टोपी शुक्ला Important Questions || Class 10 Hindi (Sanchayan) Chapter 3 in Hindi ||

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पाठ – 3

टोपी शुक्ला

In this post we have mentioned all the important questions of class 10 Hindi (Sanchayan) chapter 3 टोपी शुक्ला in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 10 के हिंदी (संचयन) के पाठ 3 टोपी शुक्ला  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectहिंदी (संचयन)
Chapter no.Chapter 3
Chapter Nameटोपी शुक्ला
CategoryClass 10 Hindi (Sanchayan) Important Questions
MediumHindi
Class 10 Hindi (Sanchayan) Chapter 3 टोपी शुक्ला Important Questions

Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 1. इफ्फ़न-टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?

उत्तर- इफ्फुन ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि टोपी शुक्ला की पहली दोस्ती इफ्फुन के साथ ही हुई थी। इफ्फ़न के बिना टोपी शुक्ला का जीवन अधूरा है। इफ्फ़न के बिना टोपी की कहानी को समझा नहीं जा सकता। दोनों अलग-अलग मज़हब के होते हुए भी एक-दूसरे से अटूट रूप से जुड़े हुए हैं।

प्रश्न 2. इफ्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?

उत्तर- इफ्फ़न की दादी पीहर इसलिए जाना चाहती थीं क्योकि वे जमींदार परिवार की बेटी थीं। उनके पीहर में घी, दूध व दही की भरमार थी। उन्होंने शादी से पहले पीहर में खूब दूध-दही खाया था। बाद में वे लखनऊ के मौलवी से ब्याही गई थीं जहाँ उन्हें अपनी मौलवी पति के नियंत्रण में रहना पड़ता था। पीहर जाने पर वे स्वतंत्र अनुभव करती थीं, और लपड़-शपड़ जी भर कर दूध-दही खाती थीं। इसी कारण उनका मन हर समय पीहर जाने को तरसता था।

प्रश्न 3. इफ्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं?

उत्तर- इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी इसलिए नहीं कर पाई, क्योंकि दादी का विवाह एक मौलवी परिवार में हुआ था और मौलवियों में शादी-विवाह के समय जश्न मनाने या गाने-बजाने का रिवाज़ नहीं था।

प्रश्न 4. ‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर- टोपी शुक्ला के घरवाले आधुनिक होने के साथ-साथ कट्टर हिंदू भी थे। ‘अम्मी’ शब्द मुसलमानों के घर में इस्तेमाल होता है किंतु जब टोपी शुक्ला के मुख से “अम्मी” शब्द सुना गया तब घरवालों के होश उड़ गए। उनकी परंपराओं की दीवार डोलने लगी। उनका धर्म संकट में पड़ गया। सभी की आँखें टोपी के चेहरे पर जम गईं कि उनकी संस्कृति के विपरीत यह शब्द घर में कैसे आ गया। जब टोपी ने बताया कि यह उसने अपने दोस्त इफ़्फ़न के घर से सीखा है तो उसकी माँ व दादी ने उसकी खूब जमकर पिटाई की।

प्रश्न 5. दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?

उत्तर- दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का वैसे तो कोई भी महत्त्व नहीं है, लेकिन यह दिन टोपी के जीवन में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसी तारीख को इफ़्फ़न के पिता को तबादला मुरादाबाद हो गया था। यह तबादला इफ़्फ़न की दादी के देहांत के थोड़े दिनों बाद ही हुआ था। अब टोपी बिलकुल अकेला हो गया था, क्योंकि इफ़्फ़न के पिता की जगह आने वाले नए कलेक्टर के तीनों बेटों में से किसी ने भी उससे दोस्ती नहीं की थी।

प्रश्न 6. टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही ?

उत्तर- टोपी की दादी का स्वभाव अच्छा न था। वह हमेशा टोपी को डॉटती-फटकारती थीं व कभी भी उससे प्यार से बात न करती थीं। टोपी की दादी परंपराओं से बँधे होने के कारण कट्टर हिंदू थीं। वे टोपी को इफ्फ़न के घर जाने से रोकती थीं। दूसरी ओर इफ्फ़न की दादी बहुत नरम स्वभाव की थीं जो बच्चों पर क्रोध करना नहीं जानती थीं। इसी स्नेह के कारण टोपी इफ्फन से अपनी दादी बदलने की बात करता है। उनकी बोली भी टोपी को अच्छी लगती थी।

प्रश्न 7. पूरे घर में इफ्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?

