पाठ – 5
भूसंसाधन तथा कृषि
In this post, we have mentioned all the important questions of class 12 Geography chapter 5 Land Resources and Agriculture in Hindi.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भूगोल के पाठ 5 भूसंसाधन तथा कृषि के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 5 |
Chapter Name | भूसंसाधन तथा कृषि (Land Resources and Agriculture) |
Category | Class 12 Geography Important Questions in Hindi |
Medium | Hindi |
Chapter – 5, भूसंसाधन तथा कृषि
एक अंक वाले प्रश्न
प्रश्न 1. फसल गहनता की गणना किस प्रकार की जाती है ?
या
शस्य गहनता से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : एक ही क्षेत्र में एक कृषीय वर्ष में उगाई गई फसलों की संख्या को शस्य गहनता कहा जाता है। उसे ज्ञात करने का सूत्र है
सकल बोया गया क्षेत्र * 100
निवल बोया गया क्षेत्र
प्रश्न 2. ‘दक्षिणी राज्यों तथा पश्चिम बंगाल में एक कृषि वर्ष में चावल की दो या तीन फसलें बोई जाती हैं – इसका प्रमुख कारण क्या है ?
उत्तर : जलवायु अनुकूलता (उष्ण व आर्द्र जलवायु)
प्रश्न 3. दालें मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को बढाने में कैसे मददगार साबित हुई है ?
उत्तर : ये फलीदार फसलें है जो नाईट्रोजन योगीकरण के द्वारा मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को बढ़ाती हैं।
प्रश्न 4. अमेरिकन कपास देश के किस भाग में उगाया जाता है तथा वहाँ इसे किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर : भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में वहाँ इसे ‘नरमा’ नाम से जाना जाता है
प्रश्न 5. अल्प बेरोजगारी से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : भारतीय कृषि में विशेषकर असिंचित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अल्प बेरोजगारी पाई जाती है। फसल ऋतु में वर्ष भर रोजगार उपलब्ध नहीं होता क्योंकि कृषि कार्य लगातार गहन श्रम वाले नहीं है। इसी को अल्प बेरोजगारी कहतें हैं
प्रश्न 6. सबसे अधिक एवं सबसे कम शस्य गहनता वाले राज्य कौन से है ?
उत्तर : सर्वाधिक शस्य गहनता पंजाब में एंव सबसे कम मिजोरम में है।
प्रश्न 7. पश्चिम बंगाल में किसान चावल की कितनी फसले लेते है तथा उनके क्या नाम है ?
उत्तर : पश्चिम बंगाल में किसान चावल की तीन फसले लेते हैं जिन्हें औंस, अमन तथा बोरों कहा जाता है।
प्रश्न 8. अरेबिका, रोबस्ता व लिवेरिका क्या है ?
उत्तर : ये तीनों कॉफी की किस्मों के नाम है।
प्रश्न 9. विश्व में चावल के उत्पादन में भारत का क्या योग्दान है ?
उत्तर : 21.71 (विश्व में दूसरा स्थान)
प्रश्न 10. साझा संपत्ति संसाधन का क्या अर्थ है ?
