वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन Important Questions || Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 4 in Hindi ||

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पाठ – 4

वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

In this post we have mentioned all the important questions of class 9 Hindi (Sparsh) chapter 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 9 के हिंदी (स्पर्श) के पाठ 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

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BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 9
Subjectहिंदी (स्पर्श)
Chapter no.Chapter 4
Chapter Nameवैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन
CategoryClass 9 Hindi (Sparsh) Important Questions
MediumHindi
Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन Important Questions

Chapter 4 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्र शेखर वेंकट रामन

मौखिक

प्रश्न 1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?

उत्तर- रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक जिज्ञासु वैज्ञानिक थे।

प्रश्न 2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी जिज्ञासाएँ उठीं?

उत्तर- समुद्र को देखकर रामन् के मन में उठने वाली दो जिज्ञासाएँ थीं-

  • समुद्र का रंग नीला क्यों होता है?
  • समुद्र का रंग नीला ही होता है, और कुछ क्यों नहीं ?

प्रश्न 3. रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?

उत्तर- रामन् के पिता ने उनमें गणित और भौतिकी विषयों की सशक्त नींव डाली।

प्रश्न 4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?

उत्तर- रामन् वाद्ययंत्रों के अध्ययन द्वारा ध्वनियों के पीछे वैज्ञानिक रहस्य को जानने के अलावा पश्चिमी देशों की उस भ्रांति को तोड़ना चाहते थे कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया हैं। नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरे लेने लगा, तो उन्होंने आगे इस दिशा में प्रयोग किए, जिसका परिणति रामन् प्रभाव की खोज के रूप में हुई।

प्रश्न 5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?

उत्तर- सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की भावना यह थी कि वे सरस्वती की साधना को धन और सुख सुविधा से अधिक महत्त्वपूर्ण मानते थे। वे वैज्ञानिक रहस्यों के ज्ञान को सबसे अधिक मूल्यवान मानते थे।

प्रश्न 6. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?

उत्तर- ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे जो सवाल हिलोरें ले रहा था, वह है-‘समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है?

प्रश्न 7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?

उत्तर- प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया था कि प्रकाश का रूप अति सूक्ष्म परमाणुओं की तीव्र प्रवाहधारा के समान होता है। प्रकाश के कण बुलेट के समान तीव्र प्रवाह से बहते हैं।

प्रश्न 8. रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?

उत्तर रामन् की खोज ने अणुओं और परमाणुओं की संरचना को सरल बनाने का कार्य किया, जिसका आधार एकवर्णीय प्रकाश के वर्षों में परिवर्तन था।

लिखित

प्रश्न 1. कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?

उत्तर- कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा नए-नए वैज्ञानिक प्रयोग करने की थी। वे शोध और अनुसंधान को अपना जीवन समर्पित करना चाहते थे। परंतु उन दिनों यह सुविधा न होने के कारण उनकी इच्छा दिल में ही रह गई।

प्रश्न 2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?

उत्तर- वाद्य यंत्रों पर की गई खोजों के माध्यम से रामन् ने यह भ्रांति तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्य यंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया हैं।

प्रश्न 3. रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था।

उत्तर- रामन् सरकार के वित्त विभाग की बहुत प्रतिष्ठित नौकरी पर थे। वहाँ वेतन तथा सुख-सुविधाएँ बहुत आकर्षक थीं। जब उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफ़ेसर पद को स्वीकार करने का प्रस्ताव मिला तो उनके लिए यह निर्णय करना कठिन हो गया कि वे कम वेतन और कम सुविधाओं वाले प्रोफ़ेसर पद को अपनाएँ या सरकारी पद पर बने रहें।

प्रश्न 4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?

उत्तर- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया-

  • 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता
  • 1929 में सर की उपाधि
  • 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार
  • रोम का मेत्यूसी पदक
  • रॉयल सोसाइटी का यूज़ पदक
  • फिलोडेल्फिया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक
  • रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार
  • 1954 में भारत-रत्न सम्मान

प्रश्न 5. रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर- रामने को मिलने वाले पुरस्कारों से भारतीयों का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ा। उनमें विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ी। कितने ही युवा वैज्ञानिक शोध कार्यों की ओर बढ़े। एक प्रकार से भारत की सोई हुई वैज्ञानिक चेतना एकाएक जाग्रत हो उठी।

प्रश्न 6. रामन् के प्रारंभिक शोधकार्यों को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?