उत्तर- पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह था। प्यार तो उसे अपने अब्बू, अम्मी, अपनी बाजी तथा छोटी बहन से भी था, पर ये सभी उसे कभी-कभार तो डाँट ही देते थे। दादी ने उसका दिल कभी नहीं दुखाया। वह रात को उसे तरह-तरह की कहानियाँ भी सुनाया करती थी इसलिए वह अपनी दादी से बहुत प्यार करता था।

प्रश्न 8. इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?

उत्तर- इफ़्फ़न की दादी स्नेहमयी थीं। वह टोपी को बहुत दुलार करती थीं। टोपी को भी स्नेह व अपनत्व की जरूरत थी। टोपी जब भी इफ्फन के घर जाता था, वह अधिकतर उसकी दादी के पास बैठने की कोशिश करता था क्योंकि उस घर में वही उसे सबसे अच्छी लगती थीं। दादी के देहांत के बाद टोपी के लिए वहाँ कोई न था। टोपी को वह घर खाली लगने लगा क्योंकि इफ्फ़न के घर का केवल एक आकर्षण था जो टोपी के लिए खत्म हो चुका था। इसी कारण टोपी को इफ्फन की दादी का देहांत के बाद उसका घर खाली-खाली-सा लगने लगा।

प्रश्न 9. टोपी और इफ्फ़न की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे, पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।

उत्तर- बच्चा कोमल तथा निष्कपट स्वभाव का होता है। उसके लिए मजहब और जाति का कोई महत्त्व नहीं होता। वह तो इन सब बातों से अनजान होता है। उसे जहाँ भी प्यार और ममता मिलती है, उसी ओर बरबसे आकर्षित हो जाता है इसलिए तो इफ्फन की दादी का स्नेह और ममता टोपी को मज़हब और जाति की दीवारों के पार अपनी ओर खींच लेती है और दोनों अनजान होते हुए भी एक अटूट रिश्ते में बँध जाते हैं।

प्रश्न 10. टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए-

  • ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे?
  • एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
  • टोपी की भावनात्मक परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।

उत्तर-

1. टोपी ज़हीन अर्थात् बहुत तेज़, होशियार व मेहनती लड़का था किंतु फिर भी वह नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था। इसके दो कारण थे

  • पहले साल तो वह पढ़ ही नहीं पाया क्योंकि घर के सदस्य उससे अपने-अपने काम करवाते थे जिस कारण उसे पढ़ने का समय ही न मिल पाता था।
  • दूसरे साल उसे टाइफाइड हो गया इस कारण वह पास न हो पाया था।

2. एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को निम्नलिखित भावनात्मक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा

  • वह अकेला पड़ गया था क्योंकि उसके दोस्त दसवीं कक्षा में थे और इसमें उसका कोई नया दोस्त नहीं बन पाया।
  • वह शर्म के कारण किसी के साथ अपने दिल की बात न कर पाता था।
  • वह अध्यापकों की हँसी का पात्र होता था क्योंकि कक्षा में आने पर अध्यापक कमज़ोर लड़कों के रूप में  उसका उदाहरण देते और उसे अपमानित करते हुए व्यंग्य करते थे।
  • कक्षा के छात्र भी उसका मज़ाक उड़ाते थे।

3. टोपी के भावनात्मक परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में कुछ आवश्यक बदलावों की आवश्यकता     है। सुझाव इस प्रकार हैं|

  • किसी भी छात्र को एक ही कक्षा में दो बार फेल नहीं करना चाहिए, दूसरी बार उसे अगली कक्षा में बैठा देना चाहिए।
  • छात्र जिस विषय में पास न हो रहा हो, उसे उससे हटा दिया जाए। विषय चुनाव की छूट मिलनी चाहिए।
  • बच्चों को अंकों के आधार पर नहीं अपितु ग्रेड के आधार पर अगली कक्षा में भेज देना चाहिए ताकि वह अपनी       स्थिति पहचान कर मेहनत कर सके।
  • अध्यापकों को कड़ा निर्देश देना चाहिए कि कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को अपमानित न कर उनका हौसला बढ़ाते हुए उनकी मदद करें।

प्रश्न 11. इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?