उत्तर : साझा संपत्ति संसाधन पर राज्यों का स्वामित्व होता है। यह संसाधन पशुओं के लिये चारा, घरेलू उपयोग हेतु ईंधन, लकड़ी तथा वन उत्पाद उपलब्ध कराते है।
तीन अंक वाले प्रश्न
प्रश्न 11.भारत के तीनों भिन्न फसल ऋतुओं की किन्हीं दो-दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
उत्तर : भारत में निम्नलिखित तीन कृषि ऋतु होती है :
- खरीफ ऋतु :- यह ऋतु जून माह में प्रारम्भ होकर सितम्बर माह तक रहती है। इस ऋतु में चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा व अरहर आदि की कृषि की जाती है। खरीफ की फसल दक्षिण पश्चिम मानसून के साथ सम्बद्ध है। दक्षिण पश्चिम मानसून के साथ चावल की फसल शुरू होती है।
- रबी ऋतु :- रबी की ऋतु अक्टूबर-नवम्बर में शरद ऋतु से प्रारम्भ होती है। गेहूँ, चना, तोराई, सरसों, जौ आदि फसलों की कृषि इसके अन्तर्गत की जाती है।
- जायद ऋतु :- जायद एक अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन फसल ऋतु हैं जो रबी की कटाई के बाद प्रारम्भ होती है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, सब्जियां व चारे की फसलों की कृषि होती है।
प्रश्न 12. फसलों के लिए आर्द्रता के प्रमुख स्रोत के आधार पर भारत में कृषि को कितने समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है? नाम लिखिए एवं प्रत्येक की दो विशेषताएँ बताइये ।
उत्तर : 1) सिंचित कृषि, 2) वर्षा निर्भर कृषि
1) सिंचित कृषि :
- वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है। इसका उद्देश्य अधिकतम क्षेत्र को पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध कराना है।
- फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कराना तथा उत्पादन योग्य क्षेत्र को बढ़ाना।
2) वर्षा निर्भर कृषि :
- यह पूर्णतया वर्षा पर निर्भर होती है।
- उपलब्ध आर्द्रता की मात्रा के आधार पर इसे शुष्क भूमि कृषि व आर्द्र भूमि कृषि में बाँटते हैं।
प्रश्न 13. शुष्क भूमि कृषि तथा आर्द्र भूमि कृषि में क्या अन्तर है। तीन अन्तर बताइए।
अथवा
वर्षा निर्भर कृषि को वर्गीकृत करते हुए अंतर बताइए।
उत्तर: शुष्क भूमि कृषि :- यह कृषि उन प्रदेशों में की जाती है जहाँ वार्षिक वर्षा
75 से. मी. से कम होती है।
- इन कृषि क्षेत्रों में शुष्कता को सहने में सक्षम फसलें जैसे रागी, बाजरा, मूंग, चना तथा ग्वार आदि उगाई जाती है। • • आर्द्र भूमि कृषि :- इस कृषि में वर्षा ऋतु के अन्तर्गत वर्षा जल पौधों की आवश्यकता से अधिक प्राप्त होती है।
- इस प्रकार की कृषि के प्रदेश बाढ़ तथा मृदा अपरदन का सामना करते है। अतः आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षा जल के उपयोग की कोई विधि नही अपनाई जाती।
- इन कृषि क्षेत्रों में ये फसलें उगाई जाती है जिन्हें पानी की अधिक आवश्यकता होती है। जैसे चावल, जूट , गन्ना आदि ।
प्रश्न 14. ‘हरित क्रान्ति’ से क्या तात्पर्य है? इसकी सफलता के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर : 1960-70 के दशक में खाद्यान्नों विशेष रूप से गेहूँ के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की गयी। इसे ही हरित क्रान्ति कहा जाता है। खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि के लिये निम्न उपायों को अपनाया गया।
- उच्च उत्पादकता वाले बीज ।
- रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।
- सिंचाई की सुविधा। पंजाब, हरियाणा एवं प. उत्तर प्रदेश में हरित क्रान्ति के कारण गेहूँ के उत्पादन में रिकार्ड वृद्धि हुई।
प्रश्न 15. अंतर स्पष्ट करें :
1) बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि ।
2) शुद्ध बुआई क्षेत्र एंव सकल बोया गया क्षेत्र।
उत्तर :
1) बंजर भूमि :- वह भूमि जो भौतिक दृष्टि से कृषि के अयोग्य है जैसे वन, ऊबड़-खाबड़ भूमि एंव पहाड़ी भूमि, रेगिस्तान एंव उपरदित खड्ड भूमि आदि।
2) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि :- यह वह भूमि है जो पिछले पाँच वर्षों या उससे अधिक समय तक व्यर्थ पड़ी है। इस भूमि को कृषि तकनीकी के जरिये कृषि क्षेत्र के योग्य बनाया जा सकता है।
3) शुद्ध बुआई क्षेत्र :- किसी कृषि वर्ष में बोया गया कुल फसल क्षेत्र शुद्ध बुआई क्षेत्र कहलाता है।
4) सकल बोया गया क्षेत्र :- जोते एंव बोये गये क्षेत्र में शुद्ध बुआई क्षेत्र तथा शुद्ध क्षेत्र का वह भाग शामिल किया जाता है जिसका उपयोग एक से अधिक बार किया गया हो।
प्रश्न 16. भारत में कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण किस प्रकार कृषि की गंभीर समस्याओं में से एक है ? कारण एंव परिणाम लिखिये ।
उत्तर : भूमि संसाधनों के निम्नीकरण के कारण :
- नहर द्वारा अत्यधिक सिंचाई-जिसके कारण लवणता एंव क्षारीयता में वृद्धि होती है।
- कीटनाशकों का अत्याधिक प्रयोग।
- जलाक्रांतता (पानी का भराव होना)।
- फसलों को हेर-फेर करके न बोना, दलहन फसलों को कम बोना। सिंचाई पर अत्याधिक निर्भर फसलों को उगाना।
परिणाम :-
- मिट्टी की उर्वरता शक्ति कम होना।
- मिट्टी का अपरदन ।
प्रश्न 17. वर्तमान परती एवं पुरातन परती भूमि में क्या अंतर है ?
