पाठ – 6
स्पीति में बारिश
In this post we have mentioned all the important questions of class 11 Hindi (Aroh) chapter 6 स्पीति में बारिश in Hindi
इस पोस्ट में कक्षा 11 के हिंदी (आरोह) के पाठ 6 स्पीति में बारिश के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | हिंदी (आरोह) |
Chapter no. | Chapter 6 |
Chapter Name | स्पीति में बारिश |
Category | Class 11 Hindi (Aroh) Important Questions |
Medium | Hindi |
Chapter 6 स्पीति में बारिश
पाठ के साथ
प्रश्न 1: इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता। क्यों?
उत्तर- स्पीति हिमाचल की पहाड़ियों में एक ऐसा दुर्गम स्थल है जहाँ पहुँचना सामान्य लोगों के वश में नहीं है। संचार माध्यमों एवं आवागमन के साधनों का अभाव है। अतः यहाँ दूसरे देशों की जानकारी नहीं होती। स्पीति का भूगोल अलंघ्य है। साल में आठ-नौ महीने बरफ़ रहती है तथा यह संसार से कटा रहता है। दुर्गम स्थान के कारण किसी राजा ने यहाँ हमला नहीं किया इसका जिक्र सिर्फ राज्यों के साथ जुड़े रहने पर ही आता है। मानवीय गतिविधियों के अभाव के कारण यहाँ इतिहास नहीं बना। यह क्षेत्र प्रायः स्वायत्त ही रहा है।
प्रश्न 2: स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?
उत्तर- स्पीति का जीवन बहुत कठोर है। यहाँ लंबी शीत ऋतु होती है। आठ-नौ महीने यह क्षेत्र शेष विश्व से कटा रहता है। यहाँ जलाने के लिए लकड़ी भी नहीं होती। लोग ठंड से ठिठुरते रहते हैं। यहाँ न हरियाली है और न ही पेड़। यहाँ पर्याप्त वर्षा भी नहीं होती। यहाँ साल में एक ही फसल उगा सकते हैं। जौ, गेहूँ, मटर व सरसों के अलावा दूसरी फसल नहीं हो सकती। किसी प्रकार का फल व सब्जियाँ पैदा नहीं होतीं। यहाँ रोजगार के साधन नहीं हैं। यहाँ की जमीन खेती योग्य है, परंतु सिंचाई के साधन विकसित नहीं हैं। अत: यहाँ के लोग अत्यंत जटिल परिस्थिति में रहते हैं।
प्रश्न 3: लेखक माने श्रेणी का नाम बौदधों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों है?
उत्तर- माने श्रेणी के विषय में लेखक स्वयं प्रश्न करता है कि इसका क्या अर्थ है? और फिर स्वयं ही अनुमानित करता है कि कहीं यह बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर तो नहीं है? ‘ओं मणि पद्मे हुँ’ इनका बीज मंत्र है। लेखक इसे बौद्धों का बीज मंत्र और संक्षेप में माने कहकर पाठक के समक्ष यह तथ्य रखता है कि इस श्रेणी में माने मंत्र का बहुत अधिक जाप हुआ है और उसे ध्यान में रखते हुए इस श्रेणी का नाम माने ही दे डालना चाहिए।
प्रश्न 4: ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं-इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है?