उत्तर- इफ्फ़न की दादी पूर्वी राज्य की रहने वाली थी, लेकिन वह विवाह के बाद लखनऊ आ गई थीं। विभाजन के समय उनके मायके के लोग भारत में अपना घर छोड़कर कराची (पाकिस्तान) चले गए थे इसलिए दादी का वह घर लावारिस बनकर रह गया था। इसी कारण से दादी के मायके वाले घर पर कस्टोडियन का कब्ज़ा हो गया।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. इफ़्फ़न के पूर्वजों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर- इफ़्फ़न के दादा परदादा बहुत प्रसिद्ध मौलवी थे। वे काफ़िरों के देश में पैदा हुए और काफ़िरों के देश में मरे। वे यह वसीयत करके मरे कि लाश करबला ले जाई जाए। उनकी आत्मा ने इस देश में एक साँस तक न ली। उस खानदान में जो पहला हिंदुस्तानी बच्चा पैदा हुआ वह बढ़कर इफ़्फ़न का बाप हुआ। इसके बाद इफ़्फ़न और अन्य सदस्यों के रूप में यह परिवार भारत को होकर रह गया।

प्रश्न 2. लखनऊ आकर भी इफ्फ़न की दादी की एक विशिष्ट पहचान बनी हुई थी। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इफ़्फ़न की दादी लखनऊ के पूरब की रहने वाली थी। वे जमींदार की बेटी थी जो विवाह के बाद अपनी ससुराल लखनऊ आ गईं। वे यहाँ भी पूरबी बोलती थी। वे हिंदू-मुस्लिम संस्कृति के मेल-जोल का जीता-जागता नमूना थी। वे रोजा-नमाज़ की पाबंद थी, परंतु इकलौते बेटे को जब चेचक निकली तो उन्होंने प्रार्थना की, “माता मोरे बच्चे को माफ़ कर द्यो।’ वे सदा मायके की ही भाषा बोलती रही।

प्रश्न 3. मृत्यु के करीब आने पर इम्फ़न की दादी को क्या-क्या याद आया?

उत्तर- मृत्यु के करीब आने पर इफ़्फ़न की दादी को अपना घर याद आया।

प्रश्न 4. इफ़्फ़न की दादी टोपी को अपने ही परिवार के सदस्यों के उपहास से किस तरह बचाती?

उत्तर- टोपी जबे इफ्फ़न के घर जाता तो वह इफ्फ़न की दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता। वह इफ्फ़न की अम्मी और उसकी बाजी के पास न जाता न बैठता। वे दोनों प्रायः टोपी को उसकी बोली के लिए छेड़ती और हँसती। जब बात बढ़ने लगती तो दादी ही बीच-बचाव करती और कहती कि तू उधर जाता ही क्यों है। इस तरह वे टोपी को अपने परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए उपहास से टोपी को बचाती थी।

प्रश्न 5. टोपी के पिता को भी यह पसंद नहीं था कि टोपी इफ़्फ़न से दोस्ती रखे, पर उन्होंने इसका फ़ायदा कैसे उठाया?

उत्तर- टोपी के पिता और घर के अन्य सदस्यों को बिलकुल भी यह पसंद नहीं था कि टोपी किसी मुसलमान के लड़के से दोस्ती करे या उसके घर आए-जाए पर टोपी को जाति-धर्म से क्या लेना-देना था। टोपी के पिता ने जैसे ही जाना कि इफ्फ़न के पिता कलेक्टर हैं तो उन्होंने अपने क्रोध को दबाया और तीसरे दिन ही दुकान के लिए कपड़े और चीनी का परमिट ले आए।

प्रश्न 6. टोपी एक दिन के लिए ही सही अपने बड़े भाई मुन्नी बाबू से क्यों बड़ा होना चाहता था?

उत्तर- इफ़्फ़न से दोस्ती करने के कारण जब टोपी की पिटाई हो रही थी तभी उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू ने दादी से शिकायत करते हुए कहा था कि यह (टोपी) एक दिन रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खा रहा था तो टोपी को बहुत गुस्सा आया, क्योंकि वह कबाब को हाथ तक नहीं लगाता है। कबाब तो स्वयं मुन्नी बाबू ने खाया था। यह बात घर न बताने के लिए उसने इकन्नी रिश्वत दी थी। इसका मजा चखाने के लिए टोपी मुन्नी बाबू से बड़ा होना चाहता था।

