पाठ – 8
उसकी माँ
In this post we have mentioned all the important questions of class 11 Hindi (Antra) chapter 8 उसकी माँ in Hindi
इस पोस्ट में कक्षा 11 के हिंदी (अंतरा) के पाठ 8 उसकी माँ के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | हिंदी (अंतरा) |
Chapter no. | Chapter 8 |
Chapter Name | उसकी माँ |
Category | Class 11 Hindi (Antra) Important Questions |
Medium | Hindi |
Chapter 8 उसकी माँ
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1: क्या लाल का व्यवहार सरकार के विरुद्ध षड्यंत्रकारी था?
उत्तर : वह एक क्रांतिकारी था। अपने देश को आज़ाद कराने के लिए प्रत्यनशील था। इस कारण से उसे अंग्रेज़ी सरकार राजद्रोही कह सकती है। उसने कभी सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र नहीं किया था। क्रांतिकारी होने के कारण सरकार उस पर संदेह करती थी। उसके बढ़ते कदमों को रोकने के लिए अंग्रेज़ी सरकार ने उसे षड्यंत्र करके फंसा दिया था। अतः हम उसे षड्यंत्रकारी नहीं कह सकते हैं।
प्रश्न 2: पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केंद्र में नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों?
उत्तर : जानकी किसी भी तंत्र का हिस्सा नहीं है। वह सिर्फ माँ है। माँ का संबंध शासन तंत्र और उसकी व्यवस्था से नहीं होता है। उसके लिए उसकी संतान महत्वपूर्ण होती है। वह राजनीति, शासन, आज़ादी बातों से अनजान होती है। उसमें वात्सल्य है, संतान के प्रति प्रेम है, संतान की शुभकामना है, संतान की सुरक्षा का भाव है। ऐसे ही जानकी है। लेखक भी यहाँ पर शासन-तंत्र को नहीं दर्शाता, वह क्रांतिकारी को नहीं दिखाना चाहता है, वह दिखाना चाहता है एक माँ के निस्वार्थ प्रेम को जो उसे सबसे अलग बना देता है। यह ऐसी भावना है, जो बिना किसी तर्क-वितर्क के मनुष्य को वरदान स्वरूप प्राप्त है। अतः यह कहानी लाल से आरंभ तो अवश्य होती है लेकिन घूमती उसकी माँ के चारों ओर है। यही कारण है कि लेखक ने उसे कहानी का शीर्षक बना दिया।
प्रश्न 3: चाचा जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है किंतु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का है और क्यों है?
उत्तर : चाचा एक आम आदमी है। उन्हें देश तथा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। उनके अनुसार देश गुलाम हो या आज़ाद उससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। उनकी ज़िंदगी आराम से कट रही है। लाल तथा जानकी के प्रति उनकी जो सहानुभूति है, वह पड़ोसी संबंध होने के कारण है। वह यह भी जानते है कि लाल को पुलिस ने बिना कारण के पकड़ा है। उन्हें डर है यदि वह लाल तथा उसकी माँ की प्रत्यक्ष रूप से मदद करेंगे, तो सरकार उन्हें भी पकड़ लेगी। वह स्वयं को सरकार के प्रकोप से बचाना चाहते है। लाल तथा उसकी माँ की जो स्थिति है, उससे वह डरते हैं। अतः दोनों के प्रति सहानुभूति होने के बाद भी वह स्वयं को दोनों से अलग रखते है। वह स्वयं को तथा अपने परिवार को सरकार के कोप से बचाना चाहते है।
