गिरगिट Important Questions || Class 10 Hindi (Sparsh) Chapter 14 in Hindi ||

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पाठ – 14

गिरगिट

In this post we have mentioned all the important questions of class 10 Hindi (Sparsh) chapter 14 गिरगिट in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 10 के हिंदी (स्पर्श) के पाठ 14 गिरगिट  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectहिंदी (स्पर्श)
Chapter no.Chapter 14
Chapter Nameगिरगिट
CategoryClass 10 Hindi (Sparsh) Important Questions
MediumHindi
Class 10 Hindi (Sparsh) Chapter 14 गिरगिट Important Questions

Chapter 14 गिरगिट

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1. काठगोदाम के पास भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई थी ?

उत्तर- काठगोदाम के पास अचानक ही एक व्यक्ति के चीखने की आवाज़ सुनाई दी और उसके बाद कुत्ते के किकियाने की। एक व्यापारी पिचूगिन के कोठगोदाम में से एक कुत्ता तीन टाँगों के बल पर रेंगता हुआ आ रहा था, क्योंकि ख्यूक्रिन नाम के एक व्यक्ति ने कुत्ते को पिछली टाँग से पकड़ा हुआ था और चीख रहा था कि इस कुत्ते को कहीं भी मत जाने दो। ख्यूक्रिन और कुत्ते दोनों के मिले-जुले शोर को सुनकर काठगोदाम के पास भीड़ इकट्ठी हो गई।

प्रश्न 2. उँगली ठीक न होने की स्थिति में ख्यूक्रिन का नुकसान क्यों होता?

उत्तर- ख्यूक्रिन एक कामकाजी आदमी था। वह पेचीदा किस्म का काम करता था। उसे लकड़ी लेकर जरूरी काम निपटाना था परंतु उँगली पर घाव होने के कारण वह हफ्तों तक काम नहीं कर पाएगा जिससे उसके काम का नुकसान होगा।

प्रश्न 3. कुत्ता क्यों किकिया रहा था?

उत्तर- ख्यूक्रिन ने कुत्ते की पीछे की एक टाँग भी पकड़ ली थी। वह कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चल रहा था। उसे चलने में कष्ट हो रहा था इसलिए वह किकिया रहा था।

प्रश्न 4. बाज़ार के चौराहे पर खामोशी क्यों थी?

उत्तर- बाजार में पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही के साथ गश्त लगा रहा था। वह रिश्वतखोर था और जो भी सामने आता था, उससे कुछ-कुछ लूट-खसोट जरूर करता था। लोग बहुत कम थे। सभी दुकानदार अपनी-अपनी दुकानों में खाली बैठे थे। वहाँ कोई खरीदार नहीं था। उस जमाने में रूस में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नही थी। पुलिस वाले आम आदमियों को परेशान करते थे। पुलिस इंस्पेक्टर दौरे और जब्ती की कार्यवाई के कारण लोग सहम गए थे इसलिए बाज़ार के चौराहे पर खामोशी थी।

प्रश्न 5. जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में क्या बताया?

उत्तर- जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में बताया कि यह कुत्ता उनके मालिक का नहीं है, बल्कि उनके भाई ‘इवानिच’ का है। यह कुत्ता ‘बारजोयस नस्ल का है और जनरल साहब इस नस्ल के कुत्तों में कोई दिलचस्पी नहीं रखते। यह नस्ल उनके भाई को पसंद है। अतः यह उन्हीं का है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1. ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की क्या दलील दी?

उत्तर- ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की यह दलील दी कि इस कुत्ते ने मेरी उँगली काट खाई है। अब मैं एक हफ्ते तक काम नहीं कर पाऊँगा। मुझे लकड़ी का ज़रूरी काम निपटाना था। मैं एक कामकाजी व्यक्ति हूँ और मेरा काम भी पेचीदा है। मेरा भारी नुकसान होगा। अतः मुझे इस कुत्ते के मालिक से हरज़ाना दिलवाया जाए।

प्रश्न 2. ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का क्या कारण बताया?

