नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ Important Questions || Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 13 in Hindi ||

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पाठ – 13

नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ

In this post we have mentioned all the important questions of class 9 Hindi (Sparsh) chapter 13 नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 9 के हिंदी (स्पर्श) के पाठ 13 नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 9
Subjectहिंदी (स्पर्श)
Chapter no.Chapter 13
Chapter Nameनए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ
CategoryClass 9 Hindi (Sparsh) Important Questions
MediumHindi
Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 13 नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ Important Questions

Chapter 13 नए इलाके में खुशबू रचते हैं हाथ

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?

(ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?

(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?

(घ) ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?

(ङ) कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है?

(च) इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?

उत्तर-

(क) कवि नए बसते इलाकों में रास्ता इसलिए भूल जाता है क्योंकि यहाँ नित नया निर्माण होता रहता है। नित नई घटनाएँ घटती रहती हैं। अपने ठिकाने पर जाने के लिए जो निशानियाँ बनाई गई होती हैं, वे जल्दी ही मिट जाती हैं। पीपल का पेड़ हो या ढहा हुआ मकान या खाली प्लाट, सबमें शीघ्र ही परिवर्तन हो जाता है। इसलिए वह प्रायः रास्ता भूल जाता है।

(ख) कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है

  • पीपल का पेड़
  • ढहा हुआ घर
  • जमीन का खाली टुकड़ा।
  • बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला इकमंजिला मकान।

(ग) कवि अपने निर्धारित घर से एक घर पीछे यो आगे इसलिए चल देता है क्योंकि उसे घर तृक पहुँचाने वाली निशानियाँ मिट चुकी हैं। उसने एक इकमंजिले मकान की निशानी बना रखी थी जिस पर बिना रंग वाला लोहे का फाटक था। परंतु अब न वह फाटक रहा न वह मकान इकमंजिला रहा। इसलिए वह अपने निश्चित लक्ष्य को ढूँढता-ढूंढता आगे या पीछे चला गया।

(घ) “वसंत का गया पतझड़ को लौटा’ का अभिप्राय है-एकाएक परिवर्तन हो जाना। आने और जाने के समय में ही परिवर्तन हो जाना।

‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ का अभिप्राय है-कुछ ही समय में एकाएक परिवर्तन हो जाना। जाने के समय और लौटने के समय में ही अद्भुत परिवर्तन हो जाना।

(ङ) इस कविता में कवि ने समय की कमी की ओर इशारा किया है। लोग हरदम कुछ-न-कुछ करने, बनाने और रचने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। इस अंधी प्रगति में उनकी पहचान खो गई है। वे स्वयं को भूल गए हैं। इसके कारण उनके भीतर एक डर समा गया है कि कहीं वे अकेले तो नहीं रह गए हैं। क्या कोई उन्हें पहचानने वाला मिल जाएगा या नहीं। लोगों के पास इतनी फुरसत नहीं है कि वे इस अंधे निर्माण से समय निकालकर एक-दूसरे के साथ आत्मीयता जोड़ सकें।

(च) इस कविता में कवि ने शहरों की निरंतर गतिशीलता, कर्मप्रियता और निर्माण की अंधी दौड़ के कारण खोती आत्मीयता का चित्रण किया है। शहरों में नई-नई बस्तियाँ, नए-नए निर्माण तो रोज हो रहे हैं किंतु उनकी पहचान और आत्मीयता नष्ट हो रही है।

प्रश्न 2. व्याख्या कीजिए-

(क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं

एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया

उत्तर- व्याख्या- आज दुनिया में इतनी तीव्र गति से बदलाव हो रहा है कि साल भर का बदलाव एक दिन में हो जाता है। इस बदलाव को देखकर अपनी जानी-पहचानी वस्तुएँ भूलने का भ्रम होने लगता है। यहाँ तक कि सुबह का गया शाम को लौटने पर वह अपना मकान न ढूंढ़ पाने पर लगता है कि एक ही दिन में पुरानी पड़ गई है, क्योंकि कल तक तो कुछ न कुछ फिर नया बन जाएगा।

(ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास

आ चला पानी ढहा आ रहा अकास

शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर

उत्तर- व्याख्या- कवि कहता है कि तेजी से बदलती दुनिया और उसके साथ तालमेल बिठाने के क्रम में लोगों के पास समय बहुत कम बचा है। कवि देखता है कि आकाश में काले बादल छाये चले आ रहे हैं। वर्षा की पूरी संभावना है। ऐसे में लोग छतों पर आएँगे। अब उनमें से कोई कवि को पहचानकर पुकार लेगा कि आ जाओ, तुम्हारा घर यहीं है, जिसे तुम खोज नहीं पा रहे हो।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1. पाठ में हिंदी महीनों के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिंदी महीनों के नाम क्रम से लिखिए-

उत्तर-

  • चैत्र
  • बैसाख
  • ज्येष्ठ
  • आषाढ़
  • श्रावण
  • भाद्रपद
  • आश्विन
  • कार्तिक
  • मार्गशीर्ष
  • पौष
  • माघ
  • फाल्गुन।

खुशबू रचते हैं हाथ

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) ‘खुशबू रचने वाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?

