पाठ – 16
चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती
In this post we have mentioned all the important questions of class 11 Hindi (Aroh) chapter 16 चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती in Hindi
इस पोस्ट में कक्षा 11 के हिंदी (आरोह) के पाठ 16 चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | हिंदी (आरोह) |
Chapter no. | Chapter 16 |
Chapter Name | चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती |
Category | Class 11 Hindi (Aroh) Important Questions |
Medium | Hindi |
Chapter 16 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती
कविता के साथ
प्रश्न 1: चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे?
उत्तर – चंपा नहीं चाहती कि उसका बालम उसे छोड़कर कहीं दूर पैसा कमाने के लिए जाए। कवि ने उसे बताया कि कलकत्ता जो बहुत दूर है वहाँ लोग धन कमाने जाते हैं। चंपा चाहती है कि कलकत्ते का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए तो उसका बालम उसी के पास रहेगा। इसलिए वह कहती है कि कलकत्ते पर बजर गिरे।
प्रश्न 2: चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गाँधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी?
उत्तर – चंपा के मन में यह बात बैठी हुई है कि शिक्षित व्यक्ति अपने घर को छोड़कर बाहर चला जाता है। इस कारण वह पढ़ाई-लिखाई को अच्छा नहीं मानती। गाँधी जी का ग्रामीण जीवन पर बहुत अच्छा प्रभाव है। वे लोगों की भलाई की बात करते हैं। अत: वह गाँधी जी द्वारा पढ़ने-लिखने की बात कहने पर विश्वास नहीं करती, क्योंकि पढ़ाई-लिखाई परिवार को तोड़ती है। उनसे लोगों का भला नहीं होता। यह गाँधी जी के चरित्र के विपरीत कार्य है।
प्रश्न 3: कवि ने चंपा की किन बिशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर – चंपा एक छोटी बालिका है जो काले काले अक्षरों को नहीं पहचानती। कवि के अनुसार वह चंचल और नटखट है। दिन भरे पशुओं को चराने का काम करती है; वह जो करना चाहती है, वही करती है। उसे पढ़ना पसंद नहीं तो नहीं पढ़ती। वह नहीं चाहती कि उसका पति उससे दूर जाए, तो कहती है कलकत्ते पर बजर गिरे।
प्रश्न 4: आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढ़ेंगी?
उत्तर – चंपा का विश्वास है कि पढ़-लिखकर व्यक्ति अपने परिवार को छोड़कर परदेश जाकर रहने लगता है। इससे घर बिखर जाते हैं। शिक्षित होकर लोग चालाक, घमंडी व कपटी हो जाते हैं। वे परिवार को भूल जाते हैं। महानगरों में जाने वाले लोगों के परिवार बिछोह की पीड़ा सहते हैं। इसलिए उसने कहा होगा कि वह नहीं पढ़ेगी।
कविता के आस-पास
प्रश्न 1: यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कवि से कैसे बातें करती?
उत्तर – यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कवि से पूछती कि आप क्या लिख रहे हैं? मैं भी वह पढ़ना चाहती हूँ। पढ़ने के लिए कोई किताब माँगती और पढ़ी हुई किताबों के विषय में बातें करती। गांधी जी की धारणा को समझती।
प्रश्न 2: इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है?’
