पाठ – 9
भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास
In this post, we have mentioned all the important questions of class 12 Geography Chapter 9 Planning and Sustainable Development in Indian Context in Hindi.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भूगोल के पाठ 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 9 |
Chapter Name | भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास (Planning and Sustainable Development in Indian Context) |
Category | Class 12 Geography Important Questions in Hindi |
Medium | Hindi |
Chapter – 9, भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास
1 अंक वाले प्रश्न
प्रश्न 1. विकास के लिये लक्ष्य क्षेत्र की ओर इंगित कुछ प्रमुख कार्यक्रमों के उदारहण दीजिए।
उत्तर :
- कमांड क्षेत्र विकास योजना
- सूखा प्रभावित क्षेत्र विकास योजना
- पहाड़ी क्षेत्र विकास योजना
- रेगिस्तानी क्षेत्र विकास योजना
प्रश्न 2. सतत् पोषणीय विकास को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : “एक ऐसा विकास जो भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा आवश्यकता की पूर्ति हेतु किया जाता है,” सतत् पोषणीय विकास कहलाता है। उदाहरण स्वरूप – भौम जल का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना कि जलस्तर अधिक नीचे न जाने पाये और वर्षा जल या धरातलीय जल रिस कर अन्दर चला जाये।
प्रश्न 3. हिमाचल प्रदेश के भरमौर जनजाति क्षेत्रों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले दो कारक कौन से है?
उत्तर:
(i) कठोर जलवायु दशाएँ
(ii) आधार भूत संसाधनों का कम होना
प्रश्न 4. प्रादेशिक नियोजन की सकंल्पना की जाँच कीजिए ।
उत्तरः किसी विशेष क्षेत्र का विकास करना अथवा विकास में प्रादेशिक असंतुलन को कम करना।
प्रश्न 5. खंडीय नियोजन के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों- कृषि, सिचाई, विनिर्माण, उर्जा, निर्माण, परिवहन, संचार, सामूहिक अवसंरचना और विकास के लिए कार्यक्रम बनाना व लागू करना।
प्रश्न 6. योजना आयोग द्वारा सूखा संभावी जिलों के परिसीमन के लिए किस माप दंड का प्रयोग किया है। प्रमुख सूखा संभावी क्षेत्र बताइये।
उत्तर : सूखा संभावी जिलों के परिसीमन के लिये उन क्षेत्रों को शामिल किया गया,__जहाँ 30% या इससे कम क्षेत्र सिंचित हो। प्रमुख सूखा संभावी क्षेत्र राजस्थान, गुजरात, प. मध्य प्रदेश, मराठवाड़ा प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश के रायलसीमा और तेलंगाना आदि है।
प्रश्न 7. भरमौर जन जातीय क्षेत्र के निवासियों की दो मुख्य समस्यायें कौन कौन-सी है।
उत्तर :
1) इन क्षेत्रों की जलवायु अत्यन्त कठोर है।
2) इन क्षेत्रों में आधार भूत संसाधनों का अभाव है।
प्रश्न 8. 1970 के दशक में विकास की परिभाषा में किन नए शब्दों का समावेश किया गया है।
उत्तर : 1970 के दशक में विकास की परिभाषा में, “पुर्नःवितरण के साथ वृद्धि व वृद्वि और समानता’ जैसे शब्द विकास की परिभाषा में जोड़े गए।
प्रश्न 9. इंदिरा गांधी नहर ने शुष्क क्षेत्र की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और समाज को रूपांतरित कर दिया है। “इस क्षेत्र की पर्यावरणीय परिस्थितियों पर इसके नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े है। एक नकारात्मक व एक सकारात्मक प्रभाव को बताइए।
अथवा
“इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में उभरी दोहरी पर्यावरणीय समस्याओं की परख कीजिए।
उत्तर :
- वनीकरण और चरागाह विकास कार्यक्रम के कारण यहां की भूमि हरी भरी हो गई है। यह सकारात्मक प्रभाव है।
- जल भराव व मृदा लवणता जैसी समस्याएँ नकारात्मक प्रभाव दर्शाती
3 अंक वाले प्रश्न
प्रश्न 10. पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम किन क्षेत्रों को शामिल किया जाता है? इन कार्यक्रमों को बनाते समय किन बातों को ध्यान में रखा जाता है।
उत्तर : नेशनल कमेटी आन दि डेवलपमेंट ने 1981 में 600 मी. से अधिक की ऊँचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों को इस योजना के अन्तर्गत शामिल करने की सिफारिश की जो जनजातियों के लिए बने योजनाओं के अन्तर्गत न आते हो। इन क्षेत्रों की भूआकृति, पारिस्थितिकी, सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थिति को ध्यान में रखकर विकास योजनायें बनायी जाती है। पहाड़ी क्षेत्रों में विकास के लिये बनी राष्ट्रीय समिति के द्वारा दिये गए कुछ सुझाव निम्न हैं :
- सभी लोगों को लाभ मिले
- स्थानीय संसाधनों एवं प्रतिभाओं का विकास हो
- पिछड़े क्षेत्रों को व्यापार में शोषण से बचाना आदि।
प्रश्न 11. खण्डीय नियोजन एवं प्रादेशिक नियोजन में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर :
खण्डीय नियोजन- अर्थव्यस्था के विभिन्न सेक्टरों जैसे- कृषि, सिंचाई, विनिर्माण, ऊर्जा, परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचना और सेवाओं के विकास के लिए कार्यक्रम बनाना और उन्हें लागू करना।
प्रादेशिक नियोजन- देश के सभी क्षेत्रों में आर्थिक विकास समान रूप से नहीं हो पाता। इसलिए विकास का लाभ सभी को समान रूप से पहुँचाने के लिए योजनाकारों ने प्रदेशों की आवश्यकता के अनुसार नियोजन किया। इस प्रादेशिक नियोजन कहते हैं।
प्रश्न 12. “भारत के विकास में प्रादेशिक विषमतायें है।” इस कथन को उचित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करें?