उत्तर :
वर्तमान परती भूमि :- यह वह भूमि जिस पर एक वर्ष या उससे कम समय के लिये खेती नहीं की जाती। यह भूमि की उर्वरत बढ़ाने का प्राकृतिक तरीका होता है।
पुरातन परती भूमि :- वह भूमि जिसे एक वर्ष से अधिक किन्तु पाँच वर्ष से कम के लिये खेती हेतु प्रयोग नहीं किया जाता।
प्रश्न 18. “किसी क्षेत्र के भू उपयोग अधिकतर उस क्षेत्र की आर्थिक क्रियाओं की प्रकृति पर निर्भर करता है। भारत में तीन उदाहरण देकर कथन की पुष्टि करें।
उत्तर :
1) अर्थव्यवस्था का आकार :- इसे उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य के संदर्भ में समझा जाता है। समय के साथ जनसंख्या बढ़ने के कारण भूमि पर दबाव पड़ता है तथा सीमांत भूमि को भी प्रयोग में लाया जाता है।
2) अर्थव्यवस्था की संरचना :- द्वितीयक तथा तृतीयक सेक्टरों में प्राथमिक सेक्टर की अपेक्षा अधिक तीव्रता से वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया में धीरे-धीरे कृषि भूमि गैर कृषि संबंधित कार्यों में प्रयुक्त होती है।
3) कृषि कलापों का योगदान :- समय के साथ कृषि क्रिया कलापों का अर्थव्यवस्था में योगदान कम होता जाता है, परंतु भूमि पर कृषि कलापों का दबाव कम नहीं होता।
प्रश्न 19. भारत में भू-संसाधनों का महत्व उन लोगों के लिए अधिक है जिनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है। स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
1) द्वितीय एवं तृतीय क्रियाओं की अपेक्षा कृषि पूर्णतया भूमि पर आधारित है। भूमिहीनता का ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी से प्रत्यक्ष संबंध है।
2) भूमि की गुणवत्ता कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है अन्य कार्यों की नही।
3) ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का स्वामित्व आर्थिक मूल्य के साथ-2 सामाजिक सम्मान से भी जुडा है।
प्रश्न 20. उपर्युक्त आरेख के आधार पर निम्नलिखित पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर है।
प्रश्न (A) कौन-कौन से संवर्गो में वृद्धि तथा कमी आई है ?
उत्तर :
वृद्धि संवर्ग :
- वन क्षेत्र
- गैर कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि
- वर्तमान परती भूमि
- निवल बोया क्षेत्र
गिरावट संवर्ग :
- बंजर भूमि
- कृषि योग्य व्यर्थ भूमि
- चरागाहों व तरू फसल क्षेत्र
- कृषि योग्य व्यर्थ भूमि के अतिरिक्त परती भूमि।
प्रश्न (B) गैर कृषि कार्यों में अधिकतम वृद्धि दर का क्या कारण है ?
उत्तर : भारतीय अर्थव्यवस्था में बदलाव जैसे तृतीयक सेक्टर व औद्योगिक इकाई की ओर वृद्धि होना।
प्रश्न (C) वर्तमान परती भूमि में वृद्धि के क्या कारण है ?