प्रश्न 4: इस कहानी में दो तरह की मानसिकताओं का संघर्ष है, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है और दूसरे का उसका चाचा। आपकी नज़र में कौन सही है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर : हमारी नज़र में लाल सही है। इसके पीछे बहुत से कारण हैं। लाल देश के उस युवावर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, जो अपने देश से प्रेम करता है। अपनी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी का पालन करता है। प्रश्न यह उठता है कि लाल अपनी माँ के प्रति ज़िम्मेदार नहीं था। गहराई में जाएँ, तो समझ में आता है कि देश के लिए आज़ादी ऐसे नहीं मिली है। यदि सभी चाचा जैसे हो जाते, तो देश अब तक गुलाम रहता। ऐसे हज़ारों लाल की कुर्बानी से ही हम आज़ाद देश में रह रहे हैं। अतः लाल की मानसिकता सबसे श्रेष्ठ है। वह अपने देश की आज़ादी के लिए किसी बात की परवाह नहीं करता। अपने प्राण तक देश की शुभ इच्छा में न्योछावर कर देता है।
प्रश्न 5: उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी सिर्फ़ माँ नहीं भारतमाता है? कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर : वे लड़के जानकी के शारीरिक रूप तथा स्वभाव के आधार पर उसे भारतमाता कहते हैं। जानकी वृद्धा है। उसके बाल सफ़ेद है। लड़के उसके सफ़ेद बालों को हिमालय की संज्ञा देते हैं। जानकी के माथे पर पड़ते बल में उन्हें नदियों का भान होता है। ठोढ़ी के आकार को कन्याकुमारी और लहराते बालों को बर्मा कहते हैं। पाठ के आधार पर देखा जाए, तो जानकी का चरित्र-चित्रण इस प्रकार है-
- जानकी सीधी-साधी स्त्री है। उसे किसी बात से कोई सरोकार नहीं है। बस उसे अपने बच्चों की चिंता है और वही उसके लिए सबकुछ हैं।
- जानकी वात्सल्य से युक्त है। उसका प्रेम मात्र अपने बेटे लाल के लिए नहीं है। उसके मित्रों को भी वह अपने बच्चों के समान वात्सल्य लुटाती है। बच्चों की मृत्य़ु का सामाचार पाकर स्वयं भी प्राण त्याग देती है।
- जानकी त्यागमयी है। वह अपने बेटे तथा उसके मित्रों के भोजन-पानी की व्यवस्था के लिए अपनी सभी पूंजी प्रसन्नतापूर्वक खर्च देती है।
- जानकी स्वाभिमानी स्त्री है। वह किसी से भी सहायता नहीं माँगती है। अपने बच्चों के लिए वह स्वयं प्रयास करती है। किसी से भी दया की अपेक्षा नहीं रखती है। वह सबकुछ बेच देती है लेकिन उफ नहीं करती है।
प्रश्न 6: विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत में डालता? इस कथन के आधार पर उस शासन-तंत्र और समाज-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : उस समय का शासन-तंत्र बहुत ही क्रूर तथा तानाशाही था। लोगों में उसका भय विद्यमान था। समाज भी उसके भय से आक्रांत था। सब डरते थे। शासन के डर से क्रांतिकारियों की सहायता करने को मुसीबत को न्योता देने के समान माना जाता था। शासन तंत्र को जिस पर संदेह होता था, वह उसी को धर दबोचता था। उसका मानना था कि अपने विरुद्ध उठती आवाज़ को बंद करने में ही शासन की बेहतरी है। समाज भी ऐसा ही था, जो अपने लिए सोचता था। उसकी सोच बस स्वार्थ में विद्यमान थी। समाज में एकता नहीं थी। सबको अपने से मतलब था। अतः लाल और उसकी माँ की कौन सहायता करता। इससे पता चलता है कि उस समय की शासन-तंत्र तथा समाज-व्यवस्था बेकार थी।
प्रश्न 7: चाचा ने लाल का पेंसिल-खचित नाम पुस्तक की छाती पर से क्यों मिटा डालना चाहा?