उत्तर- ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को बताया कि बाज़ार से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाने के उद्देश्य से वह आया था। तभी अचानक एक कुत्ता कहीं से आया और उसने उसकी उँगुली पर काट लिया । कुत्ते दूद्वारा काटे जाने के कारण ही उसने अपनी उँगली ऊपर उठाई हुई थी। इस तरह से वह लोगों की हमदर्दी बटोरना चाहता था तथा बार-बार उँगली दिखाकर मुआवजे के पक्ष में दलील दे रहा था।

प्रश्न 3. येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए क्या कहा ?

उत्तर- येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए कहा कि मैं इस ख्यूक्रिन को अच्छी तरह से जानता हूँ। यह हमेशा कोई-न-कोई शरारत करता रहता है। इसी ने अपनी जलती हुई सिगरेट इस कुत्ते की नाक में घुसेड़ दी होगी। वरना क्या कुत्ता बेवकूफ़ है, जो इसे काट खाता? यह सब इसी की शरारत का परिणाम है, इसलिए यही दोषी है।

प्रश्न 4. ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह संदेश क्यों भिजवाया होगा कि उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है’?

उत्तर- ओचुमेलॉव एक अवसरवादी इंस्पेक्टर था। वह चापलूस था तथा भाई-भतीजावाद में विश्वास रखता था। उसने यह संदेश इसलिए भिजवाया होगा ताकि वह जनरल साहब की नज़रों में अच्छा बन सके। वह जनरल साहब का हितैषी बनकर उनके प्रति निष्ठा व्यक्त कर उन्हें प्रसन्न करते हुए स्वयं श्रेय लेना चाहता था। वह जताना चाहता था कि वह जनरल साहब का ही नहीं उनके कुत्ते का भी ध्यान रखता है। उसे साहब की भलाई की चिंता है। वह उनका आज्ञाकारी, विश्वसनीय सेवक है उसे आशा थी कि यह संदेश सुनकर जनरल साहब उससे खुश हो जाएँगे और उसकी प्रशंसा करने के साथ-साथ उसे पदोन्नति देंगे।

प्रश्न 5. भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?

उत्तर- इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव ने पहले तो ख्यूक्रिन को उसे कुत्ते के काटने पर उसके मालिक के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए कहा, पर जब उसे यह पता चला कि यह कुत्ता तो जनरल साहब या उनके भाई दोनों में से किसी एक का है, तो उसने ख्यूक्रिन को न्याय दिलाने की जगह उसे ही दोषी ठहरा दिया। उसकी इसी विवशता तथा पक्षपातपूर्ण कानून व्यवस्था पर भीड़ हँसने लगती है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1. किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी-ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?

उत्तर- भाई-भतीजावाद तथा चापलूसी करने में विश्वास रखने वाले पुलिस इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब यह पता चला कि ख्यूक्रिन की उँगली काटने वाला कुत्ता आम नहीं है, बल्कि जनरल साहब या उनके भाई दोनों में से किसी एक का है, तो उसने कुत्ते को बचाने के लिए कुत्ते की जगह ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहराते हुए कहा कि उसने स्वयं ही किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी और इसे कुत्ते के माथे मढ़कर कुछ हरजाना ऐंठकर फ़ायदा उठाना चाह रहा है।

प्रश्न 2. ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का कारण यह बताया कि कुत्ते के काटने से उसकी उँगली लहूलुहान हो गई है। अब वह हफ्तेभर तक काम नहीं कर सकेगा। इसके अलावा वह उससे तथा लोगों से सहानुभूति पाना चाहता था।

प्रश्न 3. यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है- ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आया और के यों?

