विदाई-संभाषण Important Questions || Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 4 in Hindi ||

Share Now on

पाठ – 4

विदाई-संभाषण

In this post we have mentioned all the important questions of class 11 Hindi (Aroh) chapter 4 विदाई-संभाषण in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 11 के हिंदी (आरोह) के पाठ 4 विदाई-संभाषण  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

Criss Cross Classes BookPrinted Books Are Available Now!
BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
Subjectहिंदी (आरोह)
Chapter no.Chapter 4
Chapter Nameविदाई-संभाषण
CategoryClass 11 Hindi (Aroh) Important Questions
MediumHindi
Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 4 विदाई-संभाषण Important Questions

Chapter 4 विदाई संभाषण

पाठ के साथ

प्रश्न 1: शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

उत्तर- लेखक ‘शिवशंभु की दो गायों’ की कहानी के माध्यम से कहना चाहता है कि भारत में मनुष्य ही नहीं, पशुओं में भी साथ रहने वालों के साथ लगाव होता है। वे उस व्यक्ति के बिछुड़ने पर भी दुखी होते हैं जो उन्हें कष्ट पहुँचाता है। यहाँ भावना प्रमुख होती है। हमारे देश में पशु-पक्षियों को भी बिछड़ने के समय उदास देखा गया है। बिछड़ते समय वैर-भाव को भुला दिया जाता है। विदाई का समय बड़ा करुणोत्पादक होता है। लॉर्ड कर्जन जैसे क्रूर आततायी के लिए भी भारत की निरीह जनता सहानुभूति का भाव रखती है।

प्रश्न 2: आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आयने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया-यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है?

उत्तर- लेखक ने यहाँ बंगाल के विभाजन की ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया है। लॉर्ड कर्ज़न दो बार भारत का वायसराय बनकर आया। उसने भारत पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थाई करने के लिए अनेक काम किए। भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं को कुचलने के लिए उसने बंगाल का विभाजन करने की योजना बनाई। कज़न की इस चाल को देश की जनता समझ गई और उसने इस योजना का विरोध किया, परंतु कर्ज़न ने अपनी जिद्द को पूरा किया। बंगाल के दो हिस्से कर दिए गए-पूर्वी बंगाल तथा पश्चिमी बंगाल।

प्रश्न 3: कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?

उत्तर- कर्जन को इस्तीफा निम्नलिखित कारणों से देना पड़ा –

  • कर्जन ने बंगाल का विभाजन राष्ट्रवादी ताकतों को तोड़ने के लिए किया था, परंतु इसका परिणाम उलटा हुआ। सारा देश एकजुट हो गया और ब्रिटिश शासन की जड़े हिल गईं।
  • कर्जन इंग्लैंड में एक फ़ौजी अफ़सर को इच्छित पद पर नियुक्त करवाना चाहता था। उसकी सिफारिश को नहीं माना। गया। इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने इस्तीफा देने की धमकी दी। ब्रिटिश सरकार ने उनका इस्तीफा की मंजूर कर लिया।

प्रश्न 4: विचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने गिरे!-आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक कहता है कि कर्ज़न की भारत में शान थी। दिल्ली दरबार में उसका वैभव चरम सीमा पर था। पति-पत्नी की कुर्सी सोने की थी। उसका हाथी सबसे ऊँचा व सबसे आगे रहता था। सम्राट के भाई का स्थान भी इनसे नीचा था। इसके इशारे पर प्रशासन, राजा, धनी नाचते थे। इसके संकेत पर बड़े-बड़े राजाओं को मिट्टी में मिला दिया गया तथा अनेक निकम्मों को बड़े पद मिले। इस देश में भगवान और एडवर्ड के बाद उसका स्थान था, परंतु इस्तीफा देने के बाद सब कुछ खत्म हो गया। इसकी सिफारिश पर एक आदमी भी नहीं रखा गया। जिद के कारण इसका वैभव नष्ट हो गया।

प्रश्न 5: आपके और यहाँ के निवासियों के बीच में कोई तीसरी शक्ति और भी है-यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया है?

