हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर Important Questions || Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 18 in Hindi ||

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पाठ – 18

हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

In this post we have mentioned all the important questions of class 11 Hindi (Aroh) chapter 18 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 11 के हिंदी (आरोह) के पाठ 18 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
Subjectहिंदी (आरोह)
Chapter no.Chapter 18
Chapter Nameहे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
CategoryClass 11 Hindi (Aroh) Important Questions
MediumHindi
Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 18 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर Important Questions

Chapter 18 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

कविता के साथ

प्रश्न 1: ‘लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं’-इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।

उत्तर – ज्ञानेंद्रियाँ मानव शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग हैं जो अनुभव का साधन हैं। लक्ष्य प्राप्ति की जहाँ तक बात है, यदि वह ईश्वर प्राप्ति है तो वह एक ऐसी साधना के समान है जिसमें इंद्रियाँ बाधक हैं। इस समय भूख, प्यास, लालसा, कामना, प्रेम आदि का अनुभव हमें लक्ष्य से भटका देता है। इन सबका अनुभव इंद्रियाँ करवाती हैं। अतः वे ही बाधक हैं।

प्रश्न 2: ‘ओ चराचर! मत चूक अवसर’- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – इस पंक्ति में अक्क महादेवी का कहना है कि प्राणियों ने जो जीवन प्राप्त किया है, उसे यदि वे शिव की भक्ति में लगाएँ तो उनका कल्याण हो जाएगा। समय बीत जाने के बाद कुछ नहीं मिलता। जीव इंद्रियों के वश में होकर सांसारिक मोह-माया में उलझा रहता है। वह इन चक्करों में उलझा रहा तो ईश्वर-प्राप्ति का अवसर चूक जाएगा।

प्रश्न 3: ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।

उत्तर – अक्क महादेवी दूसरे वचन में ईश्वर को जूही के फूल के समान बताती हैं। इन दोनों में साम्य का आधार यह है कि जिस प्रकार जूही का फूल श्वेत,सात्विक, कोमल और सुगंधयुक्त है, उसी प्रकार ईश्वर भी समस्त विश्व में सबसे सात्विक, कोमल हृदय हैं। जिस प्रकार जूही का पुष्प अपनी सुगंध बिखेरने में भेदभाव नहीं करता, उसी प्रकार ईश्वर भी अपनी कृपा सब पर समान रूप से बरसाते हैं।

प्रश्न 4: अपना घर से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर – अपना घर’ से तात्पर्य है-मोहमाया से युक्त जीवन। व्यक्ति इस घर में सभी से लगाव महसूस करता है। वह इसे बनाने व बचाने के लिए निन्यानवे के फेर में पड़ा रहता है। कवयित्री इसे भूलने की बात कहती है, क्योंकि घर की मोह-ममता को छोड़े बिना ईश्वर-भक्ति नहीं की जा सकती। घर का मोह छूटने के बाद हर संबंध समाप्त हो जाता है और मनुष्य एकाग्रचित होकर भगवान में ध्यान लगा सकता है।

प्रश्न 5: दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?

उत्तर – दूसरे वचन में अक्कमहादेवी ईश्वर से कहती हैं कि मुझसे भीख मँगवाओ; मेरी यह दशा कर दो कि भीख में मिला भी गिर जाए और कुत्ता उसे झपट कर खा जाए। यह सब कामना करने के पीछे कवयित्री की स्वयं के अहंकार को शून्य बनाने की बात छिपी है। संसार द्वारा उपेक्षित और तिरस्कृत व्यवहार से हम ईश्वर की अनन्य भक्ति की ओर प्रवृत्त होते हैं।

कविता के आसपास

प्रश्न 1: क्या अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है? चर्चा करें।