उत्तर- जब ओचुमेलॉव को प्रोखोर यह बताता है कि यह कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, तो उसके विचारों में एकदम परिवर्तन आ जाता है। वह पहले जिस कुत्ते को गंदा, मरियल कह रहा था, अब वही कुत्ता उसे अति ‘सुंदर डॉगी’ लगने लगा। वह उसे खूबसूरत पिल्ला दिखाई देने लगा। उसे अब ख्यूक्रिन का ही दोष दिखाई देने लगा। उसके विचारों में यह परिवर्तन इसलिए आया, क्योंकि वह स्वार्थी एवं अवसरवादी व्यक्ति था और जनरल साहब को नाराज़ नहीं करना चाहता था। उन पर अपनी स्वामिभक्ति की छाप छोड़ना चाहता था।

प्रश्न 4. ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है…।’ समाज की किस वास्तविकता की ओर संकेत करता है?

उत्तर- ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है…।’ से समाज में फैले भाई-भतीजावाद जैसी दुष्प्रवृत्ति का पता चलता है जब कुत्ते के काटने की व्यथा झेल रहे ख्यूक्रिन को लगता है कि येल्दीरीन (सिपाही) कुत्ते को दोषमुक्त करने के लिए स्वयं उसे ही दोषी ठहराने पर तुला है तो वह अपने साथ अन्याय होता देख ऐसा कहता है। इस प्रकार वह इंसपेक्टर तथा सिपाही दोनों को ऐसा बताकर भाई-भतीजावाद को अनुचित लाभ लेना चाहता है। इससे स्पष्ट होता है। कि तत्कालीन रूसी समाज में अराजकता, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का बोलबाला है। समाज में कानून नाम की कोई चीज नहीं है। दोषी को निर्दोष तथा निर्दोष को दोषी बनाने का तुच्छ कार्य अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है।

प्रश्न 5. इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं? अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ इसलिए रखा गया है, क्योंकि पूरी कहानी में पुलिस इंस्पेक्टर अवसरानुकूल अपना रूप गिरगिट की तरह बदलता रहता है। कभी वह आम-आदमी की तरफ़दारी करता है, तो कभी भाई-भतीजावादी और चापलूसी करने वाला बनकर कानून के साथ खिलवाड़ करता है। इस कहानी का शीर्षक ‘चापलूस इंस्पेक्टर’ या ‘अवसरवादिता’ भी हो सकता है, क्योंकि वह कानून का साथ न देकर उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों की चापलूसी करता है। चापलूस इंस्पेक्टर का जीवन सिद्धांत यह है कि उसका कोई सिद्धांत नहीं और साथ ही न कोई निर्धारित जीवन-शैली। वह समय व परिस्थितियों के अनुसार अपने को बदल देता है।

प्रश्न 6. ‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में भी देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज की कानून व्यवस्था पर व्यंग्य किया है। लेखक ने बताया है कि शासन व्यवस्था पूर्ण रूप से चापलूसों और भाई-भतीजावाद के समर्थक अधिकारियों के भरोसे चल रही है। व्यक्ति परिस्थिति के अनुसार अपनी बात को परिवर्तित करना अच्छी तरह से जानते हैं। चापलूस अधिकारी सही निर्णय नहीं लेते जिसका असर समाज पर पड़ता है। पुलिस का व्यवहार आम आदमी के प्रति उपेक्षापूर्ण होता है, जिसके कारण आम आदमी को न्याय नहीं मिल पाता। पुलिस अधिकारी सदा हित की बात सोचते हैं। समाज में उच्च वर्ग का दबदबा है। उन्हीं का आदेश समाज । की दिशा निर्धारित करता है जबकि सामान्य व्यक्ति का अपराध दंडनीय हो जाता है। वर्तमान समाज में भी ऐसी विसंगतियों को देखा जा सकता है। हम देखते हैं कि चापलूस और रिश्वतखोर लोग निरंतर उन्नति कर रहे हैं। कानून और न्याय व्यवस्था में चारों ओर चापलूसों और भ्रष्ट लोगों का ही बोलबाला है। लोग सफल होने के लिए इसी रास्ते को अपनाते जा रहे हैं। यद्यपि इन विसंगतियों को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु अभी अधिक सफलता नहीं मिल पाई है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1. उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।

