अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Important Questions || Class 10 Hindi (Sparsh) Chapter 15 in Hindi ||

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पाठ – 15

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

In this post we have mentioned all the important questions of class 10 Hindi (Sparsh) chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 10 के हिंदी (स्पर्श) के पाठ 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectहिंदी (स्पर्श)
Chapter no.Chapter 15
Chapter Nameअब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
CategoryClass 10 Hindi (Sparsh) Important Questions
MediumHindi
Class 10 Hindi (Sparsh) Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Important Questions

Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1. बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?

उत्तर- बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को इसलिए धकेल रहे थे कि ताकि वे समुद्र के किनारे की जमीन पर कब्ज़ा कर सकें और उस पर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ीकर लोगों को बसा सकें। ऐसा करके वे पैसा कमाना चाहते थे।

प्रश्न 2. लेखक का घर किस शहर में था?

उत्तर- लेखक का घर पहले ग्वालियर में था परंतु बाद में वह मुंबई के वर्सावा में रहने लगा।

प्रश्न 3. जीवन कैसे घरों में सिमटने लगी है?

उत्तर- पहले जनसंख्या कम थी। लोगों के हिस्से में जमीन अधिक थी। वे बड़े-बड़े घरों और खुले में रहते थे। घर की तरह ही उनका दिल भी बड़ा हुआ करता था, परंतु जनसंख्या बढ़ने के साथ ही वे छोटे-छोटे घरों में रहने को विवश हो गए।

प्रश्न 4. कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?

उत्तर- कबूतर के जोड़े ने रोशनदान में दो अंडे दिए थे। उनमें से एक को बिल्ली ने फोड़ दिया और दूसरा सँभाल कर रखते हुए माँ से फूट गया। अपने अंडे फूटने से दुखी होने से कबूतर फड़फड़ा रहे थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1. अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?

उत्तर- अरब में नूह नाम के एक पैगंबर थे जिनका असली नाम लशकर था। वे अत्यंत दयालु और संवेदनशील थे। एक बार एक कुत्ते को उन्होंने दुत्कार दिया। उस कुत्ते का जवाब सुनकर वे बहुत दुखी हुए और उम्र भर पश्चाताप करते रहे। अपने करुणा भाव के कारण ही वे ‘नूह’ के नाम से याद किए जाते हैं।

प्रश्न 2. लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?

उत्तर- लेखक की माँ पशु-पक्षियों के प्रति ही नहीं पेड़-पौधों के प्रति भी संवेदनशील थीं। वे सूरज छिपने के बाद पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थी। उनका मानना था कि ऐसा करने पर पेड़ों को दुख होगा और वे रोते हुए बद्दुआ देते हैं।

प्रश्न 3. प्रकृति में आए असंतुलन को क्या परिणाम हुआ?

उत्तर- प्रकृति में आए असंतुलन का दुष्परिणाम बहुत ही भयंकर हुआ; जैसे-

  • विनाशकारी समुद्री तूफ़ाने आने लगे।
  • अत्यधिक गरमी पड़ने लगी।
  • असमय बरसातें होने से जन-धन और फ़सलें क्षतिग्रस्त होने लगीं।
  • आधियाँ और तूफ़ान आने लगीं।
  • नए-नए रोग उत्पन्न हो गए, जिससे पशु-पक्षी असमय मरने लगे।

प्रश्न 4. लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?

उत्तर- लेखक की माँ धार्मिक विचारों वाली महिला थी। वे मनुष्य से ही नहीं पशु-पक्षियों तक से प्रेम करती थीं। उनके घर की दालान में कबूतर ने दो अंडे दिए थे। उनमें से एक अंडा बिल्ली ने गिराकर फोड़ दिया था। दूसरा अंडा सँभालते समय उनके हाथ से टूट गया। अंडा टूटने का पछतावा करने के लिए उन्होंने पूरे दिन का रोज़ा रखा।

प्रश्न 5. लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक अनेक बदलाव देखे-

  • उसके देखते-देखते बहुत सारे पेड़ कट गए।
  • नई-नई बस्तियाँ बस गईं।
  • चौड़ी सड़कें बन गईं।
  • पशु-पक्षी शहर छोड़कर भाग गए। जो बच गए उन्होंने जैसे-तैसे यहाँ-वहाँ घोंसला बना लिया।

प्रश्न 6. डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- डेरा डालने का आशय है-अपने रहने की व्यवस्था करना। जिस तरह मनुष्य जब कहीं बाहर जाता है तो अपने रहने का ठिकाना बनाता है। इसी प्रकार पक्षी भी रहने और अंडे देने तथा बच्चों की देखभाल के लिए डेरा डालते हैं।

प्रश्न 7. शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए?

