प्राकृतिक संकट तथा आपदाएं Important Questions || Class 11 Geography Book 2 Chapter 7 in Hindi ||

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पाठ – 7

प्राकृतिक संकट तथा आपदाएं

In this post, we have mentioned all the important questions of class 11 Geography chapter 7 Natural Hazards and Disasters in Hindi.

इस पोस्ट में क्लास 11 के भूगोल  के पाठ 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएं के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectGeography
Chapter no.Chapter 7
Chapter Nameप्राकृतिक संकट तथा आपदाएं (Natural Hazards and Disasters)
CategoryClass 11 Geography Important Questions in Hindi
MediumHindi
Class 11 Geography Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएं Important Questions in Hindi

Chapter – 7, प्राकृतिक संकट तथा आपदाएं

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 प्राकृतिक आपदाएं किसे कहते कहते हैं? 

उत्तर: मानव पर दुष्प्रभाव डालने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों को प्राकृतिक आपदाएं कहते हैं। 

प्रश्न 2 भू-स्खलन क्या है? 

उत्तर: अंतर्जनित बलों या गुरूत्वाकर्षण के प्रभाव से चट्टान तथा मिट्टी के अचानक नीचे की ओर खिसकने की क्रिया को भू-स्खलन कहते हैं। 

प्रश्न 3 सूखा किसे कहते हैं? 

उत्तर: जब किसी क्षेत्र में जल तथा नमी की मात्रा कुछ समय के लिए सामान्य से कम हो जाती है। उस स्थिति को सूखा कहते हैं।

प्रश्न 4 त्रि-अकाल किसे कहते हैं? 

उत्तर: जब तृण अकाल, अकाल तथा जल अकाल तीनों स्थिति एक साथ उत्पन्न हो जाती है उसे त्रिकाल कहते हैं। 

प्रश्न 5 पश्चिमी और मध्य भारत में सूखा क्यों पड़ता है? 

उत्तर: पश्चिमी तथा मध्य भारत में किसी ऊंची पर्वतमाला के न होने के कारण वर्षा सामान्य से कम होती है। इसलिए इन क्षेत्रों में अक्सर सूखा पड़ता है। 

प्रश्न 6 तृण अकाल किसे कहते हैं? 

उत्तर: जब अकाल के कारण पशुओं के लिए चारा कम हो जाता है उस स्थिति को तृण-अकाल कहते हैं।

प्रश्न 7 महासागर में सुनामी लहर की गति कहां अधिक तीव्र तथा कहां अधिक कम होती है? 

उत्तर: सुनामी लहर की गति उथले समुद्र में अधिक और गहरे समुद्र में कम होती है। 

प्रश्न 8 भारत में सुनामी लहर कब आई थी?

उत्तर: 26 दिसम्बर 2004 ई. को। 

प्रश्न 9 बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में कौन-कौन सी बीमारियां फैल जाती हैं। 

उत्तर: हैजा, आंत्रशोध, हैपेटाइटिस और दूसरी जल जनित बीमारियां । 

प्रश्न 10 भारत में चक्रवतीय तूफानों की आवृति किन महीनों में सबसे अधिक होती हैं? 

उत्तर: अक्टूबर-नवम्बर में। 

प्रश्न 11 ‘यॉकोहामा रणनीति तथा अधिक सुरक्षित संसार के लिए कार्य योजना’ किस वर्ष में बनी? 

उत्तर: मई 1994 ई. में।

लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1 प्राकृतिक आपदा तथा संकट में अन्तर स्पष्ट कीजिए? 

उत्तर: प्राकृतिक आपदा तथा संकट में बहुत कम अन्तर है। इनका एक-दूसरे के साथ गहरा सम्बन्ध है। फिर भी इनमें अन्तर स्पष्ट करना अनिवार्य है। प्राकृतिक संकट, पर्यावरण में हालात के वे तत्व हैं जिसमें जन-धन को नुकसान पहुंचने की सम्भावना होती है। जबकि आपदाओं से बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि तथा सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था ठप्प हो जाती है। 

प्रश्न 2 प्राकृतिक आपदाओं का वर्गीकरण कीजिए? 