उत्तर- इस कथन का आशय यह है कि जब कुत्ते ने ख्यूक्रिन की उँगली काट ली, तो उसने उसकी खूब पिटाई की और बुरी तरह से उसकी पिछली टाँग को पकड़ कर खींचा। दर्द के कारण उसकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं। अपने चारों ओर भीड़ देखकर कुत्ता और भी आतंकित हो गया, क्योंकि उसे भीड़ रूपी संकट भी गहरी पीड़ा दे रहा था।

प्रश्न 2. कानून सम्मत तो यही है.. कि सब लोग अब बराबर हैं।

उत्तर- इस कथन से ख्यूक्रिन यह कहना चाहती है कि वर्तमान काननू-व्यवस्था में सभी बराबर हैं। कोई छोटा-बड़ा नहीं है। यदि कोई बड़ा व्यक्ति अपराध करता है तो उसे भी अवश्य ही दंड मिलना चाहिए। कानून की दृष्टि में कोई छोटा-बड़ी नहीं होता, बल्कि सब बराबर होते हैं। उसने ओचुमेलॉव से कहा कि यदि उसकी बात में सत्य नही होगा तो उस पर मुकदमा चलाया जाए। उसने यह भी कहा कि समाज में हर व्यक्ति के साथ नियम और कानून के अनुसार समान व्यवहार होना चाहिए। इसलिए वह भी न्याय प्राप्त करने का हकदार है और उसका कोई अपराध नहीं है।

प्रश्न 3. हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।

उत्तर- इसका आशय यह है कि जब ख्यूक्रिन की कुत्ते ने उँगली काट ली, तो उसने चिल्लाते और गालियाँ देते हुए उसकी खूब पिटाई की इसलिए कुत्ता दर्द से चीख रहा था, किकिया रहा था। उसकी दर्द भरी पुकार और ख्यूक्रिन का चिल्लाना सुनकर लोग अपने-अपने घरों और दुकानों से बाहर आकर इकट्ठे होने लगे। देखते-देखते ही अपार जन-समूह इकट्ठा हो गया। इस स्थिति को देखकर चापलूस सिपाही ने पुलिस इंस्पेक्टर से परिस्थिति को शीघ्र ही काबू में करने के लिए कहा, क्योंकि किसी विद्रोह के समय जिस प्रकार शांति भंग होती है, उसी प्रकार की शांति इस समय भंग होती दिखाई दे रही थी।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1. नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए

  • माँ ने पूछा बच्चों कहाँ जा रहे हो
  • घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था
  • हाय राम यह क्या हो गया।
  • रीना सुहेल कविता और शेखर खेल रहे थे
  • सिपाही ने कहा ठहर तुझे अभी मजा चखाता हूँ

उत्तर-

  • माँ ने पूछा, “बच्चों, कहाँ जा रहे हो?”
  • हाय राम! यह क्या हो गया?
  • रीना, सुहेल, कविता और शेखर खेल रहे थे।
  • सिपाही ने कहा, “ठहर! तुझे अभी मजा चखाता हूँ।”
  • घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।

प्रश्न 2. नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए-

  • मेरा एक भाई भी पुलिस में है।
  • यह तो अति सुंदर ‘डॉगी’ है।
  • कल ही मैंने बिलकुल इसी की तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।

वाक्य के रेखांकित अंश ‘निपात’ कहलाते हैं जो वाक्य के मुख्य अर्थ पर बल देते हैं। वाक्य में इनसे पता चलता है किस बात पर बल दिया जा रहा है और वाक्य क्या अर्थ दे रहा है। वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करने में सहायता करते हैं उन्हें निपात कहते हैं; जैसे-ही, भी, तो, तक आदि।

ही, भी, तो, तक आदि निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।

उत्तर-

ही – कल ही श्याम मुंबई से आया।

भी – पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद पर भी ध्यान देना चाहिए।

तो – अगर पिता जी नहीं आए तो हम घूमने नहीं जा पायेंगे।

तक – मुझे बस मंदिर तक जाना है।

मात्र – इस आकर्षक वस्तु का दाम मात्र एक सौ रुपये हैं।

प्रश्न 3. पाठ में आए मुहावरों में से पाँच मुहावरे छाँटकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।