उत्तर- शेख अयाज़ के पिता अत्यंत दयालु और सहृदय व्यक्ति थे। एक बार वे कुएँ से स्नान करके लौटे और भोजन करने बैठ गए। अचानक उन्होंने देखा कि एक काला च्योंटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। उन्होंने भोजन वहीं छोड़ दिया और उसे छोड़ने उसके घर (कुएँ के पास) चल पड़े ताकि उस बेघर को उसका घर मिल सके।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1. बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- बढ़ती हुई आबादी ने पर्यावरण पर अत्यंत विपरीत प्रभाव डाला। ज्यों-ज्यों आबादी बढ़ी त्यों-त्यों मनुष्य की आवास और भोजन की जरूरत बढ़ती गई। इसके लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की गई ताकि लोगों के लिए घर बनाया जा सके। इसके अलावा सागर के किनारे अतिक्रमण कर नई बस्तियाँ बसाई गईं । इन दोनों ही कार्यों से पर्यावरण असंतुलित हुआ। इससे असमय वर्षा, बाढ़, चक्रवात, भूकंप, सूखा, अत्यधिक गरमी एवं आँधी-तूफ़ान के अलावा तरह-तरह के नए-नए रोग फैलने लगे। इस प्रकार बढ़ती आबादी ने पर्यावरण में जहर भर दिया।

प्रश्न 2. लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?

उत्तर- पक्षियों का प्राकृतिक आवास नष्ट होने से पक्षी यहाँ-वहाँ शरण लेने को विवश हुआ। लेखक के फ्लैट के रोशनदान में दो कबूतरों ने अपना डेरा जमा लिया और उसमें अंडे दे दिए उन अंडों से बच्चे निकल आए थे। छोटे बच्चों की देखभाल के लिए कबूतर वहाँ बार-बार आया-जाया करते थे। इस आवाजाही में कई वस्तुएँ गिरकर टूट जाती थीं। इसके अलावा वे लेखक की पुस्तकें और अन्य वस्तुएँ गंदी कर देते थे। कबूतरों से होने वाली परेशानी से बचने के लिए लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली लगवानी पड़ी।

प्रश्न 3. समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?

उत्तर- समुद्र के गुस्से की वजह थी-बिल्डरों की लालच एवं स्वार्थपरता। बिल्डरों ने लालच के कारण सागर के किनारे की भूमि पर बस्तियाँ बसाने के लिए ऊँची-ऊँची इमारतें बनानी शुरू कर दीं। इससे समुद्र का आकार घटता गया और वह सिमटता जा रहा था। मनुष्य के स्वार्थ एवं लालच से समुद्र को गुस्सा आ गया। उसने अपने सीने पर दौड़ती तीन जहाजों को बच्चों की गेंद की भाँति उठाकर फेंक दिया जिससे वे औंधे मुँह गिरकर टूट गए। ये जहाज़ पहले जैसे चलने योग्य न बन सके।

प्रश्न 4. ‘मट्टी से मट्टी मिले,

खो के सभी निशान,

किसमें कितना कौन है,

कैसे हो पहचान’

इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इन पंक्तियों के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि सब प्राणियों की रचना अनेक तरह की मिट्टियों से हुई है, पर ये मिट्टियाँ आपस में मिलकर अपनी स्वाभाविकता रंग-गंध आदि खो चुकी हैं। अब वे सब मिलकर एक हो चुकी हैं। अब किस व्यक्ति में कौन-सी किस्म की मिट्टी कितनी है, इसकी पहचान कैसे की जाए। इसी तरह मनुष्य में भी सद्गुणों और दुर्गुणों का मेल है। किसमें कितना सद्गुण है और कितना दुर्गुण है यह कह पाना कठिन है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1. नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था।

उत्तर- प्रकृति अत्यंत सहनशील और उदार स्वभाववाली है। वह मनुष्य की ज्यादतियों और छेड़छाड़ को एक सीमा तक सहन करती है पर जब पानी सिर के ऊपर हो जाता है तब प्रकृति अपनी विनाशलीला दिखाना शुरू करती है। इस क्रोध में जो भी उसके सामने आता है, वह किसी को नहीं छोड़ती है। प्रकृति ने समुद्री तूफ़ान का रूप धारण कर अपने सीने पर तैरते तीन जहाजों को उठाकर समुद्र से बाहर फेंक दिया।