उत्तर – मीराबाई ने भक्ति में लीन होकर घर-परिवार और सांसारिक मोह त्याग दिया था, ठीक ऐसा ही व्यवहार अक्कमहादेवी ने भी किया था। इस दृष्टि से देखें तो मीरा की पंक्ति ‘तन की आस कबहू नहीं कीनी ज्यों रणमाँही सूरो’ अक्कमहादेवी पर पूर्णतः चरितार्थ होती है। पुस्तकालय से दोनों कवयित्रियों का साहित्य लें, तुलनात्मक पद एवं वचन पढ़कर कक्षा में चर्चा का आयोजन करें।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1: पहले वचन का प्रतिपादय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रथम वचन में इंद्रियों पर नियंत्रण का संदेश दिया गया है। यह उपदेशात्मक न होकर प्रेम-भरा मनुहार है। वे चाहती हैं कि मनुष्य को अपनी भूख, प्यास, नींद आदि वृत्तियों व क्रोध, मोह, लोभ, अह, ईष्र्या आदि भावों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। वे लोगों को समझाती हैं कि इंद्रियों को वश में करने से शिव की प्राप्ति संभव है।

प्रश्न 2: दूसरे वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – दूसरा वचन एक भक्त का ईश्वर के प्रति समर्पण है। चन्नमल्लिकार्जुन की अनन्य भक्त अक्कमहादेवी उनकी अनुकंपा के लिए हर भौतिक वस्तु से अपनी झोली खाली रखना चाहती हैं। वे ऐसी निस्पृह स्थिति की कामना करती हैं जिससे उनका स्व या अहंकार पूरी तरह से नष्ट हो जाए। वह ईश्वर को जूही के फूल के समान बताती हैं, वह कामना करती हैं कि ईश्वर उससे ऐसे काम करवाए जिनसे उसका अहकार समाप्त हो जाए। वह उससे भीख मैंगवाए, भले ही उसे भीख न मिले। वह उससे घर की मोह-माया छुड़वा दे। जब कोई उसे कुछ देना चाहे तो वह गिर जाए और उसे कोई कुत्ता छीनकर ले जाए। कवयित्री का एकमात्र लक्ष्य अपने परमात्मा की प्राप्ति है।

प्रश्न 3: कवयित्री मनोविकारों को क्यों दुकारती है?

उत्तर – कवयित्री का मानना है कि मनोविकार मनुष्य को सांसारिक मोह-माया में लिप्त रखते हैं। मोह से व्यक्ति वस्तु संग्रह करता है। क्रोध में वह विवेक खोकर हानि पहुँचाता है। लोभ मनुष्य से गलत कार्य करवाता है। अहंकार मानव को मदहोश कर देता है तथा वह स्वयं को महान समझने लगता है। ये सभी मनुष्य को ईश्वरीय भक्ति से दूर ले जाते हैं। इसी कारण मनुष्य का कल्याण नहीं होता।

प्रश्न 4: कवयित्री शिव का क्या संदेश लेकर आई है?

उत्तर – कवयित्री शिव की अनन्य भक्त है। वह संसार में शिव का संदेश प्रचारित करना चाहती है कि ईशभक्ति में ही प्राणी की मुक्ति है। शिव करुणामयी हैं तथा संसार का कल्याण करने वाले हैं। जो प्राणी सच्चे मन से उनकी भक्ति करता है, वे उसे मुक्ति प्रदान करते हैं। प्राणी को जीतन में ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता। अत: उसे इस अवसर को छोड़ाना नहीं चाहिए।

प्रश्न 5: अक्क महादेवी ईश्वर से भीख मैंगवाने की प्रार्थना क्यों करती है?

उत्तर – अक्कमहादेवी का मानना है कि व्यक्ति तभी भीख माँगता है जब उसका अहभाव समाप्त हो जाता है। वह निर्विकार हो जाता है। ऐसी दशा में ही ईश्वर भक्ति की जा सकती है। व्यक्ति निस्पृह होकर लोककल्याण की सोचने लगता है।

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हमें उम्मीद है कि कक्षा 11 हिंदी (आरोह) अध्याय 18 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर हिंदी के महत्वपूर्ण प्रश्नों ने आपकी मदद की। यदि आपके पास कक्षा 11 हिंदी (आरोह) अध्याय 18 हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर के महत्वपूर्ण प्रश्नो या कक्षा 11 के किसी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न, नोट्स, वस्तुनिष्ठ प्रश्न, क्विज़, या पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों के बारे में कोई सवाल है तो आप हमें [email protected] पर मेल कर सकते हैं या नीचे comment कर सकते हैं। 


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