पाठ – 3
Important Questions
बंधुत्व, जाति तथा वर्ग: आरंभिक समाज
In this post we have mentioned all the important questions of class 12 (History) chapter 3 in Hindi
इस पोस्ट में क्लास 12 के इतिहास के पाठ 3 बंधुत्व, जाति तथा वर्ग: आरंभिक समाज के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं इतिहास विषय पढ़ रहे है।
1 अंक वाले प्रश्न
प्रश्न 1. महाकाव्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
उत्तर : महाभारत एक गतिशील महाकाव्य है जिसमें कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध का वर्णन है
प्रश्न 2. मनु स्मृति का महत्व बताएं?
उत्तर : ‘मनुस्मृति’ ही हिन्दू समाज का मूल ग्रंथ है जिसके आधार पर हिन्दू समाज चलता है.
प्रश्न 3. महाभारत का युद्ध क्यों हुआ व इसका परिणाम क्या हुआ?
उत्तर : महाभारत एक गतिशील महाकाव्य है जिसमें कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध का वर्णन है महाभारत युद्ध के परिणाम स्वरूप पांडव संख्या में कम होने के बावजूद जीत गए और कौरव संख्या में पांडवों से कहीं अधिक होने के बाद भी हार गए। इसका कारण उनके कर्म को माना गया। नीति और अनीति की राह पर चलने को माना गया।
प्रश्न 4. कुल तथा जाति का क्या अर्थ है?
उत्तर : ‘जाति’ एक समान नाम वाले परिवारों का संग्रह या समूह है जो अपने आपको किसी मानव या दैवी कल्पित पूर्वज की संतान मानते हैं, जो अपना परम्परागत काम करते हैं और जो विद्धानों के मतानुसार एक ही सजातीय समूह का रूप धारण करते हैं।कुल संस्कृत ग्रंथों में परिवार को कुल कहा जाता था
एक ही पूर्व पुरुष से उत्पन्न व्यक्तियों का वर्ग या समूह वंश ; ख़ानदान ; घराना
प्रश्न 5. अंतर्विवाह से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : गोत्र के अंदर विवाह करना हि अंतर्विवाह कहलाता है
प्रश्न 6. चाण्डाल किसे कहा जाता था?
उत्तर : अस्पृश्य लोगो को ही चांडाल कहा जाता था
प्रश्न 7. धर्म शास्त्र क्या थे?
उत्तर : समाज के बदलती हुई परिस्थितियों और लोगों के बीच बढ़ते मेलजोल को देखते हुए ब्राह्मणों ने कुछ नियमों और कायदे कानूनों को बनाया इन कायदे कानूनों और नियमों के समूह को आचार संहिता कहा जाता था इनका संकलन 520 ईस्वी में धर्म सूत्र तथा धर्म शास्त्र नामक संस्कृत ग्रंथों में किया गया
प्रश्न 8. विवाह संबंधित ‘बर्हिविवाह पद्धति’ का क्या अर्थ है?
उत्तर : एक गोत्र से दूसरे गोत्र में विवाह करने की पद्धति को बहिर विवाह कहा जाता था
प्रश्न 9. ब्राह्मणी पद्धति के अनुसार गोत्र संबंधित कोई एक नियम लिखिए?
उत्तर : हिंदू धर्म में मुख्य रूप से ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक हिंदू किसी ना किसी एक ऋषि की संतान है
प्रश्न 10. महाभारत के मूल लेखक कौन थे?
उत्तर : भाट सारथी
प्रश्न 11. मातृनाम के उदाहरण किस उपनिषद में मिलते हैं?
उत्तर : मुंडकोपनिषद् दो-दो खंडों के तीन मुंडकों में, अथर्ववेद के मंत्रभाग के अंतर्गत आता है।
प्रश्न 12. बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ कौन से हैं?
उत्तर : बौद्ध धर्म के मुख्य ग्रंथ सुत्तपिटक
प्रश्न 13. धर्म शास्त्रों के अनुसार स्त्री धन किसे कहा गया?
उत्तर : पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति पर पुत्र का अधिकार होता है
प्रश्न 14. वर्ण व्यवस्था में कुल कितने वर्ण होते हैं?