उत्तर – इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की व्यथा को व्यक्त करने का प्रयास किया गया है। रोजगार की तलाश में युवक कलकत्ता जैसे बड़े शहरों में जाते हैं और वहीं के होकर रह जाते हैं। पीछे उनकी स्त्रियाँ व परिवार के लोग अकेले रह जाते हैं। स्त्रियाँ अनपढ़ होती हैं, अत: वे पति की चिट्ठी भी नहीं पढ़ पातीं और न अपना संदेश भेज पाती हैं। उनका जीवन पिछड़ा रहता है तथा वे पति का वियोग सहन करने को विवश रहती हैं।
प्रश्न 3: संदेश ग्रहण करने ओर भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को जिस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर – संदेश ग्रहण न कर पानेवाली अनपढ़ लड़कियों को सदैव दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। वे अपने मन की बात अपने हिसाब से अपने पति या अन्य किसी संबंधी को नहीं लिख पातीं। उन्हें कोई भी संदेश या पत्र किसी और से ही लिखवाना या पढ़वाना पड़ता है। इससे उनके अपने हाथ में कुछ नहीं रहता। विपरीत परिस्थितियों में या कठिनाइयों के समय वे असहाय होकर अपनों तक अपनी दशा की सूचना तक नहीं भेज पातीं। कभी-कभी ऐसी अबोध लड़कियों की उपेक्षा करते हुए परिवारों में दरार पड़ जाती है। अनपढ़ रहकर स्त्री हो या पुरुष अनेक कष्टों को सहन करने के लिए विवश हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1: इस कविता का प्रतिपादय बताइए।
उत्तर – ‘चपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता धरती संग्रह में संकलित है। यह पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकता से अभिव्यक्त करती है। इसमें ‘अक्षरों’ के लिए ‘काले काले’ विशेषण का प्रयोग किया गया है जो एक ओर शिक्षा-व्यवस्था के अंतर्विरोधों को उजागर करता है तो दूसरी ओर उस दारुण यथार्थ से भी हमारा परिचय कराता है जहाँ आर्थिक मजबूरियों के चलते घर टूटते हैं। काव्य नायिका चंपा अनजाने ही उस शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है जहाँ भविष्य को लेकर उसके मन में अनजान खतरा है। वह कहती है ‘कलकत्ते पर बजर गिरे।’ कलकत्ते पर वज़ गिरने की कामना, जीवन के खुरदरे यथार्थ के प्रति चंपा के संघर्ष और जीवन को प्रकट करती है।
प्रश्न 2: चपा को क्या अचरज होता है तथा क्यों?
उत्तर – चंपा निरक्षर है। जब कवि अक्षरों को पढ़ना शुरू करता है तो चंपा को हैरानी होती है कि इन अक्षरों से स्वर कैसे निकलते हैं; वह अक्षर व ध्वनि के संबंध को समझ नहीं पाती। उसे नहीं पता कि लिखे हुए अक्षर ध्वनि को व्यक्त करने का ही एक रूप है। निरक्षर होने के कारण वह यह बात समझ नहीं पाती।
प्रश्न 3: कविता की नायिका चंपा किसका प्रतिनिधित्व करती है?
उत्तर – कविता की नायिका चंपा देश की निरक्षर व ग्रामीण स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करती है। ये अबोध बालिकाएँ प्राय: उपेक्षा का शिकार होती हैं। वे पढ़ाई-लिखाई को निरर्थक समझकर पढ़ने के अवसर को त्याग देती हैं।
प्रश्न 4: विवाह और पति के बारे में चपा की क्या धारणा है?
उत्तर – विवाह की बात सुनते ही चंपा लजाकर शादी करने से मना करती है, परंतु जब पति की बात आती है तो वह सदैव उसे अपने साथ रखने की बात कहती है। वह पति को अलग करने वाले कलकत्ता के विनाश की कामना तक करती है।
प्रश्न 5: लेखक चंपा को पढ़ने के लिए किस प्रकार प्रेरित करता है?
उत्तर – लेखक चंपा से कहता है कि पढ़ाई कठिन समय में काम आती है। गाँधी बाबा की भी इच्छा थी कि सभी लोग पढ़े-लिखें। साथ ही कवि चंपा को समझाता है कि एक-न-एक दिन तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा पति रोजगार की तलाश में कलकत्ता (कोलकाता) जाएगा। उस समय अपना संदेश पत्र के माध्यम से उस तक पहुँचा सकोगी और पति के पत्र पढ़ सकेगी।
प्रश्न 6: चंपा ने कवि को झूठा क्यों कहा?
उत्तर – जब कवि ने उसके विवाह तथा पति के कलकत्ता जाने की बात कही तो वह भड़क उठी। उसने कहा कि तुम पढ़-लिखकर भी बहुत झूठे हो। पहले तो वह विवाह नहीं करेगी। दूसरे, यदि शादी हो भी गई तो वह अपने पति को साथ रखेगी। केवल पढ़ने के लिए इतनी बड़ी कहानी की जरूरत नहीं है। अत: उसने कवि को झूठा कहा।
प्रश्न 7: गाँधी जी का प्रसंग किस संदर्भ में आया तथा क्यों?
उत्तर – गाँधी जी का प्रसंग साक्षरता के सिलसिले में आया है। गाँधी जी की इच्छा थी कि सभी लोग पढ़ना-लिखना सीखें। गाँवों में गाँधी जी का अच्छा प्रभाव है। कवि इसी प्रभाव के जरिए चंपा को पढ़ने के लिए तैयार करना चहाता था। इस कारण गाँधी जी का प्रसंग आया।
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