उत्तर-

  • त्योरियाँ चढ़ाना-जब दर्जी ने पुलिसवाले से कपड़े के पैसे माँगे तो उसने त्योरियाँ चढ़ाकर देख लेने की धमकी दी।
  • मत्थे मढ़ना-चोर ने अवसर पाकर अपना दोष निर्दोष के मत्थे मढ़ दिया।
  • छुट्टी करना-ज्यादा पैसे माँगने पर मालिक ने सब मज़दूरों की छुट्टी कर दी।
  • गाँठ बाँध लेना-एक बात गाँठ बाँध लो कि बिना परिश्रम के आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकते।
  • मज़ा चखाना-जिस किसी ने राम को मारा है, पुलिस उन्हें मज़ा चखाकर रहेगी।

प्रश्न 4. नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए-

  • ………. + भाव = ……………
  • ……….. + पसंद = ………..
  • ………. + धारण = ………….
  • …………. + उपस्थित = ………..
  • ……….. + लायक = ………….
  • ……….. + विश्वास = …………
  • ……….. + परवाह = ………
  • ……….. + कारण = …………

उत्तर-

  • प्र + भावे = प्रभाव
  • ना + पसंद = नापसंद
  • निर् + धारण = निर्धारण
  • अन + उपस्थित = अनुपस्थित
  • ना + लायक = नालायके
  • अ + विश्वास = अविश्वास
  • ला + परवाह = लापरवाह
  • अ + कारण = अकारण

प्रश्न 5. नीचे दिए गए शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-

  • मदद + ……….. = ………
  • बुद्धि + ………. = ………
  • गंभीर + …….. = ……….
  • सभ्य + ……… = ………..
  • ठंड + ……… = ………
  • प्रदर्शन + …….. = ………..

उत्तर-

  • मदद + गरि = मददगार
  • बुधि + मान = बुद्धिमान
  • गंभीर + ता = गंभीरता
  • सभ्य + ता = सभ्यता
  • ठंड + आई = ठंडाई
  • प्रदर्शन + ई = प्रदर्शनी

प्रश्न 6. नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए-

  • दुकानों में ऊँधते हुए चेहरे बाहर झाँके।
  • लाल बालोंवाला एक सिपाही चला आ रहा था।
  • यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है।
  • एक कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चला आ रहा है।

उत्तर-

  • संज्ञा पदबंध
  • विशेषण पदबंध
  • क्रिया पदबंध
  • क्रियाविशेषण पदबंध

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ख्यूक्रिन कुत्ते को क्यों पकड़ना चाहता था?

उत्तर- ख्यूक्रिन एक सुनार था। उसकी उँगली को एक कुत्ते ने काट खाया था। वह कुत्ते को पकड़ने के लिए उसके पीछे भाग रहा था ताकि कुत्ते के मालिक से मुआवजा प्राप्त कर सके।

प्रश्न 2. सिपाही ने इंसपेक्टर से क्या आशंका प्रकट की?

उत्तर- काठगोदाम पर एकत्र भीड़ देख सिपाही येल्दीरीन ने अपने साथ चल रहे इंसपेक्टर ओचुमेलॉव से जनशांति भंग होने की आशंका प्रकट की। उसे भीड़ में से एक चीख-‘मत जाने दो’ की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

प्रश्न 3. कुत्ते के मालिक से मुआवजा पाने के लिए ख्यूक्रिन क्या कर रहा था?

उत्तर- ख्यूक्रिन की उँगली एक कुत्ते ने काट खाई थी। घाव एवं पीड़ा की गंभीरता व्यक्त करने के लिए वह अपनी लहूलुहान उँगली लोगों को दिखा रहा था ताकि कुत्ते के मालिक से मुआवजा और लोगों की सहानुभूति प्राप्त कर सके।

प्रश्न 4. कुत्ता डरा हुआ-सा क्यों दिखाई दे रहा था?