उत्तर : धर्म सूत्र और धर्म शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मणों ने समाज को 4 वर्णों में बांटा थ
प्रश्न 15. आख्यान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : आख्यान कथा अथवा कहानी के अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है।
3 अंक वाला प्रश्न
प्रश्न 1. महाभारत के महत्व पर प्रकाश डालिए?
उत्तर :
- महाभारत एक गतिशील महाकाव्य है जिसमें कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध का वर्णन है
- महाभारत की रचना
- शुरुआत में महाभारत में लगभग 8800 श्लोक थे पर समय के साथ-साथ यह संख्या बढ़कर एक लाख तक हो गई
- ऐसा माना जाता है कि महाभारत का निर्माण हजार सालों में किया गया है
- इन दोनों बातों को ध्यान में रख कर एक बात स्पष्ट होती है कि महाभारत का निर्माण किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं
- मूल लेखक भाट सारथी
- मुख्य साहित्य लेखक वेदव्यास को माना जाता है
- पुराने समय में इसे जयसंहिता कहा जाता था
प्रश्न 2. ‘महाभारत कालीन समाज पुरुष प्रधान था’ इसकी तर्क देकर समझाइए?
उत्तर :
- पितृवंशिकत
- इस व्यवस्था के अनुसार समाज में पुरुष को अधिक महत्व दिया जाता है
- इस परंपरा के अनुसार
- घर का मुखिया पुरुष होता है
- सभी मुख्य फैसले लेने की शक्ति और पुरुष के पास होती है
- पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति पर पुत्र का अधिकार होता है
- पुत्र ना होने की स्थिति में भाई या बंधु को उत्तराधिकारी बनाया जाता है
प्रश्न 3. महाभारत के मूल व प्रचलित लेखक कौन से थे? व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
- मूल लेखक भाट सारथी
- महाभारत का मूल लेखक भाट सारथी को माना जाता है
- भाट सारथी
- वे लोग जो योद्धाओं के साथ युद्ध भूमि में जाते थे भाट सारथी कहलाते थे
- फिर वह युद्ध भूमि में घटित हर घटना का वर्णन लिखा करते थे
- मुख्य साहित्य लेखक वेदव्यास को माना जाता है
- वेदव्यास ने ही महाभारत को साहित्यिक रूप दिया
- लगभग 200 ईसा पूर्व इसमें मनुस्मृति के कुछ अंशों को जोड़ा गया
- इसके बाद इसमें श्री कृष्ण और भागवत गीता के उपदेशों को शामिल किया गया
- महाभारत का निर्माण काल 500 ईसा पूर्व से 500 ईसवी माना जाता है
- पुराने समय में इसे जयसंहिता कहा जाता था
प्रश्न 4. महाभारत कालीन समाज में विवाह से संबंधित नियम लिखिए?
उत्तर :
- गौत्र के आधार पर विवाह के प्रकार
- बहिर विवाह – एक गोत्र से दूसरे गोत्र में विवाह करने की पद्धति को बहिर विवाह कहा जाता था
- अंतर विवाह – एक समान गोत्र, कुल या जाति के लोगों में विवाह की स्थिति को अंतर विवाह कहा जाता था
- बहुपति प्रथा – यह वह स्थिति थी जिसमें एक स्त्री के अनेकों पति होते थे
- बहुपत्नी विवाह – इस विवाह के अंदर एक ही पुरुष की अनेकों पत्नियां हुआ करती थी
- धर्म सूत्र और धर्म शास्त्रों के अनुसार आठ प्रकार के विवाह होते थे
- ब्रह्म विवाह (अरेंज मैरिज)
- दोनों पक्षों की सहमति के साथ कन्या का विवाह करना ब्रह्म विवाह कहलाता है
- देव विवाह
- किसी धार्मिक अनुष्ठान के मूल्य के रूप में अपनी कन्या को दान में दे देना देव विवाह कहलाता है
- अर्श विवाह
- कन्या के माता-पिता को कन्या का मूल्य (दहेज, गोदान) देकर कन्या से विवाह करना अर्श विवाह कहलाता है
- प्रजापत्य विवाह
- कन्या की सहमति के बिना उसका विवाह अभिजात्य वर्ग अर्थात उच्च वर्ग के वर से कर देना प्रजापत्य विवाह कहलाता है
- गंधर्व विवाह
- परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना किसी रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना गंधर्व विवाह कहलाता है