प्रश्न 2. जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।

उत्तर- इतिहास गवाह रहा है कि बड़े लोग प्रायः शांत स्वभाव वाले उदार और महान होते हैं। वे क्रोध से दूर ही रहते हैं। उनकी सहनशीलता भी अधिक होती है परंतु जब उन्हें क्रोध आता है तो यह क्रोध विनाशकारी होता है। यही स्थिति विशालाकार समुद्र की होती है जो पहले तो सहता जाता है, सहता जाता है परंतु क्रोधित होने पर भारी तबाही मचाता है।

प्रश्न 3. इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।

उत्तर- लेखक देखता है कि दिनों दिन जंगलों की सफ़ाई होती जा रही है। समुद्र के किनारे ऊँचे-ऊँचे भवन बनाए जा रहे हैं। इन स्थानों पर मानवों की बस्ती बन जाने से वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हुआ है। इस कारण पक्षी एवं जानवर दोनों ही अन्यत्र जाने को विवश होकर शहर से कोसों दूर चले गए हैं। कुछ पक्षी प्राकृतिक आवास के अभाव में इधर-उधर भटक रहे हैं। वे मनुष्य के घरों की दालानों और छज्जों पर घोंसला बनाने को विवश हैं।

प्रश्न 4. शेख अयाज़ के पिता बोले, ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- शेख अयाज़ के पिता जीवों के प्रति दया भाव रखते थे। एक बार वे कुएँ से नहा करके वापस आए और खाना खाने बैठ गए। अभी वे पहला कौर उठाए ही थे कि उन्हें अपनी बाँह पर एक च्योंटा दिखाई दिया। वे भोजन छोड़कर उठ गए और च्योंटे को उसके घर (कुएँ के पास) छोड़ने चल पड़े। उन्होंने पत्नी से कहा कि इस बेघर को उसके घर छोड़कर भोजन करूंगा। उनके इस कथन में जीवों के प्रति संवेदनशीलता और दयालुता का भाव छिपा है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. सुलेमान बादशाह अन्य बादशाहों से किस तरह अलग थे?

उत्तर- सुलेमान जिन्हें बाइबिल में सोलोमन कहा गया है, वे केवल मानवजाति के ही राजा नहीं थे, बल्कि सारे छोटे-बड़े पशु-पक्षी के भी हाकिम थे। वह इन सबकी भाषा भी जानते थे, जबकि अन्य राजाओं के पास ऐसी संवेदनशीलता और मानवता न होने से सुलेमान अन्य बादशाहों से अलग थे।

प्रश्न 2. सुलेमान ने चींटियों का भय किस तरह दूर किया?

उत्तर- सुलेमान के लश्कर के साथ गुज़रते हुए जब चींटियों ने उनके घोड़ों के टापों की आवाजें सुनीं तो वे भयभीत हो गईं। उनका भय दूर करने के लिए सुलेमान ने कहा, “घबराओ नहीं, सुलेमान को खुदा ने सबका रखवाला बनाया है। वह सबके लिए मुहब्बत है। ऐसा कहकर सुलेमान ने चींटियों का भय दूर किया।”

प्रश्न 3. नूह के लकब जिंदगी भर क्यों रोते रहे?

उत्तर- नूह के लकब जिंदगी भर इसलिए रोते रहे क्योंकि एक बार उन्होंने जखमी कुत्ते को देखकर दुत्कारते हुए कह दिया, ‘दूर हो जा गंदे कुत्ते !’ दुत्कार सुनकर उस घायल कुत्ते ने उनसे कहा, ‘न मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ और न तुम अपनी मर्जी से इनसान। बनाने वाला वही सबका एक है।’ उसकी बात सुनकर वे आजीवन रोते रहे।

प्रश्न 4. ‘महाभारत’ में युधिष्ठिर का एकांत कुत्ते ने किस तरह शांत किया?

उत्तर- ‘महाभारत’ में पांडवों के जीवन का जब अंतिम समय आया तो पाँचों पांडव द्रौपदी समेत हिमालय की ओर चले। उनके साथ एक कुत्ता भी चल रहा था। ज्यों-ज्यों पांडव ऊँचाई की ओर बढ़ते जा रहे थे त्यों-त्यों एक-एक कर पांडव युधिष्ठिर साथ छोड़ते जा रहे थे। अंत में कुत्ता ही था जिसने युधिष्ठिर के अकेलेपन को दूर किया और उनके साथ चलता रहा।

प्रश्न 5. दुनिया के बारे में लेखक और आज के मनुष्य के विचारों में क्या अंतर है?

