पृथ्वी की आंतरिक संरचना Important Questions || Class 11 Geography Book 1 Chapter 3 in Hindi ||

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पाठ – 3

पृथ्वी की आंतरिक संरचना

In this post, we have mentioned all the important questions of class 11 Geography chapter 3 Interior of the Earth in Hindi.

इस पोस्ट में क्लास 11 के भूगोल  के पाठ 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectGeography
Chapter no.Chapter 3
Chapter Nameपृथ्वी की आंतरिक संरचना (Interior of the Earth)
CategoryClass 11 Geography Important Questions in Hindi
MediumHindi
Class 11 Geography Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना Important Questions in Hindi

Chapter – 3, पृथ्वी की आंतरिक संरचना

(अति लघु उत्तरीय प्रश्न) 

प्रश्न 1. पृथ्वी की त्रिज्या कितनी है ? 

उत्तर : पृथ्वी की त्रिज्या 6370 कि. मी. है। 

प्रश्न 2. मानव द्वारा अब तक भूगर्भ में अधिकतम प्रवेधन कितना और कहाँ किया गया है? 

उत्तर : आर्कटिक महासागर में कोला क्षेत्र में 12 कि. मी. की गहराई तक । 

प्रश्न 3. भूगर्भ के बारे में जानने के परोक्ष प्रमाण क्या है ? 

उत्तर : 1. पृथ्वी के पदार्थो के गुण, जैसे-तापमान, दबाव व घनत्व ।

(2) उल्काएं (3) गुरुत्वाकर्षण (4) चुम्बकीय क्षेत्र (5) भूकम्प । 

प्रश्न 4. भूकम्पीय तरंगें उत्पन्न होने का प्रमुख कारण क्या हैं ? 

उत्तर : भू पटल पर दरारें बन जाती हैं जिन्हें भ्रंश भी कहते हैं, उनसे ऊर्जा मुक्त होती है, जिससे तरंगें निकलती हैं, ये तरंगें सभी दिशाओं में फैलकर भूकम्प का कारण बनती हैं। 

प्रश्न 5. भूकम्प का अवकेन्द्र किसे कहते हैं ? 

उत्तर : भूगर्भ का वह स्थान जहाँ से ऊर्जा निकलती है और अलग-अलग दिशाओं में जाती है । उसे भूकम्प का अवकेन्द्र अथवा उद्गम केन्द्र कहते हैं। 

प्रश्न 6. भूकम्पीय छाया क्षेत्र किसे कहते हैं ? 

उत्तर : भूपटल का वह भाग, जहाँ कोई भी भूकम्पीय तरंग भूकम्पमापी पर अभिलेखित नहीं होती, उसे भूकम्पीय छाया क्षेत्र कहते हैं और यह छाया क्षेत्र निरंतर बदलता रहता है।

प्रश्न 7. भूकम्प की तीव्रता को मापने के लिये किस स्केल का प्रयोग किया जाता है ? 

उत्तर : रिक्टर स्केल का। 

प्रश्न 8. भूपर्पटी की औसत मोटाई कितनी है ? 

उत्तर : भूपर्पटी की औसत मोटाई महासागरों के नीचे 5 कि. मी. एंव महाद्वीपों के नीचे लगभग 30 कि. मी. तक है। हिमालय के नीचे यह लगभाग 70 कि. मी है। 

प्रश्न 9. एस्थेनोस्फीयर किसे कहते हैं ? 

उत्तर : पृथ्वी के आन्तरिक भाग मेंटल का ऊपरी भाग एस्थेनोस्फीयर या दुर्बलता मंडल कहलाता है। 

प्रश्न 10. पृथ्वी का क्रोड मुख्यतः किन पदार्थो से बना है ? 

उत्तर : क्रोड मुख्यतः भारी पदार्थो जैसे निकल व लोहे से बना है। 

प्रश्न 11. भारत का दक्कन ट्रैप किस तरह के ज्वालामुखी का उदहरण है ? 

उत्तर : बेसाल्ट लावा प्रवाह 

प्रश्न 12. मिश्रित ज्वालामुखी किसे कहते हैं ? 

उत्तर : ये वे जवालामुखी हैं जिनसे तरल लावा के साथ – साथ जलते हुए पदार्थ एंव राख भी निकलती है। 

प्रश्न 13. सीस्मोग्राफ किसे कहते हैं ? इसका प्रयोग किस लिए किया जाता है ? 