- असुर विवाह
- कन्या को खरीदकर विवाह कर लेना असुर विवाह कहलाता है
- राक्षस विवाह
- कन्या की सहमति के बिना उसका अपहरण करके जबरदस्ती विवाह कर लेना राक्षस विवाह कहलाता
- पैशाच विवाह
- कन्या की मदहोशी (गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता आदि) का लाभ उठा कर उससे शारीरिक सम्बंध बना लेना और उससे विवाह करना ‘पैशाच विवाह’ कहलाता है।
- इन विवाहों में से पहले चार विवाहों को सही माना जाता था जबकि बाकी के चार विवाहों को गलत माना जाता था
- ऐसा माना जाता था कि जो लोग आखिर के 4 विवाह करते हैं वह ब्राह्मणों के नियमों का पालन नहीं करते और वह समाज से अलग है
- ब्रह्म विवाह (अरेंज मैरिज)
- देव विवाह
- अर्श विवाह
- प्रजापत्य विवाह
- गंधर्व विवाह
- असुर विवाह
- राक्षस विवाह
- पैशाच विवाह
- इन विवाहों में से पहले चार विवाहों को सही माना जाता था जबकि बाकी के चार विवाहों को गलत माना जाता था
- ऐसा माना जाता था कि जो लोग आखिर के 4 विवाह करते हैं वह ब्राह्मणों के नियमों का पालन नहीं करते और वह समाज से अलग है
प्रश्न 5. ब्राह्मणीय पद्धति में स्त्रियों का गोत्र कैसे निर्धारित किया जाता था?
उत्तर :
- समान गोत्र के सदस्य आपस में विवाह नहीं कर सकते क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वह आपस में बहन भाई है
- विवाह के बाद स्त्री को अपने पिता के गोत्र को बदलकर पति का गोत्र अपनाना पड़ता है
प्रश्न 6. आरंभिक समाज में नए नगरों के उदय ने सामाजिक जीवन को किस तरह जटिल बना दिया?
उत्तर :
- नए नगरों के उद्भव से सामाजिक जीवन अधिक जटिल हुआ।
- इस चुनौती का जवाब, ब्राह्मणों ने समाज के लिए विस्तृत आचार संहिताएँ तैयार करके दिया जैसे- धर्मसूत्र, धर्मशास्त्र (मनुस्मृति) आदि। धर्मसूत्रों व धर्मशास्त्रों में चारों वर्गों के लिए आदर्श जीविका से जुड़े कई नियम मिलते हैं।
- समय के साथ-साथ कई ऐसे लोग सामने आए जो ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई वर्ण व्यवस्था में समा नहीं पाए
- इस स्थिति को देखते हुए ब्राह्मणों ने जाति व्यवस्था को बनाया
- इन जातियों का निर्धारण व्यक्तियों द्वारा किए जा रहे कार्य के अनुसार होता था[
- समय के साथ-साथ इन जातियों की संख्या बढ़ती गई और इनका निर्धारण भी जन्म के अनुसार किया जाता थ जैसे की
- शिकारी
- निषाद (जंगल में रहने वाले लोग)
- कुम्हार
- सुवर्णकार
- ऐसे लोग जो उस समय संस्कृत नहीं बोल पाते थे उन्हें मलेच्छ कहा जाता था एवं हीनदृष्टि से देखा जाता था
प्रश्न 7. सामाजिक इतिहास के पुनर्निर्माण में आदर्श मुल्क संस्कृत ग्रंथों की भूमिका स्पष्ट करो?
उत्तर :
- धर्म सूत्र तथा धर्म शास्त्र (मनुस्मृति)
- विश्वभर की समस्त प्राचीन भाषाओं में संस्कृत का सर्वप्रथम और उच्च स्थान है। विश्व-साहित्य की पहली पुस्तक ऋग्वेद
- भारतीय संस्कृति का रहस्य इसी भाषा में निहित है। संस्कृत का अध्ययन किये बिना भारतीय संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कभी सम्भव नहीं है।
- विश्व की समस्त प्राचीन भाषाओं और उनके साहित्य (वाङ्मय) में संस्कृत का अपना विशिष्ट महत्त्व है। यह महत्व अनेक कारणों और दृष्टियों से है।
- भारत के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, अध्यात्मिक, दर्शनिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन एवं विकास आज उपलब्ध है। भारत की यह सांस्कृतिक भाषा रही है।
प्रश्न 8. मनु स्मृति में वर्णित चाण्डालों के कर्तव्यों का वर्णन कीजिए?
