पाठ – 4
महासागरों और महाद्वीपों का वितरण
In this post, we have mentioned all the important questions of class 11 Geography chapter 4 Distribution of Oceans and Continents in Hindi.
इस पोस्ट में क्लास 11 के भूगोल के पाठ 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 4 |
Chapter Name | महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents) |
Category | Class 11 Geography Important Questions in Hindi |
Medium | Hindi |
Chapter – 4, महासागरों और महाद्वीपों का वितरण
(अति लघु उत्तरीय प्रश्न)
प्रश्न 1 महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने और कब किया ?
उत्तर : जर्मन मौसमविद् अल्फ्रेड वेगनर ने 1912 ई में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
प्रश्न 2 पैंजिया एंव पैंथालासा क्या है ?
उत्तर :
पैंजिया :- आज के सभी महाद्वीप एक ही भूखंड के भाग थे जिसे पैंजिया कहा गया।
पैंथालासा :- पैंजिया के चारों और विस्तृत विशाल सागर को पैंथालासा कहा गया।
प्रश्न 3. मध्य महासागरीय कटक क्या है ?
उत्तर : मध्य महासागरीय कटक अटलांटिक महासागार के मध्य में उत्तर से दक्षिण तक आपस में जुड़े हुए पर्वतों की श्रृंखला है जो महासागरीय जल में डूबी हुई है।
प्रश्न 4. रिंग ऑफ फायर किसे कहते है ?
उत्तर : प्रशान्त महासागर के किनारे पर सक्रिय ज्वालामुखियों की श्रृंखला पायी जाती है जिसे रिंग ऑफ फायर या अग्नि वलय कहते हैं।
प्रश्न 5. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त में प्लेट से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : महाद्वीपीय एंव महासागरीय स्थलखंडों से मिलकर बना, ठोस व अनियमित आकार का विशाल भू-खंड जो एक दृढ़ इकाई के रूप में है। प्लेट कहलाती है।
प्रश्न 6. रूपांतर सीमा से क्या तात्पर्य है।
उत्तर : दो विर्वतनिक प्लेटें जब एक दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती है किंतु नई पर्पटी का न तो निर्माण होता है और न ही विनाश होता है इस तरह की सीमा को रूपांतर सीमा कहते हैं।
प्रश्न 7. प्लेसर निक्षेप से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : नदियों की तली में खनिजों का अवसाद के रूप में निक्षेपण प्लेसर निक्षेप कहे जाते हैं। इनके अन्तर्गत नदियों की तली में सोने के भी निक्षेप मिलते हैं।
प्रश्न 8. टिलाइट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: टिलाइट वे अवसादी चट्टाने हैं, जो हिमानी निक्षेपण से निर्मित होती है। गोंडवाना श्रेणी के आधार तल में टिलाइट पाये जाते है। इसी क्रम के प्रतिरूप भारत के अतिरिक्त दक्षिणी गोलार्द्ध में अफ्रीका, फॉकलैंड द्वीप, डागास्कर अंटार्कटिका और आस्ट्रेलिया में भी मिलते हैं।
प्रश्न 9. लैमूरिया से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : लैमूर प्रजाति के जीवाष्म भारत, मैडागास्कर व अफ्रीका में मिलते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने इन तीनों खण्डों को जोड़कर एक सतत् स्थलखण्ड की उपस्थिति को स्वीकारा है जिसे वे लैमूरिया कहते हैं।
प्रश्न 10. दक्षिणी तथा उत्तरी अमेरिका और यूरोप तथा अफ्रीका के आपस में जुड़े होने की संभावना सर्वप्रथम किसने व कब प्रकट की?
उत्तर : अब्राहम ऑरटेलियस ने 1596 ई. में।
प्रश्न 11.पैंजिया के विभाजन से कौन से दो बड़े महाद्वीपीय पिंड अस्तित्व में आये थे?