उत्तर- लेखक ने बताया है कि माने पर्वत श्रेणियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं, क्योंकि उनके जाप से यहाँ का वातावरण बोझिल व नीरस हो गया है। लेखक पहाड़ों व मैदानों से युवक-युवतियों को बुलाना चाहता है ताकि वे यहाँ आकर क्रीड़ा-कौतुक करें, प्रेम के खेल खेलें, जिससे यहाँ के वातावरण में ताजगी व उत्साह का संचार हों। चोटियों पर चढ़ने से जीवन औगड़ाई लेने लगेगा। युवाओं के अट्टहास से चोटियों पर जमा आर्तनाद पिघलेगा।
प्रश्न 5: वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग हैं-लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर- स्पीति में वर्षा नहीं होती। वहाँ के लोग वर्षा की आनंददायक स्थितियों से अनभिज्ञ हैं। यहाँ वर्षा ऋतु मन की साध पूरी नहीं करती। यहाँ की धरती सूखी, ठंडी और वंध्या रहती है। स्पीति में साल में केवल एक फ़सल होती है। सिंचाई का साधन है-पहाड़ों से आ रहे नाले। उपजाऊ और खेती के योग्य धरती का तो यहाँ अभाव नहीं है, परंतु वर्षा नहीं होती। वर्षा यहाँ के लोगों के लिए एक घटना है। इसीलिए लेखक ने इसे एक सुखद संयोग माना है। स्पीति की यात्रा के दौरान वहाँ की वर्षा देखने का सौभाग्य भी लेखक को मिला था। स्थानीय लोगों ने भी इसी कारण लेखक की यात्रा को शुभ कहा था।
प्रश्न 6: स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से बहुत भिन्न हैं; जैसे-
- स्पीति के पहाड़ों की ऊँचाई 13000 से 21,000 फीट तक की है। ये अत्यंत दुर्गम हैं।
- यहाँ के दरें बहुत ऊँचे व दुर्गम हैं।
- यहाँ साल में आठ-नौ महीने बर्फ जमी रहती है तथा रास्ते बंद हो जाते हैं।
- यहाँ वर्षा नहीं होती तथा पेड़ व हरियाली का नामोनिशान नहीं है।
- हुए ह फल हता है उसे भोज मर सों आदमुवा है फ्लए समय या उन नाह होती हैं।
- यहाँ सिर्फ दो ऋतुएँ होती हैं-वसंत व शीत ऋतु।
- यहाँ परिवहन व संचार का कोई साधन नहीं।
- यहाँ आबादी बेहद कम है। यहाँ प्रति किलोमीटर चार व्यक्ति रहते हैं।
- यहाँ पर्यटक नहीं आते। अत: यहाँ का वातावरण उदास रहता है।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1: स्पीति में बारिश का वर्णन एक अलग तरीके से किया गया है। आप अपने यहाँ होने वाली बारिश का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारत में और संसार के हर कोने में अपना-अपना मौसम, परिवेश और ऋतु चक्र है। बारिश सभी को सुहावनी लगती है। हमारे यहाँ तेज़ हवा और गरमी के बाद काले बादलों से आसमान घिर जाता है। बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक में ऐसा आकर्षण होता है कि सभी लोग घरों से बाहर निकलकर प्रकृति का यह खेल देखने लगते हैं। बादलों से जब जल का बोझ नहीं सँभलता तो टप-टप बूंदें गिरनी आरंभ हो जाती हैं। सारा माहौल हर्ष-उल्लास से भर जाता है, माटी की भीनी-भीनी सुगंध सबको सराबोर कर देती है। बच्चे दौड़ पड़ते हैं बारिश में भीगने और नहाने के लिए, पर बड़ों का मन भी नियंत्रण खो बैठता है। पकौड़े, हलवा आदि पकवान बनते हैं। उमंग, उत्साह और उल्लास की लहर हिलोरें लेती
प्रश्न 2: स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए। किन का जीवन आपको ज़्यादा अच्छा लगता है और क्यों?