उत्तर :
- चाण्डालो के बारे में मुख्य रूप से वर्णन मनुस्मृति में किया गया है
- इसके अनुसार चाण्डालो को गांव से बाहर रहना पड़ता था
- उन्हें रात में गांव में आने जाने की आज्ञा नहीं थी
- वह लोगों के फेंके हुए बर्तनों और चीजों का इस्तेमाल किया करते थे
- मृत शवों से उतार कर कपडे पहना करते थे
- सभी शवों का अंतिम संस्कार उन्हीं के द्वारा किया जाता था
- समाज द्वारा उन्हें अस्पृश्य माना जाता था
- चाण्डालो को निंदनीय नजरों से देखा जाता था
- उन्हें देख लेना भी पाप समझा जाता था
प्रश्न 9 वर्णित काल की जाति व्यवस्था की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर :
- समय के साथ-साथ कई ऐसे लोग सामने आए जो ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई वर्ण व्यवस्था में समा नहीं पाए
- इस स्थिति को देखते हुए ब्राह्मणों ने जाति व्यवस्था को बनाया
- इन जातियों का निर्धारण व्यक्तियों द्वारा किए जा रहे कार्य के अनुसार होता था[
- समय के साथ-साथ इन जातियों की संख्या बढ़ती गई और इनका निर्धारण भी जन्म के अनुसार किया जाता था जैसे की
- शिकारी
- निषाद (जंगल में रहने वाले लोग)
- कुम्हार
- सुवर्णकार
- ऐसे लोग जो उस समय संस्कृत नहीं बोल पाते थे उन्हें मलेच्छ कहा जाता था एवं हीनदृष्टि से देखा जाता था
प्रश्न 10 क्या महाभारत के समय स्त्री एवं पुरुष संपत्ति पर समान अधिकार रखते थे? तर्क सहित समझाएं।
उत्तर :
- संपत्ति पर अधिकार से अभिप्राय समाज में लोगों के पास उपलब्ध संसाधनों से है
- संपत्ति पर अधिकार का अध्ययन दो आधारों पर किया जा सकता है
- लैंगिक आधार पर
- पिता की जायदाद पर सभी पुत्रों का बराबर का अधिकार होता था
- सबसे बड़े पुत्र को संपत्ति का विशेष भाग दिया जाता था
- माता पिता की संपत्ति पर पुत्री का कोई अधिकार नहीं होता था
- स्त्री के विवाह के दौरान मिले उपहारों और धन को स्त्री धन कहा जाता था और इस पर स्त्री का पूर्ण अधिकार होता था
- स्त्रीधन पर पति का कोई अधिकार नहीं होता था
- पत्नियों द्वारा गुप्त रूप से धन इकट्ठा करना गलत माना जाता था
प्रश्न 11 आप कैसे कह सकते हैं कि महाभारत एक गतिशील ग्रंथ है। अपने उत्तर की पक्ष में तर्क दीजिए?
उत्तर :
- महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। कभी कभी इसे केवल भारत कहा जाता है। यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं।
- विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है।
- यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग 1,10,000 श्लोक हैं
प्रश्न 12 वर्णित काल की वर्ण व्यवस्था की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर :
- वर्ण के आधार पर
- ब्राह्मण
- वेदों का अध्ययन करना, यज्ञ करना और करवाना, भिक्षा मांगना
- ब्राह्मण
- क्षत्रिय
- शासन करना, युद्ध करना, न्याय करना, दान दक्षिणा देना, लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, यज्ञ करवाना, वेद पढ़ना आदि
- वैश्य
- कृषि, पशुपालन, व्यापार, वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना, दान देना आदि
- शूद्र
- तीनों वर्णों की सेवा करना
- वर्ण के आधार पर संपत्ति के बंटवारे में अत्याधिक विभिन्नता थी
- शूद्रों के पास केवल एक ही कार्य था वह था बाकी के तीन वर्णों की सेवा करना इसीलिए अधिकतर वह गरीब हुआ करते थे
- ब्राह्मण और क्षत्रिय सबसे धनवान हुआ करते थे क्योंकि ब्राह्मणों की समाज में विशेष स्थिति हुआ करती थी और क्षत्रिय शासन कार्य में लगे होते थे
- वैश्य के पास अनेकों कार्यों के चुनाव का अक्सर होता था पर समाज में उनकी स्थिति उनके कार्यों के अनुसार ही होती थी उदाहरण के लिए
- किसान मुख्य रुप से गरीब हुआ करते थे
- जबकि व्यापारी अमीर हुआ करते थे
- तीनों वर्णों की सेवा करना
- संपत्ति के मामले में चाण्डालों की स्थिति बहुत खराब थी वह दूसरों के द्वारा त्यागी गई चीजों पर निर्भर रहते थे
8 अंक वाले प्रश्न
प्रश्न 1 महाभारत काल में स्त्रियों तथा पुरुषों के संदर्भ में संपत्ति के अधिकार से क्या अभिप्राय था?