उत्तर- लॉर्ड कर्जन स्वयं को निरंकुश, सर्वशक्ति संपन्न मान बैठा था। भारतीय जनता उसकी मनमानी सह रही थी। अचानक गुस्साए लार्ड का इस्तीफा मंजूर हो गया और उसे जाना पड़ा। यहाँ लेखक कहना चाहते हैं कि लॉर्ड कर्जन और भारतीय जनता के बीच एक तीसरी शक्ति अर्थात् ब्रिटिश सरकार है जिस पर न तो लॉर्ड कर्जन का नियंत्रण है और न ही भारत के निवासियों का ही नियंत्रण है। इंग्लैंड की महारानी का शासन न तो कर्जन की बात सुनता है और न ही कर्जन के खिलाफ भारतीय जनता की गुहार सुनता है। उस पर इस निरंकुश का अंकुश भी नहीं चलता।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1: पाठ का यह अंश शिवशभू के चिट्ठे से लिया गया है। शिवशंभु नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?

उत्तर- शिवशंभु एक काल्पनिक पात्र है जो भाँग के नशे में खरी-खरी बात कहता है। यह पात्र अंग्रेजों की कुनीतियों को उजागर करता है। लेखक ने इस नाम का उपयोग सरकारी कानून के कारण किया। कर्जन ने प्रेस की अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय ब्रिटिश साम्राज्य से सीधी टक्कर लेने के हालात नहीं थे, परंतु शासन की पोल खोलकर जनता को जागरूक भी करना था। अतः काल्पनिक पात्र के जरिए अपनी मरजी की बातें कहलवाई जाती थीं।

प्रश्न 2: नादिर से भी बढ़कर आपकी जिदद हैं-कर्जन के संदर्भ में क्या आपको यह बात सही लगती है? पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर- जी हाँ! कर्ज़न के संदर्भ में हमें यह बात सही लगती है। नादिरशाह एक क्रूर राजा था। उसने दिल्ली में कत्लेआम करवाया, परंतु आसिफजाह ने तलवार गले में डालकर उसके आगे समर्पण कर कत्लेआम रोकने की प्रार्थना की, तो तुरंत कत्लेआम रोक दिया गया। कर्ज़न ने बंगाल का विभाजन किया। आठ करोड़ भारतवासियों की बार-बार विनती करने पर भी उसने अपनी जिद्द नहीं छोड़ी। इस संदर्भ में कर्ज़न की जिद्द नादिरशाह से बड़ी है। वह नादिरशाह से अधिक क्रूर था। उसने जनहित की उपेक्षा की।

प्रश्न 3: क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है ? इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन क्या है? इस यर अचा कीजिए।

उत्तर- ‘शासन’ किसी एक व्यक्ति की इच्छा से नहीं चलता। यह नियमों का समूह है जो अच्छी व्यवस्था का गठन करता है। यह प्रबंध जनहित के अनुरूप होनी चाहिए। निरंकुश शासक से जनता दुखी रहती है तथा कुछ समय बाद उसे शासक का विनाश हो जाता है। प्रजा को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए। हर नीति में जनकल्याण का भाव होना चाहिए।

भाषा की बात

प्रश्न 1: वे दिन-रात यही मनाते थे कि जल्द श्रीमान् यहाँ से पधारें सामान्य तौर पर आने के लिए यधारें शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ पधारें शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर- यहाँ पधारें शब्द का अर्थ है-चले जाएँ।

प्रश्न 2: पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग (भारतेंदु युगीन हिंदी) हुआ है। उन्हें सामान्य हिंदी में लिखिए

(क) आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अत को उनकी जाना पड़ा।

(ख) आप किस को आए थे और क्या कर चले?