उत्तर- दुनिया के बारे में लेखक का विचार उदारतापूर्ण था। उसका मानना था कि धरती किसी एक की नहीं है। इसमें मानव के साथ-साथ पशु, नदी, पर्वत, समंदर आदि की बराबर हिस्सेदारी है पर आज के मनुष्यों में इतनी आत्मकेंद्रितता और स्वार्थपरता आ गई है कि वे समूची दुनिया पर सिर्फ अपना हक समझ बैठते हैं।

प्रश्न 6. मानव-जाति ने किस तरह अपनी बुद्धि से दीवारें खड़ी की हैं?

उत्तर- मानव-जाति ने अपनी संकीर्ण मानसिकता के कारण अपनी बुद्धि का प्रयोग अपने व्यक्तिगत हित के लिए किया है। उसने भेदभाव की नीति अपनाते हुए संसार को देशों में बाँट दिया। उसने स्वयं को सर्वोपरि समझते हुए सारी धरती पर अपना अधिकार करना चाहा। उसने समुद्र से ज़मीन छीनी, जंगलों का सफाया किया और पशु-पक्षियों को बेघर करके प्रकृति में दीवारें खड़ी की।

प्रश्न 7. बढ़ती आबादी पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ की जाती है। आवास के लिए जमीन चाहिए इसके लिए वनों को काटा जाता है। इससे पर्यावरण में असंतुलन उत्पन्न होता है। इसी प्रकार मुंबई के पास समुद्र के किनारे को ऊँचा बनाकर उस पर बहुमंजिली इमारतें बनाई गईं, जिससे समुद्र को सिमटने पर विवश होना पड़ा और उसका प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो गया।

प्रश्न 8. मनुष्य के अत्याचार से क्रोधित प्रकृति किस तरह अपना भयंकर रूप दिखाती है?

उत्तर- मनुष्य अपनी लालच और स्वार्थ को पूरा करने के लिए वनों का विनाश करता है, नदियों का वेग रोकता है, समुद्र के किनारे पर कब्जा करके उसे पीछे ढकेलता है। पहले तो प्रकृति मनुष्य के अत्याचार को सहती है पर सीमा पार होने पर वह अपना भयंकर रूप अत्यधिक गरमी, बेवक्त की बरसातें, आधियाँ, तूफ़ान, बाढ़ और नए-नए रोगों के रूप में दिखाती है, जिससे जनधन की अपार हानि होती है।

प्रश्न 9. बिल्डरों द्वारा समुद्र को पीछे ढकेलने से समुद्र को क्या परेशानी हुई ?

उत्तर- बिल्डरों द्वारा समुद्र को पीछे ढकेलने से समुद्र को निम्नलिखित परेशानी हुई-

  • समुद्र का फैला रेतीला किनारा सिमटकर छोटा हो गया।
  • समुद्र को हाथ-पैर फैलाने की जगह न बची। अब उसकी लहरें किनारे तक खेलने नहीं आ सकती थी।
  • समुद्र का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो गया।
  • उसके किनारे प्रदूषण बढ़ने लगा।

प्रश्न 10. लेखक की माँ उसे प्रकृति संबंधी उपदेश क्यों दिया करती थी?

उत्तर- लेखक की माँ प्रकृति से घनिष्ठ लगाव रखती थीं। वे दयालु स्वभाव की प्रकृति प्रेमी थीं। वे मनुष्य के साथ ही पशु-पक्षी एवं पेड़-पौधों से प्रेम करती थीं तथा मनुष्य के लिए इनकी महत्ता समझती थीं। वे प्रकृति के प्रति सम्मान भाव रखती थी। वे चाहती थी कि लेखक भी प्रकृति के प्रति आदरभाव रखे, पेड़-पौधों की महत्ता समझे, नदी के जल का सम्मान करे। और पशु-पक्षियों से प्रेम करे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लेखक के देखते-देखते वर्सावा में क्या-क्या बदलाव आए?