उत्तर- कुत्ते ने ख्यूक्रिन की उँगली काट खाई थी। ख्यूक्रिन ने उसे मारा था। किसी तरह कुत्ता जब ख्यूक्रिन से छूटकर भाग रहा था तो ख्यूक्रिन ने उसे दुबारा पकड़ लिया था। भीड़ के कारण कुत्ता आने वाले संकट से घबराया हुआ था, इसलिए उसकी आँखों में आतंक की छाप थी।

प्रश्न 5. ओचुमेलॉव कौन था? वह सवाल क्यों पूछ रहा था?

उत्तर- ओचुमेलॉव पुलिस इंसपेक्टर था। क्षेत्र में शांति व्यवस्था एवं कानून का विधान बनाए रखना उसका कर्तव्य था। काठगोदाम के पास जमा भीड़, कुत्ते का किकियाना, ख्यूक्रिन की चीख सुनकर उसने ये सवाल एक जिम्मेदार अफसर होने के हक से पूछे थे।

प्रश्न 6. ख्यूक्रिन की लहूलुहान उँगली देखकर ओचुमेलॉव को कितनी खुशी हुई ?

उत्तर- ख्यूक्रिन की लहूलुहान उँगली देखकर और ख्यूक्रिन की काम करने में असमर्थता की बातें सुनकर भी ओचुमेलॉव का हृदय नहीं पसीजा। वह बस यही जानने का प्रयास करता रहा कि आखिर यह कुत्ता है किसका? उसे ख्यूक्रिन के प्रति सहानुभूति नहीं हुई।

प्रश्न 7. ओचुमेलॉव कुत्ते के मालिक पर जुर्माना क्यों ठोकना चाहता था?

उत्तर- ओचुमेलॉव कुत्ते के मालिक पर जुर्माना ठोककर दो उद्देश्य पूरा करना चाहता था। पहला–ऐसा कहकर वह ईमानदार होने का नाटक कर रहा था और दूसरा-अपनी खराब नीयत के कारण वह कुत्ते के मालिक से कुछ वसूलना भी चाहता था।

प्रश्न 8. ओचुमेलॉव को ख्यूक्रिन की बात का विश्वास क्यों नहीं हो रहा था?

उत्तर- इंसपेक्टर ओचुमेलॉव शक प्रकट करते हुए ख्यूक्रिन से यह कह रहा था कि एक नन्हा-सा पिल्ला उस जैसे लंबे-तगड़े आदमी तक कैसे पहुँच सकता है। जरूर इसकी उँगली पर कील-वील लग गई होगी और वह जुर्माना पाने के लिए ऐसा कर रहा है।

प्रश्न 9. कुत्ते की सही पहचान किसने की और कैसे?

उत्तर- कुत्ते को पहचानने का काम जनरल साहब के रसोइए ने किया। उसने कुत्ते को देखकर कहा कि यह कुत्ता जनरल साहब के भाई का है। उन्हें इस प्रकार (बारजोयस नस्ल) के कुत्ते बहुत पसंद हैं।

प्रश्न 10. ‘गिरगिट’ कहानी में ख्यूक्रिन को कितना न्याय मिला?

उत्तर- मुआवजा पाने की आस बनाएं ख्यूक्रिन को अंत में निराशा हाथ लगती है। इंसपेक्टर उसकी गलती बताकर उसे ही डाँटता डपटता है। वह भीड़ के सामने उपहास का पात्र ज़रूर बनकर रह जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ओचुमेलॉव एक जिम्मेदार इंसपेक्टर था, पर उसने न्यायोचित बात क्यों नहीं की?