उत्तर: प्राकृतिक आपदाओं को उनकी उत्पत्ति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। जैसे; 

वायुमण्डलीयः- तड़ितझंझा, टारनेडो, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, सूखा, तुषारपात आदि। भौमिक भूकंप, ज्वालामुखी, भू-स्खलन, मृदा अपरदन आदि। जलीय बाढ़, सुनामी, ज्वार, महासागरीय धाराएं, तूफान आदि तथा जैविक:- पौधों व जानवर उपनिवेशक के रूप में टिड्डीयाँ कीट, ग्रसन फफूंद, बैक्टीरिया, वायरल संक्रमण, बर्डफलू, डेंगू इत्यादि । 

प्रश्न 3 सुनामी के कारण तथा प्रभाव लिखिए? 

उत्तर:

कारण :- सुनामी समुद्र में भूकंप, भूस्खलन अथवा ज्वालामुखी उद्गार जैसी घटनाओं से पैदा होती है। 

प्रभाव :- तटवर्ती क्षेत्रों के निवासियों के लिए सुनामी बहुत बड़ा खतरा है। सुनामी समुद्र तट पर विराट लहरों के रूप में अपार शक्ति के साथ प्रहार करती है और बिना किसी चेतावनी के “पानी के बम” की तरह टकराती हैं।

ये घरों को गिरा देती है। गांवों को बहाकर ले जाती है। पेड़ों व बिजली के खम्बों को उखाड़ देती है, नावों को तट से दूर बहाकर ले जाती है और अंत में वापस जाते समय हजारों असहाय पीड़ितों को समुद्र में घसीट कर ले जाती है । सुनामी का प्रभाव बहुत ही विध्वंशकारी होता है। 

प्रश्न 4 हिमालय और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में अधिक भूकम्प क्यों आते हैं? 

उत्तर: हिमालय नवीन वलित पर्वत है, जिसके निर्माण की प्रक्रिया अभी चल रही है। हिमालय क्षेत्र में अभी भी भू-संतुलन की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। भारतीय प्लेट निरन्तर उत्तर की ओर गतिशील है जिसके कारण इस क्षेत्र में प्रायः भूकंप आते रहते हैं और भूकंपीय हलचलें होती रहती है। 

प्रश्न 5 किस स्थिति में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकता है? 

उत्तर: संकट संभावित क्षेत्रों में विकास कार्य आपदा का कारण बन सकते हैं। ऐसा उस स्थिति में होता है, जब पर्यावरणीय परिस्थितिकी की परवाह किए बिना ही विकास कार्य किया जाता है। उदाहरणतया बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए बांध बनाया जाता है ताकि बाढ़ का पानी और अधिक नुकसान न कर सके, लेकिन कुछ समय पश्चात उस रूके हुए पानी से महामारियां फैलनी आरम्भ हो जाती हैं इसीलिए हम कह सकते हैं कि अक्सर विकास कार्य आपदा का कारण बन जाते हैं। 

प्रश्न 6 आपदा निवारण और प्रबन्धन की तीन अवस्थाओं का वर्णन कीजिए? 

उत्तर:

1) आपदा से पहले :- आपदा के विषय में आंकड़े और सूचना एकत्र करना, आपदा संभावित क्षेत्रों का मानचित्र तैयार करना और लोगों को इसके बारे में जानकारी देना। 

2) आपदा के समय :- युद्ध स्तर पर बचाव व राहत कार्य करना । आपदा प्रभावित क्षेत्रों से पीड़ित व्यक्तियों को निकालना, राहत कैंप में भेजना, जल और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना। 

3) आपदा के पश्चात :- आपदा प्रभावित लोगों को पुर्नवास की व्यवस्था करना। 

प्रश्न 7 पश्चिमी भारत की बाढ़ पूर्वी भारत की बाढ़ से अलग कैसे होती है? 

उत्तर: भारत के पूर्वी भाग में असम, पश्चिम बंगाल, बिहार तथा झारखंड जैसे क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में बड़ी-बड़ी नदियां बहती हैं जैसे ब्रह्मपुत्र, हुगली, दामोदर, कोसी, तिस्ता तथा तोरसा आदि। इनमें हर वर्ष लगभग बाढ़ आती रहती है जिसके चलते यहां के स्थानीय निवासी इन नदियों के विध्वंशकारी प्रभाव से भलीभांति परिचित होते हैं। लेकिन पश्चिमी भारत में कुछ नदियों को छोड़कर ज्यादातर मौसमी नदियां हैं ये कम ढाल व अधिक बरसात के कारण बाढ़ से बचाव के लिए किए गए उपायों की अनदेखी करने के परिणामस्वरूप पश्चिमी भारत में जब कभी बाढ़ आती है तो अधिक नुकसान उठाना पड़ता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1 भारत में भू-स्खलन क्षेत्रों की पहचान कीजिए और इस आपदा के निवारण के कुछ उपाय सुझाइये? 