उत्तर :
- संपत्ति पर अधिकार से अभिप्राय समाज में लोगों के पास उपलब्ध संसाधनों से है
- संपत्ति पर अधिकार का अध्ययन दो आधारों पर किया जा सकता है
लैंगिक आधार पर
- पिता की जायदाद पर सभी पुत्रों का बराबर का अधिकार होता था
- सबसे बड़े पुत्र को संपत्ति का विशेष भाग दिया जाता था
- माता पिता की संपत्ति पर पुत्री का कोई अधिकार नहीं होता था
- स्त्री के विवाह के दौरान मिले उपहारों और धन को स्त्री धन कहा जाता था और इस पर स्त्री का पूर्ण अधिकार होता था
- स्त्रीधन पर पति का कोई अधिकार नहीं होता था
- पत्नियों द्वारा गुप्त रूप से धन इकट्ठा करना गलत माना जाता था
वर्ण के आधार पर
- वर्ण के आधार पर संपत्ति के बंटवारे में अत्याधिक विभिन्नता थी
- शूद्रों के पास केवल एक ही कार्य था वह था बाकी के तीन वर्णों की सेवा करना इसीलिए अधिकतर वह गरीब हुआ करते थे
- ब्राह्मण और क्षत्रिय सबसे धनवान हुआ करते थे क्योंकि ब्राह्मणों की समाज में विशेष स्थिति हुआ करती थी और क्षत्रिय शासन कार्य में लगे होते थे
- वैश्य के पास अनेकों कार्यों के चुनाव का अक्सर होता था पर समाज में उनकी स्थिति उनके कार्यों के अनुसार ही होती थी उदाहरण के लिए
- किसान मुख्य रुप से गरीब हुआ करते थे
- जबकि व्यापारी अमीर हुआ करते थे
- संपत्ति के मामले में चाण्डालों की स्थिति बहुत खराब थी वह दूसरों के द्वारा त्यागी गई चीजों पर निर्भर रहते थे
- ब्राह्मणवादी व्यवस्था के अंतर्गत स्त्रियों को ज्यादा अधिकार नहीं दिए जाते थे
- जबकि देश में कई ऐसे क्षेत्र थे जहां पर स्त्रियों का समान रूप से सम्मान किया जाता
- सातवाहन शासकों को उनकी माता के नाम से जाना जाता था
- सातवाहन शासकों के दौर में औरतों का भी संपत्ति पर अधिकार हुआ करता था और वह भी संपत्ति का उपयोग अपने अनुसार किया करती थी
प्रश्न 3 महाभारत कालीन भारतीय सामाजिक जीवन की प्रमुख विशेषताओं पर एक निबंध लिखिए?