प्रश्न 7. प्रेम जाति और उम्र का बंधन नहीं मानता है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- टोपी और इफ्फ़न की दादी में घनिष्ठ प्रेम था। टोपी कट्टर हिंदूवादी ब्राहमण परिवार का था तो इफ्फ़न की दादी पक्की रोज़ा-नमाज़ रखने वाली। यह भेद भी इन दोनों को एक-दूसरे से प्रेम करने से न रोक सका। एक ओर टोपी आठ साल का था तो इफ्फ़न की दादी बहत्तर साल की थी। इस पर दोनों ने एक-दूसरे को अपना समझा और प्रेम के अटूट बंधन में बँधे। इससे स्पष्ट होता है कि प्रेम जाति और उम्र का बंधन नहीं स्वीकारता है।

प्रश्न 8. टोपी शुक्ला पाठ के आधार पर बताइए कि टोपी को किन-किन से अपनापन मिला? क्या आज के समय में भी ऐसा अपनेपन की प्राप्ति संभव है?

उत्तर- ‘टोपी शुक्ला’ पाठ से पता चलता है कि टोपी को अपने मित्र इफ्फ़न, उसकी दादी और घर की नौकरानी सीता से अपनापन मिलता है। टोपी और इफ्फ़न सहपाठी हैं जो सम-वयस्क हैं और इतने निकट आ जाते हैं कि उन्हें अपनापन मिलने लगता है। इसी प्रकार इफ्फ़न की दादी और सीता ही इफ़्फ़न के दुख को समझती हैं और अपनत्वपूर्ण व्यवहार करती हैं। हाँ, आज के समय में भी ऐसा अपनेपन की प्राप्ति संभव है क्योंकि अपनेपन’ की राह में जाति, धर्म और उम्र आड़े नहीं आ सकते हैं। यह दो लोगों के सोच-विचार और व्यवहार पर निर्भर करता है।

प्रश्न 9. किन बातों से पता चलता है कि टोपी को इफ्फ़न की दादी बहुत प्रिय थीं?

उत्तर- टोपी जब भी इफ्फ़न के घर जाता था तो उसकी दादी के पास ही बैठता था। वह दादी की पूरबी को सुनकर खुश होता था। दादी उसके दुख और उसकी भावनाओं को समझती थीं। इफ़्फ़न की अम्मी और बाजी जब टोपी की हँसी उड़ाती तो दादी बीच-बचाव करके उसे अपने पास बुला लेती थी। वे टोपी को कहानियाँ सुनाते हुए खुश रखती थी। उनके मरने की खबर सुनकर टोपी उदास हो जाता है और रोता है। इन बातों से पता चलता है कि टोपी को इफ़्फ़न की दादी प्रिय थीं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. प्रेम मानवीय रिश्तों की बुनियाद है।’ इसमें उभरने वाले जीवन मूल्यों को टोपी शुक्ला पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए। (मूल्यपरक प्रश्न)

उत्तर- टोपी शुक्ला नामक पाठ से ज्ञात होता है कि टोपी के घर में उसकी दादी उसके माता-पिता के अलावा एक बड़ा और एक छोटा भाई भी है। उसके घर में काम करने वाली सीता और केतकी नामक दो नौकरानियाँ हैं पर टोपी के लिए इस घर में कोई प्रेम नहीं है। टोपी को यह प्रेम अपने मित्र इफ़्फ़न उसकी दादी और अपने घर की नौकरानी सीता से मिलता है।

इस प्रेम के कारण जाति, धर्म, उम्र, पद, मालिक-नौकरानी का भेद नहीं आने पाता है। प्रेम के अभाव में वह अपने घरवालों से रिश्ता नहीं बना पाता है जबकि जहाँ उसे प्रेम मिलता है वहाँ नए रिश्ते बन जाते हैं। टोपी का अपने परिवार के सदस्यों से खून का रिश्ता है पर वहाँ प्रेम नहीं है और जहाँ रिश्ता नहीं है वहाँ प्रेम के कारण नए रिश्ते का अंकुरण हो जाता है। इस प्रकार नि:संदेह कहा जा सकता है कि प्रेम मानवीय रिश्तों की बुनियाद है।

प्रश्न 2. टोपी और इफ्फ़न की दादी के उस प्रेममयी आत्मीय संबंध का वर्णन कीजिए, जिसके कारण टोपी ने इफ्फ़न से कहा कि तुम्हारी दादी की जगह मेरी दादी मर गई होती तो अच्छा होता। (मूल्यपरक प्रश्न)