उत्तर- ‘खुशबू रचने वाले हाथ’ घोर गरीबी, अभावग्रस्त और अमानवीय परिस्थितियों में गंदे नाले के किनारे कूड़े-करकट के ढेर के पास छोटी-छोटी बस्तियों की तंग और गंदी गलियों में रहते हैं। वहाँ की बदबू से लगता है कि नाक फट जाएगी।

(ख) कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?

उत्तर- कविता में कई प्रकार के हाथों की चर्चा की गई है-

  • उभरी नसों वाले हाथ अर्थात् वृद्ध मजदूरों के हाथ।
  • घिसे नाखूनों वाले हाथ अर्थात् मजदूर वर्ग के हाथ।
  • पीपल के नए पत्ते जैसे हाथ अर्थात् कम उम्र के बच्चों के हाथ।
  • जूही की डाल जैसे हाथ अर्थात् नवयुवतियों के सुंदर हाथ।
  • कटे-पिटे और जख्मी हाथ अर्थात् मालिक द्वारा शोषित एवं सताए मजदूरों के हाथ।

(ग) कवि ने यह क्यों कहा है कि ‘खुशबू रचते हैं हाथ’?

उत्तर- ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ ऐसा कवि ने इसलिए कहा है जिन हाथों द्वारा दुनिया भर में खुशबू फैलाई जाती है, वे हाथ गंदे हैं, गंदी जगहों पर रहते हैं और अभावग्रस्त जीवन जीने को विवश हैं।

(घ) जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?

उत्तर- जहाँ अगरबत्तियाँ बनती है वहाँ का वातावरण अत्यंत गंदा होता है। गंदे नाले से उठती बदबू, चारों ओर कूड़े के ढेर से उठती बदबू से दुर्गंध फैली होती है। इस बदबू से ऐसा लगता है जैसे नाक फट जाएगी।

(ङ) इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर- इस कविता को लिखने है का उद्देश्य है-समाज के मजदूर वर्ग और अन्य लोगों के बीच घोर विषमता का चित्रण तथा दुनिया भर में अपनी बनाई अगरबत्तियों के माध्यम से सुगंध फैलाने वाले मजदूर वर्ग का घोर गरीबी में गंदगी के बीच जीवन बिताना तथा समाज द्वारा उनकी उपेक्षा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कराना।

प्रश्न 2. व्याख्या कीजिए-

(क)

(i) पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ

जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ

उत्तर- कवि अगरबत्तियाँ बनाने वाले मजदूरों के बारे में बताता है कि इस उद्योग में पीपल के नए पत्ते जैसे सुकोमल हाथ वाले लड़कों तथा जूही की डाल जैसे नव युवतियों के सुंदर हाथों को भी काम करना पड़ रहा है। अर्थात् बाल श्रमिक भी कार्यरत हैं।

(ii) दुनिया की सारी गंदगी के बीच

दुनिया की सारी खुशबू

रचते रहते हैं हाथ

उत्तर- कवि ने इन पंक्तियों में खुशबू बनाने वाले मजदूरों के बारे में बताया है कि ये मजदूरों को दुनिया की सारी गंदगी के बीच रहने को विवश हैं। ऐसे गंदे स्थानों पर रहकर वे सारी दुनिया में सुगंध बिखेरते हैं। ये मज़दूर गंदी जगहों पर रहकर गंदे हाथों से काम करके दुनिया को खुशी और सुगंध बाँट रहे हैं।

(ख) कवि ने इस कविता में ‘बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है? इसका क्या कारण है?

उत्तर- इस कविता में कवि ने बहुवचन का प्रयोग इसलिए किया है, क्योंकि ऐसे उद्योगों में काम करना किसी एक जगह की नहीं बल्कि अनेक देशों की समस्या है और इनमें बहुत-से मज़दूर काम करने को विवश हैं।

(ग) कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया है?

उत्तर- कवि ने हाथों के लिए कई विशेषणों का प्रयोग किया है; जैसे-

  • उभरी नसों वाले
  • घिसे नाखूनों वाले
  • पीपल के पत्ते से नए-नए
  • जूही की डाल जैसे खुशबूदार
  • गंदे कटे-पिटे
  • ज़ख्म से फटे हुए

नए इलाके में 

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कवि को पुराने निशान धोखा क्यों दे जाते हैं?