उत्तर : भारत के विकास में प्रादेशिक विषमताएं साफ झलकती है:
- आन्तरिक भागों की तुलना में तटीय प्रदेश अधिक निर्धन है।
- व्यापारिक कृषि के क्षेत्र में विकास अधिक व्यापक है। पंजाब व केरल के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में विषमता कम है।
- जनजातीय क्षेत्र अभी भी कम विकसित है।
- भौतिक बाधाओं जैसे शुष्क जलवायु, ऊबड़-खाबड़ पर्वतीय व पठारी भूमि तथा बाढ़ से पीड़ित क्षेत्र आदि पिछड़े हुए हैं।
- भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में साक्षरता दर से भी काफी विषमताएँ हैं और स्त्रियों की साक्षरता दर में भी काफी भिन्नता है।
प्रश्न 13. मात्र कृषि एंव पशुपालन के विकास से इंदिरा गाँधी नहर कमांड क्षेत्र में आर्थिक सतत पोषणीय विकास की अवधारणा को साकार नहीं किया जा सकता। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
- इन क्षेत्रों में कृषि और संबंधित क्रियाकलापों को अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरों के साथ विकसित करना होगा।
- इन क्षेत्रों का आर्थिक विविधीकरण करना पड़ेगा।
- गाँवों की आबादी कृषि सेवा क्षेत्र और विपणन केन्द्रों को जोड़कर उनके बीच प्रकार्यात्मक संबंध स्थापित करना होगा।
प्रश्न 14. नहर कमांड क्षेत्र में सिचाई के लिए जल प्रदान करने में इंदिरा गांधी नहर का महत्व स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में नहरी सिंचाई के प्रारंभ होने से उसकी पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था तथा समाज रूपांतरित हो गया है।” इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर :
(i) कमान क्षेत्र में सिंचाई कमशः 1960 तथा 1980 में शुरू हुई। सिंचाई के प्रसार ने इस शुष्क क्षेत्र की परिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और समाज को रूपांतरित कर दिया।
(ii) पर्यारवणीय परिस्थियों पर सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। मृदा में लम्बे समय तक नहीं उपलब्धता सम्भव हो सकी हैं फलस्वरूप वनीकरण और चरागाह कार्यक्रयों से भूमि हरी-भरी हो गयी है।
(iii) वायु अपरदन और नहरी तंत्र में बालू निक्षेप की प्रक्रियाएं धीमी पड़ गयी है। प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से रूपांतरित हो गयी है तथा बोय गये क्षेत्र का विस्तार और फसलों की सघनता में वृद्धि हुई है। चना, बाजरा और ग्वार का स्थान गेहूं, कपास, मूंगफली और चावल ने ले लिया। कृषि पशुधन उत्पादकता में अत्यधिक वृद्वि हुई है।
पाँच अंक वाले
प्रश्न 15. पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए नियोजन करते समय किन बातों का प्रमुखता से ध्यान दिया जाता है?