उत्तर : सीस्मोग्राफ एक यंत्र है जिसके माध्यम से भूकम्प की गति तथा भूकम्पीय तरंगें मापी जाती हैं। 

प्रश्न 14. भूगर्भ की जानकारी पाने के लिये वैज्ञानिकों द्वारा समुद्रों में चलाई जा रही दो परियोजनाओं के नाम लिखिए ? 

उत्तर : 

1) गहन समुद्र प्रवेधन परियोजना |

2) समन्वित महासागरीय प्रवेधन परियोजना। 

प्रश्न 15. भूकंप के आघात की तीव्रता को मापने के लिये कौन सा स्केल प्रयोग में लाया जाता है ? 

उत्तर : मरकैली स्केल 

प्रश्न16. आंतरिक बनावट के आधार पर पृथ्वी को कितनी परतों में विभाजित किया जाता है? 

उत्तर : पृथ्वी की तीन परतें हैं :

1) भूपर्पटी या महाद्वीपीय परत (सियाल) Sial 

2) मैंटल या मध्यम परत (साइमा) Sima 

3) क्रोड या आंतरिक परत (निफे) Nife

प्रश्न 17. पृथ्वी की भूपर्पटी (Earth Crust) को किन दो भागों में विभाजित किया जाता है? 

उत्तर : पृथ्वी की भूपर्पटी की गहराई धरातल के नीचे 30 कि.मी. तक है। इसे दो भागों में बांटा गया है :

क) महाद्वीपीय परत या सियाल (Sial) : 20 कि.मी. मोटी यह परत मुख्यतः सिलिकेट तथा एल्यूमिनियम जैसे हल्के खनिजों से बनी है। अतः इसे Sial (Si= सिलिका व AI = एल्यूमिनियम) भी कहते हैं । इसका घनत्व कम है। 

ख) महासागरीय परत या सिमा (Sima) : यह परत 20 – 30 कि. मी. की औसत गहराई पर पाई जाती है जो कि मुख्यतः बेसाल्ट से बनी है। यह घनत्व में सियाल से भारी है। इस परत में सिलिकेट के साथ मैगनिशियम खनिजों को भी अधिकता है अतः इसे सिमा (Sima) भी कहते हैं।

प्रश्न 18. ज्वालाखण्डाश्मि (Pyroclastic debris) क्या है ? 

उत्तर : ज्वालामुखी से निकलने वाले छोटे व बड़े लावा के पिंड, राख, धूलकण आदि पदार्थों को ज्वालाखण्डाश्मि कहते है। 

प्रश्न 19. ज्वालामुखी के उद्गार से बनी भू – आकृतियों को कौन से दो मुख्य वर्गों में रखा जाता है? 

उत्तर : ज्वालामुखी उद्गार से निर्मित भू-आकृतियों को इन दो वर्गों में रखा जाता है।

1) अंतर्वेधी भू-आकृतियाँ (Intrusive Landforms)

2) बहिर्वेधी भू-आकृतियाँ (Extrusive Landforms) 

प्रश्न 20.पृथ्वी की उष्मा के क्या स्त्रोत है? 

उत्तर 

1) रेडियोधर्मिता,

2) तल वृद्धि की उष्मा, 

3) पृथ्वी के निर्माणकारी पदार्थों की उष्मा, ये सभी पृथ्वी की उष्मा के प्रमुख स्रोत है।

(लघु उत्तरीय प्रश्न) 

प्रश्न 1. भूगर्भ की जानकारी में तापमान एंव दबाव किस तरह सहायक हैं ? स्पष्ट करें। 

उत्तर : पृथ्वी के आंतरिक भाग में गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान एवं दबाव में वृद्धि होती जाती है साथ ही पदार्थ का घनत्व भी बढ़ता जाता है। वैज्ञानिकों ने विभिन्न गहराइयों पर पदार्थों के तापमान में भिन्नता, दबाव एंव घनत्व के अन्तरों की गणना की तथा भूगर्भ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त की हैं। 

प्रश्न 2. चित्र के द्वारा भूकंप के उद्गम केन्द्र व अधिकेन्द्र को दर्शाएं तथा उनमें अंतर स्पष्ट करें। 