उत्तर- कवि को पुराने निशान इसलिए धोखा दे जाते हैं, क्योंकि कवि जहाँ रहता है वहाँ तेज़ गति से बदलाव हो रहा है। नित नए मकान बनते जा रहे हैं। खाली ज़मीन, गिरे मकान, जिन्हें वह सवेरे आते हुए देखते हैं, शाम तक वहाँ कुछ नया बन जाने से वे निशान नहीं मिल पाते हैं।

प्रश्न 2. कवि अपने घर तक पहुँचने के लिए क्या-क्या सोचता है?

उत्तर- कवि अपने घर तक पहुँचने के लिए सोचता है कि पीपल का पेड़ और गिरा घर मिल जाने के बाद जमीन के खाली टुकड़े से बाएँ मुड़ने पर जब वह दो मकान बाद जाएगा तो उसे अपना बिना रंग वाला लोहे के फाटक का एक मंजिला मकान मिल जाएगा।

प्रश्न 3. कवि ठकमकाता हुआ क्यों चलता है?

उत्तर- कवि ठकमकाता हुआ इसलिए चलता है क्योंकि जिस इलाके में रहता है, वहाँ खूब सारे नए मकान बनते जा रहे हैं, इस कारण वह अपना घर नहीं ढूंढ पा रहा है। अपना मकान पहचानने के लिए ही वह ठकमकाता हुआ चल रहा है।

प्रश्न 4. अंत में कवि को अपना घर ढूँढ़ने का क्या उपाय नज़र आता है?

उत्तर- अंत में कवि को अपना मकान ढूँढ़ने का यह उपाय नज़र आता है कि वह हर घर के दरवाजे को खटखटाकर पूछे कि क्या यह वही मकान है जहाँ से मैं सवेरे निकल कर गया था।

प्रश्न 5. ‘ढहा आ रहा अकास’ का आशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि इससे कवि को क्या लाभ हो सकता है?

उत्तर- ‘ढहा आ रहा अकास’ का आशय है-आसमान में काले-काले बादल घिरते आ रहे हैं। इससे भीषण तेज़ वर्षा हो सकती है। वर्षा का अनुमान कर लोग अपनी छतों पर आएँगे। वे कवि को देखेंगे और कहेंगे कि आ जाओ। तुम्हारा घर यहीं तो है। इससे कवि अपने घर पहुँच जाएगा।

प्रश्न 6. ‘नए इलाके में’ कवि के आधार पर उस इलाके की विशेषताएँ बताइए, जहाँ कवि रहता है।

उत्तर- जिस इलाके में कवि रहता है वहाँ नित नए निर्माण किए जा रहे हैं। इससे वहाँ के आस-पास अत्यंत तेज़ी से बदलाव आता जा रहा है। इससे एक-दो दिन बाद ही सब कुछ बदला-बदला-सा नज़र आने लगता है।

प्रश्न 7. ‘नए इलाके में कविता का उद्देश्य क्या है?

उत्तर- ‘नए इलाके में कविता का उद्देश्य है-दुनिया में तेजी से आते बदलाव की ओर संकेत करना, जिसके कारण एक-दो दिन में चारों ओर इतना बदलाव आ जाता है कि पहचान पाना कठिन हो जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘नए इलाके में’ कविता में कवि को किस समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है और क्यों?

उत्तर- ‘नए इलाके में कवि को अपना ही घर ढूँढ़ने की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि कवि जहाँ रहता है, वहाँ सब कुछ इतनी तेज़ी से बदल रहा है कि पुराने चिह्न लुप्त होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि स्मृतियाँ साथ नहीं दे रही हैं। इससे कवि अपना मकान ही नहीं ढूंढ पा रहा है।

प्रश्न 2. ‘नए इलाके में’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- ‘नए इलाके में कविता में उस दुनिया का उल्लेख हुआ है जहाँ इतनी तेजी से बदलाव हो रहा है कि एक दिन में सब कुछ पुराना पड़ता जा रहा है। उस बदलाव के माध्यम से इस ओर भी संकेत किया गया है कि इस जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। यहाँ स्मृतियों के भरोसे जीना कठिन है। इसलिए पुरानी रीतियों रूढ़ियों को छोड़कर नए परिवर्तन अपनाने को तैयार रहना चाहिए। ऐसा न करने वाला जीवन में पिछड़ जाएगा।

खुशबू रचते है हाथ 

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘कूड़े-करकट के ढेरों के बाद’ शब्दों से खुशबू रचने वालों के परिवेश के बारे में क्या पता चलता है?