उत्तर- ओचुमेलॉव एक हृदयहीन, अवसरवादी, चाटुकार तथा स्वार्थी पुलिस इंसपेक्टर था, जिसे किसी की स्थिति परिस्थिति से कुछ लेना-देना नहीं था। वह छीन-झपट के या धमकाकर पैसे वसूलना जानता था। उसे ख्यूक्रिन जैसे व्यक्ति का पक्ष लेने पर कुछ मिलने वाला नहीं था, इसलिए उसने न्यायोचित बात नहीं की।

प्रश्न 2. बाज़ार के चौराहे के दृश्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर- बाज़ार के चौराहे पर प्रतिदिन की भाँति दुकानें खुली थीं। वहाँ पर इंसपेक्टर ओचुमेलॉव अपने सिपाही के साथ गस्त लगा रहा था। वह इतना रिश्वतखोर और लालची था कि दुकानदार क्या ग्राहक भी उसके सामने आने से कतराते थे। जो भी सामने होता था, उनसे वह लूट-खसूट जरूर करता था। सामान जब्त करवा लेता था। ग्राहकों की कमी के कारण दुकानदार खाली बैठे थे। इसके अलावा पुलिस वाले लोगों को परेशान करते थे। पुलिस इंसपेक्टर के लूट और सामान जब्ती के भय से चारों ओर खामोशी छाई थी।

प्रश्न 3. इंसपेक्टर कुत्ते के मालिक का पता लगाने के लिए परेशान क्यों था?

उत्तर- ख्यूक्रिन द्वारा हरज़ाना दिलाए जाने की बात सुन इंसपेक्टर कह रहा था कि जिसने भी इस तरह के कुत्तों को छोड़ रखा है, मैं उस बदमाश को इतना जुर्माना ठोकेंगा कि यूँ कुत्तों को खुला छोड़ने का इल्म हो जाए। वह अपने सिपाही येल्दीरीन से कहता है कि पता लगाओ यह पिल्ला किसका है। इसके पीछे उसकी कर्तव्यपराणयता की भावना नहीं, बल्कि बदनीयती थी। वह कुत्ते के मालिक का पता लगाकर उस पर जुर्माना लगाने के बहाने उससे कुछ पैसे ऐंठना चाहता था।

प्रश्न 4. ओचुमेलॉव गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर था। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- बावर्ची प्रोखोर द्वारा कुत्ते को पहचानने से पूर्व इंसपेक्टर ओचुमेलॉव कह रहा था कि अब अधिक जाँचने की ज़रूरत नहीं है। यह आवारा कुत्ता है। आवारा है, तो है। इसे मार डालो और सारा किस्सा खत्म करो, परंतु जैसे ही प्रोखोर ने बताया कि कुत्ता जनरल के भाई साहब का है, तो उसने कहा तो यह उनका कुत्ता है। बड़ी खुशी हुई… इसे ले जाइए… यह तो एक अति सुंदर डॉगी है। बहुत खूबसूरत पिल्ला है। अब ख्यूक्रिन को धमकाना शुरू कर दिया। इस तरह वह अवसरवादी था जो मौका देखकर प्रतिक्रया देता था।

प्रश्न 5. ‘गिरगिट’ कहानी अपने उद्देश्य में कितनी सफल रही है?

उत्तर- ‘गिरगिट’ कहानी का उद्देश्य है-शासन व्यवस्था की कमियाँ, आम आदमी की स्थिति तथा ओचुमेलॉव जैसे भ्रष्ट अधिकारियों, येल्दीरीन जैसे चापलुस कर्मचारियों का असली चेहरा समाज के सामने लाना। कहानी में संकेत किया गया है कि अच्छी शासन व्यवस्था वह होती है, जो समानता के सिद्धांत पर चलती है, अमीर-गरीब, ऊँच-नीच को एक समान दृष्टि से देखती है तथा न्याय का साथ देती है पर कहानी में वर्णित शासन व्यवस्था में तो सब कुछ उल्टा है। इंसपेक्टर ओचुमेलॉव जिस पर शांति व्यवस्था एवं कानून बनाए रखने की जिम्मेदारी है, वह खुद स्वार्थपरता, अवसरवादिता तथा पक्षपात करने की सारी सीमाएँ पार कर जाते हैं तथा उनके अधीनस्थ कर्मचारी गण भी उनका साथ देते हैं। इस तरह यह कहानी अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल रही है।

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