उत्तर : (अ) उद्गम केन्द्र (Origin)                          (ब) अधिकेन्द्र (Epicenter)

उद्गम केन्द्र : वह स्थान जहाँ से ऊर्जा निकलती है और भूकंपीय तरंगे सभी दिशाओं में गतिमान होती हैं। 

अधिकेन्द्र : भूतल पर वह बिन्दु जो उद्गम केन्द्र के लम्बवत् होता है, अधिकेन्द्र कहलाता है।

प्रश्न 3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना कितने परतों में बंटी है ? प्रत्येक परत की विशेषताएँ संक्षेप में समझाइए। 

उत्तर : पृथ्वी की आंतरिक संरचना मुख्यतः तीन परतों में विभजित है। 

(क) भूपर्पटी :- यह पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है। यह धरातल से 30 कि. मी. की गहराई तक पाई जाती है। इस परत की चट्टानों का घनतव 3 ग्राम प्रति घन से. मी. है। 

(ख)मैंटल :- भूपर्पटी से नीचे का भाग मैंटल कहलाता है यह भाग भूपर्पटी के नीचे से आरम्भ होकर 2900 कि. मी. गहराई तक है । भूपर्पटी एंव मैंटल का उपरी भाग मिलकर स्थल मंडल बनाता है। मैंटल का निचला भाग ठोस अवस्था में है। इसका घनत्व लगभग 3.4 प्रति घन से. मी. हैं।

(ग) क्रोड :- मैंटल के नीचे क्रोड है जिसे हम आन्तरिक व बाह्य क्रोड दो हिस्सों में बांटते हैं। बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है। जबकि आन्तरिक क्रोड ठोस है। इसका घनत्व लगभग 13 ग्राम प्रति घन सेमी है। क्रोड निकिल व लोहे जैसे भारी पदार्थो से बना है। 

प्रश्न 4. बैथोलिथ व लैकोलिथ में क्या अन्तर है ? 

उत्तर : 

बैथोलिथ- भूपर्पटी में मैग्मा का गुबंदाकार ठंडा हुआ पिंड है जो कई कि. मी. की गहराई में विशाल क्षेत्र में फैला होता हैं। 

लैकोलिथ- बहुत अधिक गहराई में पाये जाने वाले मैग्मा के विस्तृत गुंबदाकार पिंड हैं जिनका तल समतल होता है और एक नली (जिससे मैग्मा ऊपर आता है) मैग्मा स्रोत से जुड़ी होती है। इन दोनों  भू-आकृतियों में मुख्य अंतर इनकी गहराई ही है। 

प्रश्न 5. ज्वालामुखी द्वारा निर्मित निम्नलिखित आकृतियों के निर्माण की प्रक्रिया बताइये? 

उत्तर : 

(क) काल्डेरा (ख) सिंडरशंकु 

(क) काल्डेरा :- ज्वालामुखी जब बहुत अधिक विस्फोटक होते हैं तो वे ऊचां ढांचा बनाने के बजाय उभरे हुए भाग को विस्फोट से उड़ा देते हैं और वहाँ एक बहुत बड़ा गढ्ढा बन जाता है जिसे काल्डेरा (बड़ी कड़ाही) कहते हैं । 

(ख) सिंडरशंकु :- जब ज्वालामुखी की प्रवृति कम विस्फोटक होती है तो निकास नालिका से लावा फव्वारे की तरह निकलता है और निकास के पास एक शंकु के रूप में जमा होता जाता है जिसे सिंडर शंकु कहते है। 

प्रश्न 6. ज्वालामुखी द्वारा निर्मित अन्तर्वेधी आकृतियों में से निम्नलिखित आकृतियों की विशेषताएं बताइये? 

उत्तर : (क) सिल   (ख) शीट  (ग) डाइक 

(क) सिल व शीट :- भूगर्भ में लावा जब क्षैतिज तल में चादर के रूप में ठंडा होता है और यह परत काफी मोटी होती है तो इसे सिल कहते हैं यह परत जब पतली होती है तब इसे शीट कहते हैं। 

(ग)डाइक :- लावा का प्रवाह भूगर्भ मे कभी-कभी किसी दरार में ही ठंडा होकर जम जाता है। यह दरार धरातल के समकोण पर होती है। इस दीवार की भांति खडी संरचना को डाइक कहते हैं। 

प्रश्न 7. पृथ्वी में कम्पन्न क्यों होता है ? 