उत्तर- ‘कूड़े-करकट के ढेरों के बाद’ शब्दों से खुशबू रचने वालों के परिवेश के बारे में यह पता चलता है कि वे बहुत ही गंदे स्थानों पर रहते हैं।

प्रश्न 2. ‘जख्म से फटे हाथ’ मजदूरों की किस दशा की ओर संकेत करते हैं?

उत्तर- ‘जख्म से फटे हाथ’ मजदूरों की गरीबी और अभावग्रस्तता की ओर संकेत करते हैं। ये मज़दूर इतने गरीब हैं कि इन ज़ख्मो के इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं, और वे मजदूरी न मिलने के डर से इलाज करवाने नहीं जा रहे हैं।

प्रश्न 3. खुशबू की रचना करने वाले लोग किस उम्र के है? इसके बारे में तुम्हें कैसे पता चलता है?

उत्तर- खुशबू की रचना करने वालों में बच्चे-बूढे अर्थात् हर उम्र के स्त्री-पुरुष और लड़के-लड़कियाँ शामिल हैं। इसका पता हमें उभरी नसों वाले, पीपल के पत्ते से नए-नए और जूही की डाल से खुशबूदार हाथों को देखकर लगता है।

प्रश्न 4. ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में कौन-सी समस्या समाज के लिए घातक है?

उत्तर- किसी भी समाज, देश के बच्चे ही उसका भविष्य होते हैं। इन बच्चों के बाल मजदूर के रूप में काम करने से वे पढ़ लिख नहीं सकेंगे। उनके खेलने-कूदने के दिन मजदूरी करने में बीत रहे हैं। ऐसे में ये बच्चे आजीवन मजदूर बनकर रह जाएँगे। बाल मजदूरी की यह समस्या समाज और राष्ट्र के लिए घातक है।

प्रश्न 5. खुशबू रचने वाले हाथों के प्रति समाज के धनी वर्ग का क्या कर्तव्य है?

उत्तर- खुशबू रचने वाले हाथ प्रायः बाल मजदूर होते हैं, जो शहर की गंदी बस्तियों एवं बदबूदार स्थानों पर रहते हैं। इन बाल मजदूरों के प्रति के प्रति समाज के धनी वर्ग का कर्तव्य यह है कि वे इन बाल मजदूरों के प्रति संवेदनशील बनकर उनकी शिक्षा और उत्थान के लिए आगे आएँ।

प्रश्न 6. ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता में किस समस्या की ओर ध्यानाकर्षित किया गया है?

उत्तर- ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता में बाल श्रम और श्रमिक जीवन की समस्या को उभारते हुए समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। अगरबत्तियों और धूप (खुशबूदार पदार्थ) से मंदिरों और घरों को महकाने वाले लोग बदबूदार जगहों पर रहने के लिए विवश हैं। इन बाल श्रमिकों के जीवन को उन्नत बनाने की आशा में इस समस्या की ओर ध्यान खींचा गया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. अगरबत्तियाँ बनाने वाले बाल मज़दूरों के जीवन में सुधार लाने हेतु कुछ सुझाव दीजिए।

उत्तर- खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाने वाले बाल मजदूरों के जीवन में सुधार लाने का सबसे अच्छा उपाय है, उनके हाथों में पुस्तकें पकड़ाना और उन्हें विद्यालय की ओर ले जाना। इससे ये बाल मजदूर पढ़-लिखकर कार्य कुशल बन जाएँगे। इनके लिए पढ़ाई के साथ-साथ विभिन्न कामों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि ये बाल श्रमिक कुशल कारीगर बनकर स्वरोजगार कर सकें और मज़दूर बनकर जीवन बिताने के लिए विवश न हों। इससे इस वर्ग के बच्चों का जीवन स्तर ऊँचा उठ जाएगा।

प्रश्न 2. ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता देश में व्याप्त किस विषमता की ओर संकेत करती है? इसका सामाजिक विकास पर क्या असर पड़ता है?

उत्तर- ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता देश में व्याप्त में आर्थिक विषमता की ओर संकेत करती है। इसके अलावा यह कविता समाज के वर्ग भेद पर भी चोट करती है। हमारे समाज में अमीर वर्ग द्वारा गरीबों एवं बच्चों का इस तरह शोषण किया जाता है कि गरीब वर्ग आजीवन इससे उबर नहीं पाता है। इससे गरीब एवं उसके बच्चों को काम करने पर भी रोटी, कपड़ी जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। इससे सामाजिक विकास का लक्ष्य कहीं बहुत पीछे छूट जाता है। इससे अमीर और गरीब के मध्य की खाई और भी गहरी होती चली जाती है।

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