उत्तर- स्पीति के लोगों का जीवन मैदानी भागों के निवासियों की तुलना में बेहद कष्टदायक है। मैदानी क्षेत्रों में जलवायु कठोर नहीं है। यहाँ छह ऋतुएँ होती हैं। स्पीति में सर्दी व वसंत दो ही ऋतुएँ होती हैं। सर्दी में सब कुछ जम जाता है। वर्षा नहीं होती।
मैदानों में रोजगार, कृषि, खाद्य-सामग्री व संचार के साधनों की कमी नहीं है। व्यक्ति के पास सुख के साधनों की कमी नहीं है, जबकि स्पीति में ऐसा कुछ नहीं है। वहाँ जीवन-निर्वाह भी कठिनता से होता है। अत: मैदानी भागों में रहने वाले का जीवन ज्यादा सुखी व अच्छा है। यहाँ जीवन की गति नियमित रूप से चलती है।
प्रश्न 4: लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग तीस वर्ष पहले की थी। इन तीस वर्षों में क्या स्पीति में कुछ परिवर्तन आया है? जानें, सोचें और लिखें।
उत्तर- लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग 30 वर्ष पहले की थी, परंतु आज वहाँ कुछ परिवर्तन आया है। अब वहाँ संचार, यातायात व रोजगार के साधन कुछ विकसित हुए हैं, परंतु प्राकृतिक दशाएँ वैसी ही हैं। अत: अधिक परिवर्तन की वहाँ गुंजाइश नहीं है।
भाषा की बात
प्रश्न 1: पाठ में से दिए गए अनुच्छेद में क्योंकि, और, बल्कि, जैसे ही, वैसे ही, मानो, ऐसे, शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे दोबारा लिखिए-
लैंप की ली तेज़ की खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज़ हवा को झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया। उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था। सुन रहा था। औधरा, ठड और हवा का झोंका आ रहा था। जैसे बरफ का अश लिए तुषार जैसी बूंदें पड़ रही थीं।
उत्तर- लैंप की लौ तेज की। जैसे ही खिड़की का एक पल्ला खोला वैसे ही तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया और उसकी आड़ से देखने लगा। मैं उसे देख नहीं रहा था बल्कि सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका ऐसे आ रहा था मानो बर्फ का अंश लिए तुषार जैसी बूंदें पड़ रही थीं।
बोधात्मक प्रशन
प्रश्न 1: ‘स्पीति में बारिश’ पाठ का प्रतिपादय बताइए।
उत्तर- यह पाठ एक यात्रा-वृत्तांत है। स्पीति हिमाचल के मध्य में स्थित है। यह स्थान अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न है। लेखक ने यहाँ की जनसंख्या, ऋतु, फसल, जलवायु व भूगोल का वर्णन किया है। ये एक-दूसरे से संबंधित हैं। उन्होंने दुर्गम क्षेत्र स्पीति में रहने वाले लोगों के कठिनाई भरे जीवन का भी वर्णन किया है। कुछ युवा पर्यटकों का पहुँचना स्पीति के पर्यावरण को बदल सकता है। ठंडे रेगिस्तान जैसे स्पीति के लिए उनका आना, वहाँ बूंदों भरा एक सुखद संयोग बन सकता है।
प्रश्न 2: शिव का अट्टहास नहीं, हिम का आर्तनाद है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- लेखक बताता है कि पहाड़ के शिखरों पर जो बर्फ जमी होती है, उसे शिव की तेज हँसी का कारण माना जाता है, परंतु स्पीति में यह मान्यता लागू नहीं होती। यहाँ बर्फ कष्टों का प्रतीक है। जीवन में इतने अभाव हैं कि यहाँ दर्द के सिवाय कुछ नहीं है। यही चीख-पुकार, दर्द बर्फ के रूप में जमा हो गया है। प्रश्न
प्रश्न 3: स्पीति रेगुलेशन कब पास हुआ? इसके बारे में बताइए।
उत्तर- स्पीति रेगुलेशन 1873 ई. में ब्रिटिश सरकार के समय पारित किया गया। इसके निम्नलिखित प्रभाव थे-
- लाहुल व स्पीति को विशेष दर्जा दिया गया।
- यहाँ ब्रिटिश भारत के अन्य कानून लागू नहीं होते थे।
- स्थानीय प्रशासन के अधिकार नोनो को दिए गए।
- नोनो मालगुजारी को इकट्ठा करता तथा फौजदारी के छोटे-छोटे मुकदमों का फैसला करता था।
- अधिक बड़े मामले कमिश्नर को भेजे जाते थे।
प्रश्न 4: बाहय आक्रमण से स्पीति के लोग अपनी सुरक्षा कैसे करते हैं?
उत्तर- बाहरी आक्रमण से रक्षा करने के लिए स्पीति के लोग अप्रतिकार का तरीका अपनाते हैं। वे उससे लड़ते नहीं। वे चाँग्मा का तना पकड़कर या एक-दूसरे को पकड़कर आँख मींचकर बैठ जाते हैं। जब आक्रमणकारी या संकट गुजर जाता है तो वे उठकर वापस आ जाते हैं।
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