उत्तर : भूपृष्ठ में पड़ी भ्रंश के दोनों तरफ शैल विपरीत दिशा में गति करती हैं । जहाँ ऊपर के शैल खण्ड दबाव डालते हैं। उनके आपस का घर्षण उन्हें परस्पर बांधे रखता है। फिर भी अलग होने की प्रवृति के कारण एक समय पर घर्षण का प्रभाव कम हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप शैलखण्ड विकृत होकर अचानक एक-दूसरे के विपरीत दिशा में सरक जाते है। इससे ऊर्जा निकलती है और ऊर्जा तरंगें सभी दिशाओं में गतिमान होती हैं । इससे पृथ्वी में कम्पन हो जाती है। 

प्रश्न 8. निम्नलिखित के लिए एक पारिभाषिक शब्द दीजिए

(1) भूभर्ग का वह हिस्सा जो अत्यधिक तापमान के बावजूद ठोस की तरह आचरण करता है। 

(2) महाद्वीपों के नीचे की परत की रासायनिक बनावट । 

(3) भूभर्ग का वह हिस्सा जो मिश्रित धातुओं और सिलिकेट से बना है। 

(4) वे भूकम्पीय तरगें जो पृथ्वी के धात्विक क्रोड से गुजर सकती है।

(5) महासागरों के नीचे की परत की रासायनिक बनावट | 

उत्तर 

(1) आन्तरिक धात्विक क्रोड (गुरुमण्डल)

(2) सियाल (सिलिका + एल्यूमीनियम) 

(3) मेंटल 

(4) पी तरंगे या प्राथमिक तरंगे।

(5) सिमा (सिलिकेट + मैग्नेशियम) 

स्वयं करके सीखिये :

इन तरंगों के बारे में आप एक लम्बी स्प्रिंग की सहायता से सीख सकते हैं स्प्रिंग को खींच कर छोड़ दें। इस गति को पी तरंग कह सकते हैं स्प्रिंग को हल्का सा हिलाकर रखिये । लहर जैसी गति एस तरंगें हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. भूकम्पीय तरंगे कितने प्रकार की होती हैं ? प्रत्येक की विशेषताएं बताइये? 

उत्तर : भूकम्पीय तरंगें दो प्रकार की होती हैं :

(1) भूगर्भीय तरंगें (2) धरातलीय तरंगें 

(1) भूगर्भिक तरंगें :- ये तरंगें भूगर्भ में उद्गम केन्द्र से निकलती हैं और विभिन्न दिशाओं में जाती हैं। ये तरंगें धरातलीय शैलों से क्रिया करके धरातलीय तरंगों में बदल जाती हैं । भूगर्भिक तरंगें दो प्रकार की होती हैं। 

(अ) पी तरंगे (प्राथमिक तरंगें) स्प्रिंग के समान :- ये तरंगें गैस, तरल __ व ठोस तीनों प्रकार के मध्यमों से होकर गुजरती हैं। ये तीव्र गति से चलने वाली तरंगे हैं जो धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं। 

(ब) एस तरंगे (द्वितियक तरंगें) (रस्सी का झटकना के समान) :- ये तरंगें केवल कठोर व ठोस माध्यम से ही गुजर सकती हैं। ये धरातल पर पी तरंगों के पश्चात् ही पहुँचती हैं इन तरंगों के तरल से न गुजरने के कारण वैज्ञानिकों द्वारा भूगर्भ को समझने में सहायक होती है। पी तरंगें जिधर चलती हैं उसी दिशा में ही पदार्थ पर दबाव डालती हैं। एस तरंगें तरंग की दिशा के समकोण पर कंपन उत्पन्न करती हैं। धरातलीय तरंगें भूकंपलेखी पर सबसे अंत में अभिलेखित होती हैं और सर्वाधिक विनाशक होती है।

(2) धरातलीय तरंगे :- ये तरंगे धरातल पर अधिक प्रभावकारी होती हैं। गहराई के साथ-साथ इनकी तीव्रता कम हो जाती है । भूगर्भिक तरंगों एवं धरातलीय शैलों के मध्य अन्योन्य क्रिया के कारण नई तरंगें उत्पन्न होती हैं। जिन्हें धरातलीय तरंगें कहा जाता है। ये तरंगें धरातल के साथ-साथ चलती हैं। इन तरंगों का वेग अलग-अलग घनत्व वाले पदार्थों से गुजरने पर परिवर्तित हो जाता है। धरातल पर जान-माल का सबसे अधिक नुकसान इन्ही तरंगों के कारण होता है। जैसे-इमारतों व बाँधों का टूटना तथा जमीन का धंसना आदि। 

प्रश्न 2. भूकंम्प के मुख्य प्रकारों का वर्णन कीजिए? 