उत्तर : अपनी पुस्तक में लाल का नाम देखकर चाचा उस नाम को मिटाने के लिए परेशान हो उठे। उसके पीछे एक नहीं कई कारण थे। पुस्तक पर लाल नाम देखकर उन्हें अपनी लाचारी तथा डर का अहसास होता था। यह नाम उन्हें पीड़ा देता था। लाल ने देश के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया था। उसकी बूढ़ी माँ बेसहारा थी। लेखक उसकी माँ की मदद करने में सक्षम नहीं थे। शासन से दुश्मनी का भय उन्हें रोक देता था। सुपरिंटेंडेंट की तस्वीर उनकी आँखों में घूमने लगती थी। उसका आँखें उन्हें डराती थी। वह स्वयं को लाचार महसूस करते थे। लाल का नाम देखकर उन्हें अधिक लाचारी का अहसास होता था। वह उन्हें अहसास दिलाता था कि वे कितने दुर्बल मनुष्य है। एक देशभक्त की माँ की सहायता नहीं कर सकते है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) पुलिसवाले केवल …………… धीरे-धीरे घुलाना-मिटाना है।
(ख) चाचा जी, नष्ट हो जाना ………………. सहस्र भुजाओं की सखियाँ हैं।
उत्तर :
- (क) जानकी लड़कों की बातचीत सुनती है। वह इस बातचीत की जानकारी चाचा को देती है। वह बताती है कि लड़के पुलिसवालों के बारे में बात कर रहे थे। वे कह रहे थे कि पुलिस मात्र शक होने पर सीधे-साधे लोगों के बच्चों को तकलीफ दे रही है। वे उन्हें पकड़ लेती है। उन्हें मारती है तथा विभिन्न प्रकार से सताती है। पुलिस का काम अपराधियों को पकड़ना होता है। भले लोगों के बच्चों को मात्र शक होने के कारण पकड़ना नहीं। वे बिना अपराध उनको न मार सकते हैं और न तंग कर सकते हैं। यह पुलिस अत्याचारी है। अपने कर्तव्यभाव से विमुख होकर यह नीचता पर उतर आई है। हमें चाहिए कि ऐसी शासन-प्रणाली को स्वीकार न करें। इस शासन-प्रणाली के अत्याचार देखते हुए भी जो चुप रहते हैं, वे अपने धर्म को, कर्म को, आत्मा को तथा परमात्मा को भी भुला देते हैं। इस तरह वे धीरे-धीरे घुलते हैं तथा आखिर में मिट जाते हैं। भाव यह है कि गुलामी ऐसे लोगों का सबकुछ हथिया लेती है और दासता उनका भाग्य बन जाता है।
- (ख) लाल अपने चाचा को कहता है कि जो प्रत्येक प्राणी, वस्तु इस संसार हैं, उन्हें एक दिन समाप्त हो जाना है। यह प्रकृति का नियम है। इसे हम मिटा नहीं सकते हैं। जिसे आज हमने बनाया है, वह कल बिगड़ जाएगा। उसे बिगड़ने से कोई रोक नहीं सकता है। हमें अपनी दुर्बलता के डर से कार्य को नहीं रोकना चाहिए। अर्थात हम किसी कार्य को करने का बिड़ा उठाते हैं, तो यह नहीं सोचना चाहिए कि वह पूरा होगा या नहीं, हमें उसमें हानि तो नहीं होगी या फिर उसे करते हुए हम मर तो नहीं जाएँगे। ये सारी बातें मनुष्य की दुर्बलता की निशानी हैं। हमें इन दुर्बलताओं पर विजय पानी चाहिए और बिना डर के कार्य करना चाहिए। कार्य करते समय हमें मज़बूत होकर कार्य को करना चाहिए। जब हम मज़बूत होकर कार्य करते हैं, तो हमारी भुजाएँ भगावन की असंख्या भुजाओं की मित्र के समान बन जाती है। अर्थात ईश्वर भी हमारे साथ हो जाता है।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1: पुलिस के साथ दोस्ती की जानी चाहिए या नहीं? अपनी राय लिखिए।
उत्तर : प्रश्न यदि मनुष्य से दोस्ती करने का है, तो फिर वह कोई भी हो हमें फर्क नहीं पड़ना चाहिए। दोस्ती मनुष्य से की जाती है, उसके पद या धन से नहीं। यदि वह मनुष्य आपके दोस्त बनने का हकदार है, तो हमें दोस्ती अवश्य करनी चाहिए। अब प्रश्न उठता है कि हम पुलिसवाले से दोस्ती करना चाहिए या नहीं। इसका प्रश्न का उत्तर यह है कि हमें पुलिसवाले से दोस्ती नहीं करना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति पुलिसवाला है सिर्फ इसलिए दोस्ती नहीं करनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि यदि हम किसी पुलिसवाले से मित्रता करते हैं, तो कहीं-न-कहीं उसके पद का लाभ उठाने का प्रयास करते हैं। परिणाम हम उस मित्र की वर्दी का फायदा उठाकर अनुचित कार्य करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं। यह सही नहीं है। हमें चाहिए कि हम मित्रता मनुष्य से करें उसके पद से न करें। इसी में मित्रता की सच्ची पहचान है।