उत्तर- टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग जाति-धर्म से संबंध रखती थी, पर उनमें इतना गहरा प्रेम और आत्मीय भाव था कि जाति-धर्म का बंधन इसके आगे कहीं ठहर न सका। दोनों ही एक-दूसरे का दुख-दर्द समझते थे। टोपी और दादी के संबंध को इफ्फ़न के दादा जीवित होते तो वह भी इस संबंध को बिलकुल उसी तरह न समझ पाते जैसे टोपी के घरवाले न समझ पाए थे।

दोनों अलग-अलग अधूरे थे। एक ने दूसरे को पूरा कर दिया था। दोनों प्यासे थे। एक ने दूसरे की प्यास बुझा दी थी। दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे। दोनों ने एक-दूसरे का अकेलापन मिटा दिया था। इसी प्रेममयी आत्मीय संबंध के कारण टोपी ने कहा कि तुम्हारी दादी की जगह मेरी दादी मर गई होती तो अच्छा रहता।

प्रश्न 3. बच्चे प्यार के भूखे होते हैं। वे उसी के बनकर रह जाते हैं जिनसे उन्हें प्यार मिलता है। इससे आप कितना सहमत हैं? इफ्फ़न और उसकी दादी के संबंधों के आलोक में स्पष्ट कीजिए। (मूल्यपरक प्रश्न)

उत्तर- इफ्फ़न के परिवार में उसकी दादी, उसके अब्बू-अम्मी और दो बहनें थीं। इफ़्फ़न को अपने अब्बू, अपनी अम्मी, अपनी बाजी और छोटी बहन नुजहत से भी प्यार था ही परंतु दादी से वह जरा ज्यादा प्यार किया करता था। अम्मी तो कभीकभार डाँट मार लिया करती थीं। बाजी का भी यही हाल था। अब्बू भी कभी-कभार घर को कचहरी समझकर फैसला सुनाने लगते थे।

नुजहत को जब मौका मिलता उसकी कापियों पर तसवीरें बनाने लगती थीं। बस एक दादी थी जिन्होंने कभी उसका दिल नहीं दुखाया। वह रात को भी उसे बहराम डाकू, अनार परी, बारह बुर्ज, अमीर हमजा, गुलबकावली, हातिमताई, पंच फुल्ला रानी की कहानियाँ सुनाया करती थीं। मैं इससे पूर्णतया सहमत हूँ कि बच्चे प्यार के भूखे होते हैं। और वे उसी के होकर रह जाते हैं, जिनसे उन्हें प्यार मिलता है।

प्रश्न 4. कुछ बच्चों को अपने माता-पिता के पद और हैसियत का कुछ ज्यादा ही घमंड हो जाता है। इसका मानवीय संबंधों पर क्या असर पड़ता है? इसे रोकने के लिए आप क्या सुझाव देना चाहेंगे? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आलोक में लिखिए। (मूल्यपरक प्रश्न)

उत्तर- इफ्फ़न के पिता कलेक्टर थे। उनका तबादला हो जाने के कारण उनके स्थान पर नए कलेक्टर हरनाम सिंह आए। वे उसी बँगले में रहने लगे जिसमें इफ़्फ़न का परिवार रहता था। जब इफ़्फ़न को याद करके टोपी उस बँगले में पहुँचा तो चौकीदार ने उसे अंदर जाने दिया। वहाँ नए कलेक्टर के तीनों बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। उन्होंने टोपी से अभद्रता से बातचीत ही नहीं की बल्कि मारपीट भी की।

इतना ही नहीं, उन्होंने टोपी पर अपना अलसेशियन कुत्ता भी छोड़ दिया जिसके कारण टोपी को सात सुइयाँ लगवानी पड़ीं। ऐसा उन्होंने अपने कलेक्टर पिता के पद और हैसियत के घमंड में किया। मानवीय संबंधों पर इसका यह असर होता है कि वे चूर-चूर हो जाते हैं।

ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति और बढ़ते घमंड को रोकने के लिए बच्चों को प्रेम, सद्भाव, भाई-चारा, पारस्परिक सद्भाव, सभी को समान समझने की भावना, त्याग जैसे मानवीय मूल्यों की शिक्षा देनी चाहिए तथा इन मूल्यों को बनाए रखते हुए उनके सामने अनुकरणीय उदाहरण भी प्रस्तुत करना चाहिए।

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