उत्तर- रामन् के शोधकार्य को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया है, क्योंकि रामन् नौकरी करते थे, जिससे उनके पास समय का अभाव था। फिर भी वे प्रारंभिक शोधकार्य हेतु कलकत्ता (कोलकाता) की उस छोटी-सी प्रयोगशाला में जाया करते थे, जिसमें साधनों का नितांत अभाव था। फिर भी रामन् अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर इन्हीं काम चलाऊ उपकरणों से शोधकार्य करते थे।

प्रश्न 7. रामन् की खोज ‘रामन् प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘रामन् प्रभाव’ का आशय है उनके द्वारा खोजा गया सिद्धांत। उन्होंने खोज करके बताया कि जब प्रकाश की एकवर्णीय किरणें किसी तरल पदार्थ या ठोस रवों के अणुओं-परमाणुओं से टकराती हैं तो उनकी ऊष्मा में या तो कमी हो जाती है, या वृद्धि हो जाती है। इस कमी या वृद्धि की मात्रा के साथ उनके रंग में भी अंतर आ जाता है। बैंजनी रंग की किरणों में सर्वाधिक ऊर्जा होती है, इसलिए इसके रंग में भी सर्वाधिक अंतर आता है। लाल रंग में न्यूनतम ऊर्जा होती है, इसलिए इसमें न्यूनतम परिवर्तन होता है। इस सिद्धांत से किसी भी अणु या परमाणु की आंतरिक संरचना की सटीक जानकारी मिल सकती है।

प्रश्न 8. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?

उत्तर- ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य संभव हो सके-

  • पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाने लगा।
  • प्रयोगशाला में पदार्थों का संश्लेषण सरल हो गया।
  • अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो गया।

प्रश्न 9. देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने देश को वैज्ञानिक दृष्टि तथा चिंतन प्रदान किया। इस दिशा में पहले उन्होंने स्वयं सांसारिक सुख-सुविधा त्यागकर प्रयोग साधना की। उन्होंने रामन् प्रभाव की खोज करके भारत का नाम ऊँचा किया। फिर उन्होंने बंगलौर में एक शोध संस्थान की स्थापना की। उन्होंने अनुसंधान संबंधी दो पत्रिकाएँ भी चलाईं। उन्होंने अनेक नवयुवकों को शोध करने की प्रेरणा दी और मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने संदेश दिया कि हम अपने आसपास की घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टि से निहारने का प्रयास करें। इस प्रकार उन्होंने देश के चिंतन को विज्ञान की दिशा प्रदान की।

प्रश्न 10. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से सुविधाओं की कमी अर्थात अभावग्रस्त जीवन में भी सदैव आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलती है। हमें विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी अभिरुचि एवं सपनों को साकार करने के लिए लगन एवं दृढ़विश्वास से कार्य करने का संदेश मिलता है। इसके अलावा विश्वविख्यात होने पर भी सादगीपूर्ण जीवन जीने तथा अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के संदेश के अलावा दूसरों की मदद करने का संदेश भी मिलता है।

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1. उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।

उत्तर- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् सच्चे सरस्वती साधक थे। वे जिज्ञासु वैज्ञानिक तथा अन्वेषक थे। उनके लिए वैज्ञानिक खोजों का महत्त्व सरकारी सुख-सुविधाओं से अधिक था। इसलिए उन्होंने वित्त विभाग की ऊँची नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय की कम सुविधा वाली नौकरी स्वीकार कर ली।

प्रश्न 2. हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।

उत्तर- हमारे आस-पास के वातावरण में अनेक चीजें बिखरी हैं, पर हमारा ध्यान उनकी ओर नहीं जाता। पेड़ से सेब गिरना, समुद्र का नीला होना लोग सदियों से देखते आ रहे हैं, पर न्यूटन और रामन् के अलावा किसी का ध्यान उस ओर नहीं गया। वास्तव में इन चीजों को देखने, उन्हें सही ढंग से सँवारने के लिए योग्य व्यक्तियों की सदैव जरूरत रहती है।

प्रश्न 3. यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।

उत्तर- बिना साधनों के बलपूर्वक इच्छापूर्वक किसी साधना को करते चले जाना हठयोग कहलाता है। सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् भी ऐसे हठयोगी थे जिन्होंने सरकारी नौकरी में रहते हुए भी कलकत्ता की एक कामचलाऊ प्रयोगशाला में प्रयोग साधना जारी रखी। यद्यपि प्रयोगशाला में साधनों और उपकरणों का अभाव था और रामन् के पास समय का अभाव था, फिर भी वे प्रयोग करने में लगे रहे। इसे हठयोग कहना सर्वथा उचित है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लेखक ने किसकी प्रयोगशाला को अनूठी कहा है और क्यों ?