उत्तर :
1) लारेशिया (उत्तरी भूखण्ड)
2) गोंडवाना लैंड (दक्षिणी भूखण्ड)
प्रश्न 12.महाद्वीपों में साम्यता को कैसे प्रमाणित किया गया? बतलाइये।
उत्तर : सन् 1964 ईस्वी में बुलर्ड ने एक कम्प्यूटर प्रोग्राम की मदद से अटलांटिक तटों को जोड़ते हुए एक मानचित्र तैयार किया था जिसमें तटों का साम्य एकदम सही साबित हुआ।
प्रश्न 13.वे कौन सी वैज्ञानिक खोजें थी जिन्होंने महाद्वीपीय विस्थापन के सिद्धांत को खारिज कर दिया ?
उत्तर :
1) महासागरीय धरातल का मानचित्रण व बनावट |
2) भूकंप व ज्वालामुखियों का वितरण ।
3) सागरीय अधः स्तल का विस्तार |
प्रश्न 14.पोलर फलीइंग बल (Polar Fleeing Force) किससे संबंधित है।
उत्तर : पोलर फलीइंग बल पृथ्वी के धूर्णन से संबंधित है।
प्रश्न 15.महाद्वीपीय साम्य से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : महाद्वीपों की सीमाओं (Boundries) में एक रूपता (zig-saw-fit) दिखाई देती है। यदि उत्तरी अमेरीका व दक्षिणी अमेरिका को यूरोप व अफ्रीका की सीमाओं से मिलाया जाए तो इन सीमाओं में काफी हद तक एकरुपता दिखाई देगी।
प्रश्न 16.मेंटल में संवहन धाराओं के आरंभ होने और बने रहने के क्या कारण है?
उत्तर मेंटल में संवहन धाराएँ रेडियोएक्टिव तत्वों से उत्पन्न ताप भिन्नता से उत्पन्न होती हैं। पूरे मेंटल भाग में इस प्रकार की धाराओं का तंत्र विद्यमान है। रेडियोएक्टिव तत्वों के कारण ही संवहन धाराएँ हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वेगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन के लिए किन बलों को उत्तरदायी बताया?
उत्तर : वेगनर के अनुसार महाद्वीप विस्थापन के दो कारण हैं :
1) पोलर फलीइंग बल:- पृथ्वी के घूर्णन के कारण महाद्वीप अपने स्थान से खिसक गये।
2) ज्वारीय बल :- ज्वारीय बल सूर्य व चन्द्रमा के आकर्षण से संबंधित है इस आकर्षण बल के कारण महाद्वीपीय खण्डों का विस्थापन हो सकता है।
प्रश्न 2. भूकम्प व ज्वालामुखी का विश्व में वितरण स्पष्ट करें ?
या
भूकम्प व जवालामुखी की मुख्य तीन पेटियों के बारे में बताइये।
उत्तर :
(1) अटलांटिक महासागर के मध्यवर्ती भाग में तटरेखा के समान्तर भूकम्प एवं ज्वालामुखी की एक श्रृंखला है जो आगे हिंद महासागर तक जाती है। ऊपर मानचित्र देखें।
(2) दूसरा क्षेत्र अल्पाइन से हिमालय श्रेणियों और प्रशान्त महासागरीय किनारों के समरूप हैं।
(3) तीसरा क्षेत्र :- प्रशान्त महासागर के किनारे एक वलय के रूप में है जिसे (Ring of Fire) भी कहा जाता है।
प्रश्न 3. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : सन् 1967 में मैक्केन्जी, पारकर और मोरगन ने प्लेट विवर्तनिकी की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार पृथ्वी का स्थल मंडल सात मुख्य प्लेटों एंव कुछ छोटी प्लेटों में बंटा हुआ है। ये प्लेटें दुर्बलतामंडल पर दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं।
प्रश्न 4. अपसारी सीमा एवं अभिसरण सीमा में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर :
अपसारी सीमा :
(1) इसमें दो प्लेटें एक दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं।
(2) इसमें नई पर्पटी का निर्माण होता है।
(3) इसे प्रसारी स्थान भी कहा जाता है।
(4) इसका उदाहरण मध्य अटलांटिक कटक है।
अभिसरण सीमा :
(1) इसमें दो प्लेटें एक दूसरे के समीप आती हैं।
(2) एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धंसती है और वहां भूपर्पटी नष्ट होती है।
(3) इसे प्रविष्टन क्षेत्र (Subductionzone) भी कहा जाता है।
(4) इसका उदाहरण प्रशान्त महासागरीय प्लेट एंव अमेरिकी प्लेट है।
प्रश्न 5. विवर्तनिकी प्लेटों को संचालित करने वाले बलों के अध्ययन में संवहन धारा सिद्धान्त क्या कहता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : 1930 के दशक में आर्थर होम्स ने प्लेटों के संचालन में लगने वाले बल के रूप में संवहन धाराओं के प्रवाह की संभावना व्यक्त की थी जिसका बाद में हेस ने समर्थन किया। इस सिद्धान्त के अनुसार भूगर्भ में तापमान में अन्तर पाया जाता है। पृथ्वी के भीतर ताप उत्पत्ति के दो माध्यम हैं: रेडियोधर्मी तत्वों का क्षय और अवशिष्ट ताप । भूगर्भ का उष्ण पदार्थ धरातल पर पहुंचता है, ठंडा होता है, फिर गहराई में जाकर नष्ट हो जाता है। यही चक्र बार-बार दोहराया जाता है और वैज्ञानिक इसे संवहन प्रवाह कहते हैं।
(दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
प्रश्न 1. महाद्वीपों के विस्थापन के पक्ष में क्या प्रमाण दिये जा सकते हैं । विवरण दीजिए।
उत्तर :
महाद्वीपीय विस्थापन के पक्ष में निम्नलिखित प्रमाण दिये जा सकते हैं।
(1) महाद्वीपों में साम्यता :- यदि हम महाद्वीपों के आकार को ध्यान से देखें तों पायेंगे कि इनके आमने सामने की तट रेखाओं में अद्भुत साम्य दिखाता है।
(2) महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता :- वर्तमान में जो दो महाद्वीप एक दूसरे से दूर हैं उनकी चट्टानों की आयु में समानता मिलती है उदाहरण के तौर पर 200 करोड़ वर्ष प्राचीन शैल समूहों की एक पटटी ब्राजील तट (दक्षिणी अमेरीका) और प. अफ्रीका के तट पर मिलती है इससे यह पता चलता है कि दानों महाद्वीप प्राचीन काल में साथ-साथ थे।
(3) टिलाइट :- ये हिमानी निक्षेपण से निर्मित अवसादी चट्टानें हैं। ऐसे निक्षेपों के प्रतिरूप दक्षिणी गोलार्द्ध के छ: विभिन्न स्थल खंडों में मिलते हैं जो इनके प्राचीन काल में साथ होने का प्रमाण हैं।
(4) प्लेसर निक्षेप :- सोना युक्त शिरायें ब्राजील में पायी जाती हैं जबकि प्लेसर निक्षेप घाना में मिलते हैं इससे यह प्रमाणित होता है कि द. अमेरिका व अफ्रीका कभी एक जगह थे।
(5) जीवाशमों का वितरण :- कुछ महाद्वीपों पर ऐसे जीवों के अवशेष मिलते है जो वर्तमान में उस स्थान पर नहीं पाये जाते हैं।
प्रश्न 2. महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त व प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त में मूलभूत अन्तर बताइए?