उत्तर : वर्तमान परती क्षेत्र में समयानुसार काफी उतार चढाव आते है जो फसल चक्र पर निर्भर है।
प्रश्न (D) चरागाह भूमि में गिरावट के क्या कारण है ?
उत्तर : चरागाह भूमि में गिरावट का प्रमुख कारण कृषि भूमि पर बढ़ता दबाव है। साझी चरागाहों पर गैर कानूनी तरीकों से कृषि विस्तार इसकी न्यूनता का कारण है।
प्रश्न 21. भारत की दो प्रमुख पेय फसलों के नाम लिखिए। प्रत्येक फसल के दो महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर : भरत की दो प्रमुख पेय फसलें-चाय और कहवा।
1) चाय के महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य-असम, पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु
2) कहवा के महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य-कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु।
प्रश्न 22. साझा संपत्ति संसाधन का छोटे कृषकों तथा महिलाओं के लिए विशेष महत्व है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1) ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन छोटे कृषकों तथा अन्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के जीवन यापन में इनका महत्व है क्योंकि भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त आजीविका पर निर्भर है।
2) ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की जिम्मेदारी चारा व ईंधन एकत्रित करने की होती है।
3) साझा संपत्ति संसाधन वन उत्पाद जैसे–फल, रेशे, गिरी, औषधीय पौधे आदि उपलब्ध कराती है।
पाँच अंकों वाले
प्रश्न 23. छोटी कृषि जोत और कृषि योग्य कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण भारतीय कृषि को दो प्रमुख समस्याएँ किस प्रकार है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए?
उत्तर : भारतीय कृषि की प्रमुख दो समस्याएं :
- छोटी कृषि जोत :- बढ़ती जनसंख्या के कारण भूमि जोतों का आकार लगातार सिकुड़ रहा है। लगभग 60 प्रतिशत किसानों की जोतो का आकार तो एक हेक्टेयर से भी कम है और अगली पीढ़ी के लिए इसके और भी हिस्से हो जाते हैं जो कि आर्थिक दृष्टि से लाभकारी नहीं है। ऐसी कषि जोतो पर केवल निर्वाह कषि की जा सकती है।
- कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण :- कृषि योग्य भूमि की निम्नीकरण कृषि की एक अन्य गंभीर समस्या है इससे लगातार भूमि का उपजाऊपन कम हो जाता है। यह समस्या उन क्षेत्रों में ज्यादा गंभीर है जहां अधिक सिंचाई की जाती है। कृषि भूमि का एक बहुत बड़ा भाग लवणता, क्षारता व जलाक्रांतता के कारण बंजर हो चुका है। कीटनाशक रसायनों के कारण भी उर्वरता शक्ति कम हो जाती है।
प्रश्न 24. भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए?
उत्तर : भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएं
- अनियमित मानसून पर निर्भरता
- निम्न उत्पादकता
- वित्तीय संसाधनों की बाधाएं तथा ऋणग्रस्तता
- भूमि सुधारों की कमी
- छोटे खेत तथा विखंडित जोतें
- अत्याधिक रसायनों व उर्वरकों का प्रयोग
- सिंचाई साधनों की कमी।
प्रश्न 25. भारतीय कृषि के विकास में ‘हरित क्रांति’ की क्या भूमिका रही है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर : भारत में 1960 के दशक में खाद्यान फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अधिक उत्पादन देने वाली नई किस्मों के बीज किसानों को उपलब्ध कराये गये। किसानों को अन्य कृषि निवेश भी उपलब्ध कराये गए, जिसे पैकेज प्रौद्योगिकी के नाम से जाना जाता है। जिसके फलस्वरूप पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश , आंध्र प्रदेश, गुजरात, राज्यों में खाद्यान्नों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। इसे हरित क्रान्ति के नाम से जाना जाता है। हरित क्रान्ति की निम्नलिखित विशेषताएं है :
- उन्नत किस्म के बीज
- सिंचाई की सुविधा
- रासायनिक उर्वरक
- कीटनाशक दवाईयां
- कृषि मशीनें
प्रश्न 26. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्व है ?
