है। लोगों ने कठिनता से पीने के लिए बाल्टी भर पानी इकट्ठा कर रखा है। उसे इस मेंढक मंडली पर फेंकना पानी की घोर बरबादी है। इससे देश व समाज की क्षति होती है। वह पानी को इस तरह फेंकने के सिवाय अंधविश्वास को कुछ नहीं मानता।

प्रश्न 8. ‘काले मेघा पानी दे’ के आधार पर लिखिए कि आज कैसी स्थितियों के कारण लेखक को कहना पड़ा-आखिर कब बदलेगी यह स्थिति? 

उत्तर: लेखक ने इस निबंध में सूखे के दिनों में अंधविश्वास के नाम पर पानी की बरबादी पर कड़ा एतराज जताया है। वह समाज के दोहरे आचरण पर भी व्यंग्य करता है। आज समाज के हर क्षेत्र में सिर्फ माँग है, त्याग का कहीं नामोनिशान नहीं है। कोई भी अपने कर्तव्य की बात नहीं करता। सभी भ्रष्टाचार की पोल खोलकर आनंद लेते हैं। दूसरों के काले कारनामों पर चटखारे लेते नज़र आते हैं। परंतु स्वयं भी भ्रष्टाचार का अंग बन रहे हैं। इसके कारण समाज में समृद्धि नहीं आती। वर्ग विशेष ही फायदा उठाता है। इन स्थितियों के कारण लेखक को कहना पड़ा-आखिर कब बदलेगी यह स्थिति ?

प्रश्न 9. मेंढक मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक और जीजी के विचारों में क्या भिन्नता थी? 

उत्तर: मेंढक मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक और जीजी के विचारों में अत्यधिक भिन्नता है। लेखक आर्य समाजी विचारधारा से प्रभावित है। इंदर सेना वर्षा की स्थिति में निरर्थक उछलकूद करती थी। उन पर पानी फेंकना मूर्खता थी। क्योंकि पानी की भारी कमी थी। जीजी मेंढक मंडली पर पानी फेंकने को उचित मानती है। वह कहती है कि किसी से कुछ पाने के लिए पहले कुछ चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। यह पानी का अर्घ्य है। पहले त्याग करने से ही फल मिलता है। वह गेहूं की फ़सल पाने के लिए अच्छे बीजों को खेत में डालने का तर्क देकर अपनी बात को ठीक बताती है।

प्रश्न 10. ‘काले मेघा पानी दे’ में लेखक ने लोक मान्यताओं के पीछे छिपे किस तर्क को उभारा है, आप भी अपने जीवन के अनुभव से किसी अंधविश्वास के पीछे छिपे तर्क को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: लेखक ने अंधविश्वासों के लोक मान्यताओं के तर्कों में सबसे प्रमुख भाव जनकल्याण, सहभाव को उभारा है। कष्ट के समय समाज का हर व्यक्ति अपनी क्षमतानुसार सहायता में योगदान करता है। इस भावना के साथ धार्मिक मान्यताएँ जोड़ी जाती हैं ताकि व्यक्ति इन्हें आसानी से कर सके। भावनात्मक लगाव भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी अंधविश्वासों को प्रसारित करता रहता है।

प्रश्न 11. ‘गगरी फूटी बैल पियासा” कथन भारतीय जनजीवन पर स्वतंत्रता के इतने वर्ष बाद कितना उपयुक्त ठहरता है? ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ कथन आज के समय में पूर्णतया सही नहीं है। आजादी के बाद देश में बड़े-बड़े बाँधों में पानी इकट्ठा करके नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुँचाया जाता है। आज किसान केवल वर्षा पर आश्रित नहीं है। खेती अब वर्ण का जुआ नहीं रही। आज किसान के पास ट्यूबवैल, कुएँ, नहरें आदि हैं। इसके अलावा, सूखा पड़ने पर सरकार द्वारा भारी आर्थिक मदद की जाती है। नई तकनीक, नए बीजों से कम पानी में अच्छी फ़सल उत्पन्न होती है। आज के किसान की दशा बिलकुल बदल गई है।

प्रश्न 12. ग्रीष्म में कम पानी वाले दिनों में गाँव-गाँव डोलती मेंढक मंडली पर बालटी से पानी उंडेलना जीजी के विचार से पानी का बीज बोना है, कैसे?

उत्तर: जीजी का मानना है कि गरमी के कम पानी वाले दिनों में गाँव-गाँव डोलती मेंढक मंडली पर एक बालटी पानी उँडेलना पानी का बीज बोना है। यदि कुछ पाना है तो पहले त्याग करना होगा। ऋषियों व मुनियों ने त्याग व दान की महिमा गाई है। पानी के बीज बोने से काले मेघों की फ़सल होगी जिससे गाँव, शहर, खेत-खलिहानों को खूब पानी मिलेगा।

प्रश्न 13. लेखक ‘इंदरसेना’ पर पानी फेंकने का समर्थक क्यों नहीं था? उसके रूठ जाने पर जीजी ने उसे क्या कहकर समझाया? 

उत्तर: लेखक इंदर सेना पर पानी फेंकने का समर्थक नहीं था। उसका मानना था कि सूखे के दिनों में पानी की कमी होती है। इस तरह मेहनत से इकट्ठा किया गया पानी अंधविश्वास के नाम पर इंदर सेना पर फेंका जाना गलत है। जीजी फिर भी यह कार्य करती है तो वह नाराज हो जाता है। जीजी उसे कहती है कि बादलों से वर्षा लेने के लिए इंदर सेना लोगों से जल का दान कराती है। यह फ़सल बोने के समान है। इसके बाद ही भगवान इंद्र वर्षा करते हैं।

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