उत्तर- लेखक और उसका परिवार ग्वालियर से वर्सावा जाकर बस गया। उस समय वहाँ दूर-दूर तक जंगल था। बहुत सारे पेड़ थे जहाँ परिंदे और जानवर भी रहते थे। वर्सावा में जैसे-जैसे जनसंख्या का दबाव बढ़ता गया वैसे-वैसे उन वनों को काट दिया गया। इससे पशु-पक्षियों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो गया और वे इधर-उधर भागने पर विवश हो गए। वर्सावा में ही समुद्र के किनारे मनुष्य की लंबी-चौड़ी बस्तियाँ बसा दी गईं। इससे समुद्र के किनारे गायब हो गए। उसे पीछे हटने पर विवश होना पड़ा। समुद्र का दूर-दूर तक फैला रेतीला किनारा कहीं गायब हो गया।

प्रश्न 2. मनुष्य के हस्तक्षेप से गुस्साए समुद्र ने अपना गुस्सा किस तरह प्रकट किया?

उत्तर- मनुष्य के हस्तक्षेप को पहले तो समुद्र सहता रहा। मनुष्य ने जब उसके किनारे बस्ती बसाकर उसका दूर-दूर तक फैला रेतीला किनारा कब्ज़ाया तो वह शांत रहा पर मनुष्य के लोभ का अंत कहाँ। उसने जब हद कर दिया तो समुद्र को गुस्सा आया। उसने भीषण चक्रवात के रूप में अपना क्रोध प्रकट किया और अपने सीने पर तैरते तीन जहाज़ों को उठाकर बाहर अलग-अलग स्थानों पर फेंक दिया। इनमें से एक वर्ली के समुद्र के किनारे आ गिरा। दूसरा जहाज़ बांद्रा के कार्टर रोड के सामने आ गिरा और तीसरा जहाज़ गेट-वे-ऑफ़ इंडिया पर आ गिरा और इतना टूट-फूट गया कि फिर समुद्र के सीने पर चलने लायक न हो सका। अब यह पर्यटकों को देखने की वस्तु मात्र बनकर रह गया है।

प्रश्न 3. पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता में लेखक ने अपनी माँ और पत्नी के दृष्टिकोण में क्या अंतर अनुभव किया?

अथवा

लेखक की माँ और पत्नी के दृष्टिकोण में प्रकृति और पशु-पक्षियों के प्रति क्या अंतर दिखाई देता है, अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- लेखक की माँ प्रकृति और पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील थीं। वे प्रकृति के प्रति आदर भाव रखती थीं। पशु-पक्षियों के प्रति उनका विशेष लगाव था। वे अपने बच्चों को भी पेड़-पौधों, नदियाँ और मुर्गे तक से प्रेम करने की सीख देती थी ताकि उनकी संतान भी ऐसा ही कार्य-व्यवहार करे। लेखक की माँ ने तो एक बार एक कबूतर का अंडा सँभालते समय टूट जाने पर दिन भर रोजा रखा और खुदा से प्रार्थना करती रही कि उसकी यह गलती माफ़ कर दें। लेखक की पत्नी का दृष्टिकोण इससे हटकर था क्योंकि एक बार जब दो कबूतरों ने उसके फ्लैट में दो अंडे दे दिए और उसमें से बच्चे निकल आए तो कबूतरों का आना-जाना बढ़ गया। इससे परेशान होकर लेखक की पत्नी ने उनके आने-जाने वाला रोशनदान बंद कर दिया, इससे कबूतर उदास होकर बाहर बैठे रहे। लेखक की माँ ऐसा कभी न कर पाती।

प्रश्न 4. ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ नामक पाठ ‘निदा फ़ाज़ली’ द्वारा लिखा गया है। इस पाठ का प्रतिपाद्य है-मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ निरंतर की जा रही छेड़छाड़ की ओर ध्यानाकर्षित कराना, प्रकृति के क्रोध का परिणाम दर्शाना तथा प्रकृति के गुस्से का परिणाम बताते हुए प्रकृति, सभी प्राणियों, पशु-पक्षियों समुद्र पहाड़ तथा पेड़ों के प्रति सम्मान एवं आदर का भाव प्रकट करना। इतना ही नहीं इस धरती पर अन्य जीवों की हिस्सेदारी समझते हुए इसे केवल मनुष्य की ही जागीर न समझना।

लेखक यह बताना चाहता है कि मनुष्य नदी, समुद्र, पहाड़, पेड़-पौधों आदि को अपनी जागीर समझकर उनका मनचाहा उपभोग करता है। इससे प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। इसके अलावा सभी जीव चाहे मनुष्य हों या कुत्ता उसी एक ईश्वर की रचनाएँ हैं। हमें इनके साथ उदार व्यवहार करना चाहिए।

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