उत्तर : भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का
- देश की कुल श्रमिक शक्ति का 80 प्रतिशत भाग कृषि का है।
- देश के कुल राष्ट्रीय उत्पाद में 26 प्रतिशत योगदान कृषि का है।
- कृषि से कई कृषि प्रधान उद्योगों को कच्चा माल मिलता है जैसे कपड़ा उद्योग, जूट उद्योग, चीनी उद्योग।
- कृषि से ही पशुओं को चारा प्राप्त होता है। 5. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला ही नहीं बल्कि जीवन यापन की एक विधि है।
प्रश्न 27. साझा संपत्ति संसाधन का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी मुख्य विशेषताएं बताइए?
उत्तर : भूमि के स्वामित्व के आधार पर भूमि संसाधनों को दो भागों में बांटा जाता है:
1) निजी भू-संपति।
2) साझा संपत्ति संसाधन ।
निजी संपत्ति पर व्यक्तियों का निजी स्वामित्व या कुछ व्यक्तियों का सम्मिलित निजी स्वामित्व होता है जबकि साझा संपत्ति सामुदायिक उपयोग हेतु राज्यों के स्वामित्व में होती है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं –
- पशुओं के लिए चारा, घरेलू उपयोग हेतु ईंधन, लकड़ी तथा साथ ही अन्य वन उत्पाद जैसे फल, रेशे, गिरी, औषधीय पौधे आदि साझा संपति संसाधन में आते हैं।
- आर्थिक रूप में कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के जीवन-यापन में इन भूमियों का विशेष महत्व है क्योंकि इनमें से अधिकतर भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त अजीविका पर निर्भर हैं।
- महिलाओं के लिए भी इनका विशेष महत्व है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में चारा व ईंधन लकड़ी के एकत्रीकरण की जिम्मेदारी उन्हीं की होती
- सामुदायिक वन, चारागाह, ग्रामीण जलीय क्षेत्र तथा अन्य सार्वजनिक स्थान साझा संपत्ति संसाधन के उदाहरण है।
प्रश्न 28. 1990 के दशक की उदारीकरण नीति तथा उन्मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था ने भारतीय कृषि विकास को प्रभावित किया हैं स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
- उदारीकरण नीति तथा उन्मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था ने ग्रामीण कृषि अवसंरचना के विकास में कमी तथा किसानों को मिलने वाले समर्थन मूल्य में कमी पैदा की है
- इस नीति के कारण सरकार ने कृषि क्षेत्र की योजनाओं को पीछे कर दिया है। राष्ट्रीय आय का बहुत कम भाग कृषि विकास पर खर्च किया जाता है।
- किसानों को बीजों उर्वरकों तथा कीटनाशकों पर मिलने वाली छूट में कमी आयी है।
- ग्रामीण ऋण उपलब्धता में रूकावटें पैदा हुई है।
- अंतर प्रादेशिक व अंतवैयक्तिक विषमता पैदा हुई है।
प्रश्न 29. “पिछले पचास वर्षों में कृषि उत्पादन व प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय बढोतरी हुई है” इस कथन की पुष्टि उपयुक्त तथ्यों द्वारा किजिए।
उत्तर :
- बहुत सी फसलों जैसे चावल तथा गेहूँ के उत्पादन तथा पैदावार में प्रभावशाली वृद्धि हुई है। दालों व जूट के उत्पादन में प्रथम व चावल, गेहूँ, गन्ना, मूंगफली में भारत दूसरा बड़ा उत्पादक देश है।
- सिंचाई के प्रसार ने देश में कृषि उत्पादन बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी बीजों की उत्तम किस्में रासायनिक खादों, कीटनाशकों तथा मशीनरी के प्रयोग के लिए आधार प्रदान किया है।
- देश के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक कृषि, प्रौद्योगिकी का प्रसार तीव्रता से हुआ है। रासायनिक उर्वरकों की खपत में भी कई गुना वृद्धि हुई है।
- उत्तम बीज के किस्मों में कीट प्रतिरोधकता कम है अतः कीटनाशकों की खपत में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
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