उत्तर- लेखक ने ‘इंडियन एशोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन आफ साइंस’ की प्रयोगशाला को अनूठी कहा है क्योंकि यह प्रयोगशाला सीमित साधनों के होते हुए भी अपना कामकर रही थी जबकि इसके उद्देश्य बहुत ऊँचे थे।

प्रश्न 2. प्रयोगशाला में रामन् के काम करने की तुलना हठयोग से क्यों की गई है?

उत्तर- ‘इंडियन एशोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में रामन् उपकरणों के अभाव में कष्ट साध्य शोधकार्य करते रहे। उन्होंने मानो सफलता पाने के लिए हठकर रखा हो। रामन् की इस लगन एवं कष्ट साध्य परिस्थितियों में काम करने की धुन के कारण ही हठयोग से तुलना की गई है।

प्रश्न 3. नौकरी से बचे समय को रामन् कैसे बिताते थे?

उत्तर- नौकरी से बचे समय में अपनी इच्छाओं और स्वाभाविक रुझान के कारण कलकत्ता के बहू बाजार में आते और डॉक्टर महेंद्रलाल सरकार द्वारा स्थापित प्रयोगशाला में शोधकार्य में जुट जाते थे। वे अपनी इच्छाशक्ति से भौतिक विज्ञान को समृद्ध करने का प्रयास करते थे।

प्रश्न 4. समुद्र यात्रा के दौरान राम के मन में कौन-सी जिज्ञासा बलवती हो उठी?

उत्तर- अपनी समुद्र यात्रा के दौरान जहाज़ के डेक पर खड़े रामन ने देखा कि समुद्र का नीला जल दूर-दूर तक फैला है। यह जल नीला ही क्यों दिखाई देता है? यह जिज्ञासा उनके मन में बलवती हो उठी और वे इसका उत्तर पाने के प्रयास में जुट गए।

प्रश्न 5. रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में क्रांति के समान क्यों मानी जाती है?

उत्तर- रामन् ने अपने कठिन परिश्रम द्वारा किए गए प्रयोगों से सिद्ध कर दिया कि प्रकाश की प्रकृति के पारे में आइंस्टाइन के विचार सही थे कि प्रकाश अति सूक्ष्म तीव्र कणों की धारा के समान है जबकि आइंस्टाइन के पूर्ववर्ती वैज्ञानिकों का मानना था कि प्रकाश एक तरंग के रूप में होता है।

प्रश्न 6. रामन् ने अपने प्रयोगों से विभिन्न वर्गों पर प्रकाश के प्रभाव के बारे में क्या सिद्ध कर दिया?

उत्तर- रामनु ने अपने प्रयोगों से यह सिद्ध कर दिया कि एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंगनी रंग के प्रकाश में होती है। उसके बाद नीले, आसमानी, हरे, पीले नारंगी और लाल रंग के वर्ण का नंबर आता है। एक वर्षीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुजरते हुए जिस परिमाण में ऊर्जा खोता या पाता है उसी हिसाब से उसका वर्ण बदलता है।

प्रश्न 7. ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ और ‘इंफ्रारेडस्पेक्ट्रोस्कोपी’ में क्या अंतर है, पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ तकनीक अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इस जानकारी के कारण पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना और अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम निर्माण संभव हो गया जबकि इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी मुश्किल तकनीक थी जिसमें गलतियों की संभावना बहुत ज्यादा रहती थी।

प्रश्न 8. सरकारी नौकरी करने वाले रामन् कलकत्ता विश्वविद्यालय तक कैसे पहुँचे?

उत्तर- रामन् भारत सरकार के वित्तविभाग में उच्च एवं प्रतिष्ठित पद पर नौकरी करते थे। उसी समय के प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री आशुतोष मुखर्जी को रामन् की प्रतिभा के बारे में पता चला। संयोग से उन्हीं दिनों कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद नवसृजित हुआ था। आशुतोष मुखर्जी जब रामन् के पास प्रोफेसर पद का प्रस्ताव लेकर गए तो रामन् ने स्वीकार कर लिया और कलकत्ता आ गए।

प्रश्न 9. रामन् की सफलता में उनके पिता के योगदान को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रामन् की सफलता में उनके पिता का अविस्मरणीय योगदान रहा है। वे भौतिक व गणित के शिक्षक थे। उन्होंने इन दोनों विषयों की शिक्षा रामन् को दी जिससे इन विषयों में गहरी रुचि एवं वैज्ञानिक बनने की लालसा ने जन्म लिया। वास्तव में उनके पिता ने उनकी सफलता की नींव रख दी थी।