उत्तर : पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए नियोजन करते समय वहाँ की भूआकृति, पारिस्थितिकी, सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाता है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित बातों को भी ध्यान में रखा जाता है।
1) सभी लोग लाभान्वित हों, केवल प्रभावशाली अथवा साधन सम्पन्न व्यक्ति ही नहीं।
2) स्थानीय संसाधनों और प्रतिभाओं का विकास ।
3) जीविका निर्वाह अर्थव्यवस्था को निवेशोन्मुखी बनाना।
4) अंत प्रादेशिक व्यापार में पिछड़े क्षेत्रों का शोषण न करना।
5) पिछड़े क्षेत्रों की बाजार व्यवस्था में सुधार करके श्रमिकों को लाभ__ पहुँचाना।
6) परिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखना।
प्रश्न 16. सूखा संभावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम में लोगों के लिए किस प्रकार के कार्यक्रम चलाये गये । स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(i) इस कार्यक्रम की शुरूवात चौथी पंचवर्षीय योजना में हुई, इसका उददेश्य सूखा संभावी क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना था व उसके प्रभाव को कम करने के लिए उत्पादन के साधनों को _ विकसित करना था।
(ii) पांचवी पचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत अधिक श्रम की आवश्यकता वाले सिविल निर्माण कार्यों पर बल दिया ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिया जा सके।
(iii) इसके अंतर्गत सिंचाई परियोजनाओं, भूमि विकास कार्यक्रमों वनीकरण, चारागाह विकास कार्यक्रम शुरू किये गये।
(iv) गांवों में आधार भूत अवसंरचना-विद्युत, सड़कों, बाजार-ऋण सुविधाओं और सेवाओं पर बल दिया गया।
(v) इस क्षेत्र के विकास की रणनीति में जल, मिट्टी, पौधों, मानव तथा पशु जनसंख्या के बीच परिस्थितिकीय संतुलन, पुनः स्थापन पर ध्यान देने पर बल दिया गया।
प्रश्न 17. भरमौर क्षेत्र के विकास के लिए क्या कदम उठाये गये एवं इनके क्या सामाजिक एवं अर्थिक प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : यह क्षेत्र विकास योजना भरमौर क्षेत्र के निवासियों की जीवन गुणवत्ता को सुधारने व हिमाचल के अन्य प्रदेशों के समानान्तर विकास के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसके लिए निम्न कदम उठाये गये।
- आधारभूत अवसंरचनाओं जैसे विद्यालयों, अस्पतालों का विकास किया गया।
- स्वच्छ जल, सड़कों, संचार तंत्र एवं बिजली की उपलब्धता पर ध्यान दिया गया।
- कृषि के नये एवं पर्यावरण अनुकूल तरीकों को प्रोत्साहित किया गया।
- पशुपालन के वैज्ञानिक तरीकों को प्रोत्साहित किया गया।
समाजिक व आर्थिक प्रभावः
- जनसंख्या में साक्षरता दर बढ़ी विशेषरूप से स्त्रियों की साक्षरता दर में वृद्धि हुई।
- दालों एवं अन्य नगदी फसलों के उत्पादन में वृद्धि हुई।
- कुरीतियों जैसे बाल-विवाह से समाज को मुक्ति मिली।
- लिंगानुपात में सुधार हुआ।
- लोगों के जीवन स्तर में वृद्धि हुई।
प्रश्न 18. इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत् पोषणीय विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक किन्हीं पाँच उपायों का वर्णन कीजिए?
उत्तर :
- जल प्रबन्धन नीति का कठोरता से क्रियान्वयन करना।
- सामान्यतः जल सघन फसलों को नहीं बोना चाहिए।
- कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम जैसे नालों को पक्का करना, भूमि विकास तथा समतलन और बाड़बन्दी पद्धति प्रभावी रूप से कार्यान्वित की जाए ताकि बहते जल की क्षति मार्ग में कम हो सके।
- जलाक्रान्त, वृक्षों की रक्षण मेखला का निर्माण और चारागाह विकास, पारितंत्र विकास से लिए अति आवश्यक है। 5) निर्धन आर्थिक स्थिति वाले भूआवदियों की कृषि के पर्याप्त मात्रा में वितीय और संस्थागत सहायता उपलब्धत कराना।
प्रश्न 19. ऐतिहासिक तौर पर गद्दी जन जाति के लोगों ने भौगोलिक और आर्थिक रूप से अलगाव का अनुभव किया है। ये आज भी सामाजिक एवं आर्थिक रूप से विकास से वंचित ही है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
- गद्दी जन जाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय भेड़ पालन, कृषि एवं बकरी पालन ही रहा है। ये प्राचीन काल से ही अपने पशुओं के साथ ऋतु प्रवास करते रहे हैं इसलिए इनके जीवन में स्थायित्व की कमी रही।
- राजनैतिक रूप से भी इस जाति का मात्र वोटों के लिए ही शोषण होता रहा है। विकास के नाम पर केवल वायदे ही होते रहे हैं।
- ये लोग आज भी लोगों के साथ कम ही घुलना मिलना पसंद करते हैं क्योंकि इनको पिछड़ा ही माना जाता रहा है।
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