प्रश्न 2: लाल और उसके साथियों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर : लाल और उसके साथियों से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें निरकुंश शासन का विरोध करना चाहिए। जो राष्ट्र अपने नागरिकों के हितों के स्थान पर उनका अहित करने लगे हमें उसका विरोध निडरता से करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हमें अपने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े, तो हिचकना नहीं चाहिए। लाल और उसके साथी अपने देश के लिए बलिदान देने से हिचकते नहीं है। वे हमें सीखा जाते हैं कि अत्याचार का विरोध करना चाहिए और गुलामी के जीवन से मुक्ति के लिए प्रयास करना चाहिए।
प्रश्न 3: ‘उसकी माँ’ के आधार पर अपनी माँ के बारे में एक कहानी लिखिए।
उत्तर : मेरी माँ दुनिया की सबसे प्यारी व अच्छी माँ है। बचपन से आज तक मैं सदैव माँ के साथ रही हूँ। माँ के द्वारा हमेशा मेरी जरूरतों का ध्यान रखा गया। जब मैं छोटी थी, तो माँ ही मुझे नहलाती व तैयार करती थी। वह मेरे साथ खेलती थी और मुझे पढ़ाती भी थी। मेरे मुँह से निकला पहला शब्द माँ ही था। मेरे द्वारा सीखा गया पहला पाठ माँ ने ही सिखाया था। मेरे गिर जाने पर मुझसे ज्यादा वह रोती थी। वह मुझे मेरी गलती में डांटती भी थी परन्तु थोड़ी देर में मुझे प्यार भी करती थी। वह सदैव मेरे साथ मेरी छाया के समान रहती थी और आज भी है। पिताजी भी मेरा बड़ा ध्यान रखते हैं परन्तु माँ की बात ही अलग है। मैं अपनी माँ से स्वयं को अधिक करीब पाती हूँ। ऐसा कभी नहीं हुआ कि मुझे माँ की जरूरत हो और उन्होंने मेरा साथ न दिया हो। उन दिनों की बात है जब मेरे स्कूल में गरमी की छुट्टियाँ पड़ी हुई थीं। मैं सारा-सारा दिन धूप में खेलती और जब मौका मिलता माँ की आँख बचाकर बाहर खेलने चली जाती। माँ मना किया करती थी कि बाहर बहुत गरमी है। इतनी गरमी में नहीं खेलना चाहिए। लेकिन मैंने माँ की एक बात नहीं मानी। एक दिन माँ के सो जाने पर मैं घर से बाहर निकल गई व अपनी सहेलियों के साथ दिनभर खेलती रही। उस दिन अधिक गरमी हो रही थी। अचानक में बेहोश हो गई। मेरी सहेलियों ने माँ को बुलाया। मेरे कारण माँ बहुत परेशान रही। डाक्टर ने बताया की मुझे गरमी से ऐसा हुआ है। मुझे बुखार आ गया। मैं बहुत दिनों तक बीमार पड़ी रही। माँ उन दिनों मेरी दिन-रात सेवा करती रही। वह मेरे लिए नाना प्रकार के खेल-खिलौने लाई। वह मेरे साथ खेलती ताकि मैं बाहर न जाऊँ। इस घटना ने मुझे इस बात का एहसास कराया की माँ मुझे कितना स्नेह करती है। मैं और मेरी माँ हम दोनों का रिश्ता सखियों जैसा है। वह कभी मेरे साथ माँ जैसा व्यवहार नहीं करती। मेरी वो सबसे अच्छी दोस्त है। उनके साथ जो खुशी मुझे मिलती है, वह अन्य किसी के साथ नहीं मिलती। माँ के बिना मैं अपनी कल्पना भी नहीं कर सकती। माँ भी मेरे बिना एक पल नहीं रह पाती। मेरे कारण वह बाहर ज्यादा आती-जाती भी नहीं है। मेरे परीक्षा के दिनों में तो वह मेरे साथ ही पूरी-पूरी रात जागती रहती है ताकि मुझे किसी चीज़ की जरूरत न पड़ जाए। मेरी माँ और मैं एक दूसरे बहुत प्यार करते हैं। मैं उनकी सबसे प्यारी बेटी हूँ, वो मेरी सबसे प्यारी माँ।
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