उत्तर :
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त :- वेगनर ने यह माना कि कार्बनीफेरस युग में सभी स्थल भाग एक बड़े स्थल के रूप में एक दूसरे से जुड़े हुए थे। इस विशाल स्थलीय भाग को वेगनर ने पैंजिया नाम दिया । वेगनर का विचार था कि पैंजिया के कुछ भाग भूमध्य रेखा की ओर खिसकने लगे। यह प्रक्रिया आज से लगभग 30 करोड़ वर्ष पूर्व अंतिम कार्बनीफेरस युग में आरम्भ हुई। लगभग 5-6 करोड वर्ष पूर्व प्लीस्टोसीन युग में महाद्वीपों ने वर्तमान स्थिति के अनुरुप लगभग मिलता जुलता आकार धारण कर लिया था।
प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त :- बीसवी शताब्दी के आरम्भिक चरण में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त को स्वीकार करने में सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि विद्वान यह नही समझ पा रहे थे कि सियाल के बने हुए महाद्वीप सीमा पर कैसे तैरते हैं और विस्थापित हो जाते हैं। उस समय विद्वानों का यह विचार था कि महासागरीय भू-पर्पटी बैसाल्टिक स्तर का ही विस्तार है। आर्थर होम्स ने सन् 1928 ई. में बताया कि भूगर्भ में तापमान में अंतर होने के कारण संवाहनीय धाराएं चलती हैं जो प्लेटों को गति प्रदान करती हैं। इस प्रकार प्लेटें सदा गतिशील रहती हैं और महाद्वीपों में विस्थापन पैदा करती हैं।
प्रश्न 3. महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण से कौन सी उच्चावच संबंधी जानकारियाँ प्राप्त हुई ? कुछेक महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बतलाइये।
उत्तर :
1) महासागरीय धरातल पर जलमग्न पर्वत, कटकें तथा गहरी खाईयाँ है, जो महाद्वीपों के किनारों पर स्थित हैं।
2) मध्य–महासागरीय कटक ज्वालामुखी उद्गार के रूप में सर्वाधिक सक्रिय पायी गई है।
3) महासागरीय पर्पटी की चट्टानों के काल निर्धारण ने यह तथ्य साफ कर दिया है कि महासागरों के नितल की चट्टाने 20 करोड़ वर्ष पुरानी हैं जबकि महाद्वीपीय हिस्सों में पायी जाने वाली कुछेक पुरातन चट्टानें 300 करोड़ वर्ष पुरानी हैं।
4) महासागरीय कटक के दोनों ओर की चटानें जो कटक से समान दूरी पर स्थित हैं, उनकी आयु तथा संरचना में भी आश्चर्यजनक समानता पाई गई है।
प्रश्न 4. सागरीय अधःस्तल के विकास की परिकल्पना का वर्णन कीजिए।
उत्तर : सागरीय अधःस्तल के विकास की परिकल्पना 1961 में हेनरी हेस ने प्रस्तुत की। ऐसा उन्होंने मध्यसागरीय कटकों के दोनों ओर की चट्टानों के चुंबकीय गुणों के विश्लेषण के आधार पर बताया।
हेस के अनुसार, महासागरीय कटकों के शीर्ष पर निरंतर, ज्वालामुखी उद्भेदन से महासागरीय पर्पटी में विभेदन हुआ एंव नवीन लावा इस दरार को भरकर महासागरीय पर्पटी को दोनों ओर धकेल रहा है। इस तरह महासागरीय अधः स्तल का विस्तार हो रहा है।
महासागरीय पर्पटी का अपेक्षाकृत नवीनतम होना तथा साथ ही एक महासागर में विस्तार से दूसरे महासागर के न सिकुड़ने पर, हेस न महासागरीय पर्पटी के क्षेपण की बात कही। उनके अनुसार, अगर मध्य महासागरीय कटक में ज्वालामुखी उद्गार से नवीन पर्पटी की रचना होती है, तो दूसरी ओर महासागरीय गर्मों में पर्पटी का विनाश होता है।
प्रश्न 5. ‘प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त’ के अनुसार सात मुख्य एवं कुछ छोटी प्लेटें कौन सी हैं ?