प्रश्न 10. उन कारणों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण रामनु ने सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।

उत्तर- रामन ने अपने समय के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की तरह सरकारी नौकरी कर लिया, पर उनके मन में वैज्ञानिक शोध कार्यों के प्रति रुचि यथावत बनी रही। इसके अलावा उन्होंने पैसों को अपनी रुचि पर हावी नहीं होने दिया। उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन का जैसे ही अवसर मिला उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. चंद्रशेखर वेंकट रामन् को वैज्ञानिक चेतना का वाहक क्यों कहा गया है? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- चंद्रशेखर वेंकट रामन् अत्यंत प्रतिभाशाली और अनुसंधान के प्रति पूर्णतया समर्पित वैज्ञानिक थे। उन्होंने भारत सरकार के वित्तमंत्रालय में उच्च सुविधावाली प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में इसलिए नौकरी कर ली ताकि वे शोध के लिए भरपूर समय निकाल सके। इसके अलावा उन्होंने खुद को प्रयोगों एवं शोधपत्रों तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि अपने भीतर राष्ट्रीय चेतना बनाए रखते हुए देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित रहे। उन्होंने सैकड़ों छात्रों की मदद उनके शोध में की। इन कारणों से रामन् को वैज्ञानिक चेतना का वाहक कहा गया है।

प्रश्न 2. रामन् को ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की प्रेरणा कहाँ से मिली? इसकी स्थापना का उद्देश्य क्या था?

उत्तर- चंद्रशेखर वेंकट रामन् भले ही विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन गए परंतु उन्हें हमेशा अपने वे दिन याद रहे जब उन्हें अच्छी प्रयोगशाला और उन्नत उपकरणों की कमी में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा। अभावग्रस्त दिनों की याद तथा उस समय के संघर्ष से रामन् को ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की प्रेरणा मिली। इसकी स्थापना का उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को आवश्यक उपकरण और सुविधाएँ उपलब्ध करवाना था ताकि शोध कार्यों के लिए प्रेरित होकर आगे आएँ और किसी नए रहस्य का पता लगाएँ।

प्रश्न 3. अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए रामन् ने अपना योगदान किस तरह दिया? इससे छात्रों को क्या लाभ हुए?

उत्तर- रामन् ने ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नामक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध-संस्थान की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध-पत्रिका की शुरुआत की। इसके अलावा रामन् ने अपने जीवन में सैकड़ों शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया। इन छात्रों ने आगे आने वाले छात्रों की मदद की। इससे उन्होंने अच्छा काम ही नहीं किया बल्कि कई छात्रों ने उच्च पदों को सुशोभित किया। विज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु उन्होंने करेंट साइंस नामक पत्रिका का संपादन भी किया।

प्रश्न 4. रामन् द्वारा खोजे गए रामन् प्रभाव के कारण उनकी प्रसिधि और सम्मान पर क्या असर पड़ा? पठित पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रामन् द्वारा खोजे गए रामन् प्रभाव के कारण उनकी गणना विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों में होने लगी। उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। सन् 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि दी गई। अगले ही साल उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार‘भौतिकी में नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उन्हें रोम का मेत्यूसी पदक, रायल सोसाइटी का यूज पदक, फिलोडेल्फिया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक, सोवियत रूस का लेनिन पुरस्कार आदि के साथ ही 1954 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया। इस प्रकार उनकी प्रसिद्धि और सम्मान अत्यधिक बढ़ चुका था।

प्रश्न 5. रामन् ने वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा क्या सिद्ध किया और क्यों? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रामन् को सरकारी नौकरी से जो अवकाश मिलता था उसका उपयोग वे कलकत्ता की बहू बाजार स्थित प्रयोगशाला में शोध करते हुए बिताया करते थे। यहीं पर रामन् को झुकाव वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्य की तरफ़ हुआ। उन्होंने अनेक भारतीय वाद्य यंत्रों जैसे-वीणा, तानपुरा, मृदंगम का गहन अध्ययन किया। इसके अलावा उन्होंने वायलिन और पियानो जैसे विदेशी वाद्ययंत्रों को भी अपने शोध का विषय बनाया और यह सिद्ध कर दिखाया कि भारतीय वाद्य विदेशी वाद्य यंत्रों की तुलना में घटिया नहीं हैं। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि तब भारतीय वाद्य यंत्रों के बारे में ऐसी ही भ्रांति फैली हुई थी।

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