उत्तर : भूकम्प की उत्त्पत्ति के कारकों के आधार पर भूकम्प को निम्नलिखित पाँच वर्गों में बाँटा गया है :

  • विर्वतनिक भूकम्प (Tectonic Earthquake) :- सामान्यतः विर्वतनिक भूकम्प ही अधिक आते हैं। ये भूकम्प भ्रंश तल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं। जैसे – महाद्वीपीय, महासागरीय प्लेटों का एक दूसरे से टकराना अथवा एक दूसरे से दूर जाना इसका मुख्य कारण है। 
  • ज्वालामुखी भूकम्प (Volcanic Earthquake) :- एक विशिष्ट वर्ग के विर्वतनिक भूकम्प को ही ज्वालामुखी भूकम्प समझा जाता है। ये भूकम्प अधिकांशतः सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों तक ही सीमित रहते हैं। 
  • निपात भूकम्प (Collapse Earthquake) :- खनन क्षेत्रों में कभी-कभी अत्यधिक खनन कार्य से भूमिगत खानों की छत ढह जाती हैं, जिससे भूकम्प के हल्के झटके महसूस किए जाते हैं। इन्हें निपात भूकम्प कहा जाता है। 
  • विस्फोट भूकम्प (Explosion Earthquake) :- कभी-कभी परमाणु व रासायनिक विस्फोट से भी भूमि में कम्पन होता है, इस तरह के झटकों को विस्फोट भूकम्प कहते हैं। 
  • बाँध जनित भूकम्प (Reservoir induced Earthquake) :- जो भूकम्प बड़े बाँध वाले क्षेत्रों में आते हैं, उन्हे बाँध जनित भूकम्प कहा जाता है। 

प्रश्न 3. भूकम्प को परिभाषित कीजिए तथा भूकम्प के प्रभावों का वर्णन कीजिए ? 

उत्तर : भूकम्प का साधारण अर्थ है भूमि का काँपना अथवा पृथ्वी का हिलना । दूसरे शब्दों में अचानक झटके से प्रारम्भ हुए पृथ्वी के कम्पन को भूकम्प कहते हैं । भूकम्प एक प्राकृतिक आपदा है। भूकम्पीय आपदा से होने वाले प्रकोप निम्न है :

(1) भूमि का हिलना। 

(2) धरातलीय विंसगति। 

(3) भू – स्खलन / पंकस्खलन । 

(4) मृदा द्रवण । 

(5) धरातलीय विस्थापन । 

(6) हिमस्खलन। 

(7) बाँध व तटबंध के टूटने से बाढ़ का आना। 

(8) आग लगना।

(9) इमारतों का टूटना तथा ढाचों का ध्वस्त होना। 

(10) सुनामी लहरें उत्पन्न होना। 

(11) वस्तुओं का गिरना।

(12) धरातल का एक तरफ झुकना 

प्रश्न 4. ज्वालामुखी किसे कहते हैं तथा ज्वालामुखी के प्रकारों का वर्णन कीजिए? 

उत्तर : ज्वालामुखी पृथ्वी पर होने वाली एक आकस्मिक घटना है। इससे भू-पटल पर अचानक विस्फोट होता है, जिसके द्वारा लावा, गैस, धुआँ, राख, कंकड़, पत्थर आदि बाहर निकलते हैं। इन सभी वस्तुओं का निकास एक प्राकृतिक नली द्वारा होता है जिसे निकास नालिका कहते हैं। लावा धरातल पर आने के लिए एक छिद्र बनाता है जिसे विवर या क्रेटर कहते है। 

ज्वालामुखी मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं :

1. सक्रिय ज्वालामुखी :- इस प्रकार के ज्वालामुखी में प्राय विस्फोट तथा उद्भेदन होता ही रहता है इनका मुख सर्वदा खुला रहता है। इटली का’ एटना ज्वालामुखी इसका उदाहरण है।