उत्तर : मुख्य प्लेटें : छोटी प्लेटें :
1) अंटार्कटिक प्लेट । 1) कोकोस प्लेट
2) उत्तर अमेरीकी प्लेट । 2) नजका प्लेट
3) दक्षिण अमेरीकी प्लेट । 3) अरेबियन प्लेट
4) प्रशान्त महासागरीय प्लेट 4) फिलिपीन प्लेट
5) इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट 5) कैरोलिन प्लेट
6) अफ्रीका प्लेट 6) फ्यूजी प्लेट
7) यूरेशियाई प्लेट
प्रश्न 6. प्लेटों की सीमाएं किस प्रकार सीमांकित होती हैं? बतालाइये।
उत्तर : प्लेट सीमाओं का सीमांकन इन स्थल रूपों से किया जाता है :
1) नवीन वलित पर्वत श्रेणियाँ ।
2) समुद्री खाईयाँ।
3) भ्रंश
प्रश्न 7. वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त एंव प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त में क्या अन्तर है ?
उत्तर :
1) वेगनर की संकल्पना केवल महाद्वीपों को गतिमान बतलाती है। जबकि महाद्वीप एक स्थलमंडलीय प्लेट का हिस्सा है और यह संपूर्ण प्लेट गतिमान होती है।
2) वेगनर के अनुसार शुरू में सभी महाद्वीपों का एक संगठित रूप पैंजिया मौजूद था। जबकि बाद की खोजों से साबित हुआ कि महाद्वीपीय खण्ड जो प्लेट के ऊपर स्थित है, भू-वैज्ञानिक काल पर्यन्त गतिमान थे, तथा पैंजिया विभिन्न महाद्वीपीय खण्डों के अभिसरण (पास आने) से बना था और यह प्रक्रिया प्लेटों में निरंतर चलती रहती है।
3) वेगनर का सिद्धान्त महासागरों की तली की चट्टानों की नवीनता तथा मध्य महासागरीय कटकों की उपस्थिति की व्याख्या नहीं कर पाता। जबकि प्लेट विर्वतनीकी के द्वारा इसकी व्याख्या संभव है।
4) वेगनर के सिद्धान्त महासागरीय तली की चट्टानों की नवीनता व महाद्वीपीय शैलों की अति पुरातनता की व्याख्या नहीं कर पाती।
5) वेगनर का सिद्धान्त महाद्वीपों के गतिमान होने के लिये ध्रुवीय फलीइंग बल तथा ज्वारीय बल को उत्तरदायी माना था। जबकि ये दोनों बल महाद्वीपों के सरकाने में असमर्थ थे। प्लेटों की गति का कारण दुर्बलता मंडल में चलने वाली संवहनीय धाराएँ हैं। जिससे प्लेटें गतिमान रहती हैं।
प्रश्न 8. भारतीय विवर्तनिक प्लेट का संचलन आज भी जारी है तर्क सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर : भारतीय विवर्तनिक प्लेट के अंतर्गत प्रायद्वीपीय भारत तथा आस्ट्रेलिया महाद्वीपीय भाग शामिल है। इसकी उत्तरी सीमा हिमालय पर्वत श्रेणीयों के साथ-साथ विस्तृत प्रविष्ठन क्षेत्र (Subduction Zone) है। यह महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण सीमा के रूप में है। इसकी पूर्वी सीमा एक विस्तारित तल (Spreading Floor) है जो आस्ट्रेलिया के पूर्व में दक्षिणी-पश्चिमी प्रशांत महासागरीय कटक के रूप में है। पूर्व दिशा में म्यांमार के राकिन्योमा पर्वत से होते हुए एक चाप के रूप में यह जावा खाई तक फैला हुआ है।
इसकी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान की किरथर श्रेणियों का अनुसरण करती है। आगे यह मकरान तट से होती हुई दक्षिण-पूर्वी चागोस द्वीप समूह के साथ-साथ लाल सागर द्रोणी जो एक विस्तारण तल है में जा मिलती हैं। भारतीय एवं आर्कटिक प्लेट की सीमा भी महासागरीय कटक से निर्धारित होती है। जोकि पूर्व-पश्चिम दिशा में होती हुई न्यूजीलैंड के दक्षिण में विस्तारित तल में मिल जाती है।
इन सभी सीमाओं पर भूकम्पीय घटनाएँ व ज्वालामुखी प्रक्रियाएँ आज भी जारी हैं। जिससे सिद्ध होता है कि इस प्लेट में संचलन जारी है।
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