उत्तर :
- महाभारत काल से यह संदर्भ मिलता है की प्रायः परिवार में प्रेम होता था। आयु में छोटे सदस्य परिवार के सभी बड़े परिवारजनों का सम्मान करते थे और कुलपति सभी के कल्याण की चिंता करते हुए उनके साथ अच्छा व्यवहार करते थे। उस काल में निसंतान दंपति लड़का या लड़की को गोद ले सकते थे जो आगे चल कर उसके उत्तराधिकारी बनते थे।
- परिवार
- परिवार समाज की महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक था
- संस्कृत ग्रंथों में परिवार को कुल कहा जाता था
- परिवार
- परिवार की विशेषताए
- परिवार के सभी सदस्यों में संसाधनों का बंटवारा
- मिल जुल कर रहना
- आपसी सहयोग
- परिवार में उपलब्ध संसाधनों परिवार के सभी सदस्यों द्वारा उपयो
- पितृवंशिकता
- इस व्यवस्था के अनुसार समाज में पुरुष को अधिक महत्व दिया जाता है
- इस परंपरा के अनुसार
- घर का मुखिया पुरुष होता है
- सभी मुख्य फैसले लेने की शक्ति और पुरुष के पास होती है
- पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति पर पुत्र का अधिकार होता है
- पुत्र ना होने की स्थिति में भाई या बंधु को उत्तराधिकारी बनाया जाता है
प्रश्न 4 भारत के प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत की मूल विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?
उत्तर :
- महाभारत
- महाभारत एक गतिशील महाकाव्य है जिसमें कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध का वर्णन है
- महाभारत की रचना
- शुरुआत में महाभारत में लगभग 8800 श्लोक थे पर समय के साथ-साथ यह संख्या बढ़कर एक लाख तक हो गई
- ऐसा माना जाता है कि महाभारत का निर्माण हजार सालों में किया गया है
- इन दोनों बातों को ध्यान में रख कर एक बात स्पष्ट होती है कि महाभारत का निर्माण किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं
- महाभारत के लेखक
- प्राचीन समय में
- महाभारत का मूल लेखक भाट सारथी को माना जाता है
- भाट सारथी
- वे लोग जो योद्धाओं के साथ युद्ध भूमि में जाते थे भाट सारथी कहलाते थे
- फिर वह युद्ध भूमि में घटित हर घटना का वर्णन लिखा करते थे
- महाभारत का मुख्य साहित्य लेखक वेदव्यास को माना जाता है
- वेदव्यास ने ही महाभारत को साहित्यिक रूप दिया
- लगभग 200 ईसा पूर्व इसमें मनुस्मृति के कुछ अंशों को जोड़ा गया
- इसके बाद इसमें श्री कृष्ण और भागवत गीता के उपदेशों को शामिल किया गया
- महाभारत का निर्माण काल 500 ईसा पूर्व से 500 ईसवी माना जाता है
- पुराने समय में इसे जयसंहिता कहा जाता था
- प्राचीन समय में
- महाभारत
- आधुनिक समय में
- सन 1919 में वीएस सुखतांकर (संस्कृत के विद्वान) ने महाभारत की पुनर्रचना का जिम्मा उठाया
- इस परियोजना में उन्होंने देश में उपलब्ध महाभारत संबंधित सभी पांडुलिपियों और जानकारियों को इकट्ठा किया और उनके आधार पर महाभारत की रचना की
- इस कार्य को पूर्ण करने में उन्हें लगभग 47 वर्ष का समय लगा
- इसका प्रकाशन 13000 पेज में फैले अनेक ग्रंथ खंडों में किया गया
प्रश्न 5 प्राचीन काल के सामाजिक मूल्य के अध्ययन के लिए महाभारत एक अच्छा स्रोत है? कैसे?
उत्तर :
- परिवार
- पितृवंशिकता
- धर्म सूत्र और धर्म शास्त्र
- वर्ण को उत्पत्ति
- वर्णो के कार्य
- अन्य वर्ग
- जातीय व्यवस्था
- संपत्ति पर अधिकार
- स्त्रियों की स्तिथि
- पितृवंशिक उत्तराधिकार को उद्घोषित किया गया।
- हालाँकि पितृवंशिकता महाकाव्य की रचना से पहले भी मौजूद थी, महाभारत की मुख्य कथावस्तु ने इस आदर्श को और सुदृढ़ किया।
- पितृवंशिकता में पुत्र पिता की मृत्यु के बाद उनके संसाधनों पर (राजाओं के संदर्भ में सिंहासन पर भी) अधिकार जमा सकते थे।
परिवार
- परिवार समाज की महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक था
- संस्कृत ग्रंथों में परिवार को कुल कहा जाता था
- परिवार की विशेषताएं
- परिवार के सभी सदस्यों में संसाधनों का बंटवारा
- मिल जुल कर रहना
- आपसी सहयोग
- परिवार में उपलब्ध संसाधनों परिवार के सभी सदस्यों द्वारा उपयोग
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