2. प्रसुप्त ज्वालामुखी :- इस प्रकार के ज्वालामुखी में दीर्घकाल से कोई उद्भेदन नहीं हुआ होता किन्तु इसकी सम्भावना बनी रहती है। ऐसे ज्वालामुखी जब कभी अचानक क्रियाशील हो जाते हैं तो इन से जन धन की अपार क्षति होती है। इटली का विसूवियस ज्वालामुखी इसका प्रमुख उदाहरण है।

3. विलुप्त ज्वालामुखी :- इस प्रकार के ज्वालामुखी में विस्फोट प्रायः बन्द हो जाते हैं और भविष्य में भी विस्फोट होने की सम्भावना नहीं होती। म्यांमार का पोपा ज्वालामुखी इसका प्रमुख उदाहरण है। 

प्रश्न 5 प्राथमिक तरंगों तथा द्वितीयक तरंगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर : प्राथमिक तरंगों तथा द्वितीयक तरंगों में अन्तर इस प्रकार है:

प्राथमिक तरंगें

द्वितीयक तरंगें 

1. ‘पी’ तरंगें तेज गति से चलने वाली तरंगें तथा धरातल पर सबसे पहले पहुँचती|

1. ‘एस’ तरंगें धीमे चलती हैं तथा धरातल हैं पर ‘पी’ तरंगों के बाद पहुँचती हैं।

2. ‘पी’ तरंगें ध्वनि तरंगों की तरह होती हैं।

2. ‘एस’ तरंगें सागरीय तरंगों की तरह होती हैं।

3. ये तरंगें गैस, ठोस व तरल तीनों तरह के पदार्थों से होकर गुजर सकती हैं।

3. ये तरंगें केवल ठोस पदार्थ में से ही गुजर सकती हैं।

‘पी’ तरंगों में कंपन की दिशा तरंगों की दिशा के समांतर होती है।

4. ‘एस’ तरंगों में कंपन की दिशा तरंगों की दिशा से समकोण बनाती हैं।

5. ये शैलों में संकुचन और फैलाव उतपन्न करती हैं।

5 ये शैलों में उभार तथा गर्त उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 6. भूकम्पीय छाया क्षेत्र (Shadow Zone) किसे कहते हैं? यह कहाँ स्थित होता है ? संक्षेप में समझाइये। 

उत्तर : 

  • भूकम्प लेखी यंत्र पर दूरस्थ स्थानों से पहुंचने वाली भूकंपीय तरंगें अभिलेखित होती हैं। हालाकि कुछ ऐसे क्षेत्र भी होते हैं जहाँ कोई भी भूकंपीय तरंग अभिलेखित नहीं होती। ऐसे क्षेत्रों को भूकंपीय छाया क्षेत्र कहते हैं। 

  • एक भूकंप का छाया क्षेत्र दूसरे भूकंप के छाया क्षेत्र से भिन्न होता है। ‘P’ तथा ‘S’ तरंगों के अभिलेखन से छाया क्षेत्र का स्पष्ट पता चलता है।
  • यह देखा गया है कि ‘P’ तथा ‘S’ तरंगें अधिकेन्द्र से 105° के भीतर __ अभिलेखित की जाती हैं। किन्तु 145° के बाद केवल तरंगें ही अभिलेखित होती हैं। 
  • अधिकेन्द्र से 105° से 145 के बीच कोई भी तरंग अभिलेखित नहीं होती, अतः यह क्षेत्र दोनो प्रकार की तरंगों के लिए छाया क्षेत्र का काम करता है। 
  • यद्यपि ‘P’ तरंगों का छाया क्षेत्र ‘S’ तरंगों के छाया क्षेत्र से कम होता है क्योंकि ‘P’ तरंगें केवल 105° से 145° तक दिखलायी नहीं देतीं , किन्तु ‘S’ तरंगे 105° के बाद कहीं भी दिखलाई नहीं देतीं, इस तरह ‘S’ तरंगों का छाया क्षेत्र ‘P’ तरंगों के छाया क्षेत्र से बड़ा होता है। 

प्रश्न 7. भूकंप अधिकेन्द्र की स्थिति बताइए तथा इसके लिए तालिका का उपयोग करे। 

उत्तर तरंग के पहुंचने का समय

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