उत्तर: भू-स्खलन सुभेधता क्षेत्र भारत में निम्नलिखित हैं :

1) अत्यधिक सभेद्यता क्षेत्र :- इस क्षेत्र के अंतर्गत हिमालय की युवा पर्वत श्रृंखलायें, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, पश्चिमी घाट तथा नीलगिरी के अधिक वर्षा तथा तीव्र ढाल वाले क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी राज्य, अत्यधिक मानव क्रियाकलापों वाले क्षेत्र (विशेषतः सड़क निर्माण व बांध निर्माण) सम्मिलित हैं। 

2) अधिक सुभेद्यता क्षेत्र :- इन क्षेत्रों में भौगोलिक परिस्थितियां अत्यधिक सुभेद्यता वाले क्षेत्रों की परिस्थितियों से मिलती जुलती ही है। अंतर केवल इतना है कि इन क्षेत्रों में भू-स्खलन की गहनता एवं आवृत्ति कम होती है। इन क्षेत्रों में हिमालय क्षेत्र के सारे राज्य और उत्तर-पूर्वी भाग (असम को छोड़कर) सम्मिलित हैं। 

3) मध्यम एवं कम सुभेद्यता वाले क्षेत्र :- इस क्षेत्र में लद्दाख, स्पिति, अरावली की पहाड़ियां, पूर्वी तथा पश्चिमी घाट के वर्षा छाया क्षेत्र, दक्कन का पठार सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त मध्य पूर्वी भारत के खदानों वाले क्षेत्रों में भूस्खलन होता रहता है। 

भू-स्खलन को रोकने के उपाय :- 

1) भू-स्खलन प्रभावित व सम्भावित क्षेत्रों में सड़क व बांध निर्माण कार्यों को रोका जाये। 

2) स्थानांतरी कृषि की अपेक्षा स्थायी व सीढ़ीनुमा कृषि को प्रोत्साहित करना। 

3) तीव्र ढालों की अपेक्षा मन्द ढालों पर कृषि क्रियाएं करना। 

4) वनों के कटाव को प्रतिबंधित करना तथा नये पेड़-पौधे लगाना। 

प्रश्न 2 भारत में बाढ़ क्यों आती है? भारत में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का वर्णन कीजिये तथा इसे रोकने के उपाय बताइए? 

उत्तर:

1) वर्षा ऋतु में नदियों का जल स्तर अचानक बढ़ जाता है। तब वह नदी के तटबन्धों को तोड़ता हआ मानव बस्तियों, खेतों और आसपास की जमीन के निचले हिस्सों में बाढ़ के रूप में फैल जाता है। भारी वर्षा, उष्णकटिबन्धीय चक्रवात बांध टूटने और प्राकृतिक कारणों के अतिरिक्त मानव के कुछ आवांछित क्रियाकलाप भी बाढ़ को लाने में सहायक होते हैं। 

2) भारत में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र :- असम, पश्चिमी बंगाल और बिहार राज्य सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत की अधिकांश नदियां विशेषकर पंजाब और उत्तर प्रदेश में बाढ़ लाती है। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब में आकस्मिक बाढ़ आती रहती है। 

3) बाढ़ को रोकने के उपाय :

अ) बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में नदियों के तटबन्ध बनाना, नदियों पर बांध बनाना, बाढ़ वाली नदियों के ऊपरी जल ग्रहण क्षेत्र में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाना। 

ब) नदियों के किनारे बसे लोगों को दूसरी जगह बसाना, बाढ़ के मैदानों में जनसंख्या के बसाव पर नियंत्रण रखना। स) तटीय क्षेत्रों में “चक्रवात सूचना केन्द्रों की स्थापना कर”, तूफान के आगमन की सूचना प्रसारित करके इससे होने वाले नुकसान के प्रभाव को कम कर सकते हैं। 

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