(ग) उनका रखाया एक आदमी नौकर न रखा।

(घ) पर आशीवाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से लाभ करें।

उत्तर-

(क) पहले भी इस देश में जो प्रधान शासक हुए, अंत में उन्हें जाना पड़ा।

(ख) आप किसलिए आए थे और क्या करके चले ?

(ग) उनके रखवाने से एक आदमी नौकर न रखा गया।

(घ) आशीर्वाद देता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से प्राप्त करे।

बोधात्मक प्रशन

प्रश्न 1: ‘विदाई-संभाषण’ पाठ का प्रतिपादय स्पष्ट करें।

उत्तर- विदाई-संभाषण पाठ वायसराय कर्जन जो 1899-1904 व 1904-1905 तक दो बार वायसराय रहे, के शासन में भारतीयों की स्थिति का खुलासा करता है। यह अध्याय शिवशंभु के चिट्ठे का अंश है। कर्ज़न के शासनकाल में विकास के बहुत कार्य हुए, नए-नए आयोग बनाए गए, किंतु उन सबका उद्देश्य शासन में गोरों का वर्चस्व स्थापित करना तथा इस देश के संसाधनों का अंग्रेजों के हित में सर्वाधिक उपयोग करना था। कर्ज़न ने हर स्तर पर अंग्रेजों का वर्चस्व स्थापित करने की चेष्टा की। वह सरकारी निरंकुशता का पक्षधर था। लिहाजा प्रेस की स्वतंत्रता तक पर उसने प्रतिबंध लगा दिया। अंतत: कौंसिल में मनपसंद अंग्रेज सदस्य नियुक्त करवाने के मुद्दे पर उसे देश-विदेश-दोनों जगहों पर नीचा देखना पड़ा। क्षुब्ध होकर उसने इस्तीफा दे दिया और वापस इंग्लैंड चला गया। लेखक ने भारतीयों की बेबसी, दुख एवं लाचारी को व्यंग्यात्मक ढंग से लॉर्ड कर्जन की लाचारी से जोड़ने की कोशिश की है। साथ ही यह बताने की कोशिश की है कि शासन के आततायी रूप से हर किसी को कष्ट होता है चाहे वह सामान्य जनता हो या फिर लॉर्ड कर्ज़न जैसा वायसराय। यह निबंध भी उस समय लिखा गया है जब प्रेस पर पाबंदी का दौर चल रहा था। ऐसी स्थिति में विनोदप्रियता, चुलबुलापन, संजीदगी, नवीन भाषा-प्रयोग एवं रवानगी के साथ यह एक साहसिक गद्य का नमूना भी है।

प्रश्न 2: कैसर, ज़ार तथा नादिरशाह पर टिप्पणियाँ लिखिए।

उत्तर- कैसर-यह शब्द रोमन तानाशाह जूलियस सीजर के नाम से बना है। यह शब्द तानाशाह जर्मन शासकों के लिए प्रयोग होता था। जार-यह भी जूलियस सीजर से बना शब्द है जो विशेष रूप से रूस के तानाशाह शासकों (16वीं सदी से 1917 तक) के लिए प्रयुक्त होता था। इस शब्द का पहली बार बुल्गेरियाई शासक (913 में) के लिए प्रयोग हुआ था। नादिरशाह-यह 1736 से 1747 तक ईरान का शाह रहा। तानाशाही स्वरूप के कारण ‘नेपोलियन ऑफ परशिया’ के नाम से भी जाना जाता था। पानीपत के तीसरे युद्ध में अहमदशाह अब्दाली को नादिरशाह ने भी आक्रमण के लिए भेजा था।

प्रश्न 3: राजकुमार सुल्तान ने नरवरगढ़ से किन शब्दों में विदा ली थी?

उत्तर- राजकुमार सुल्तान ने नरवरगढ़ से विदा लेते समय कहा-‘प्यारे नरवरगढ़! मेरा प्रणाम स्वीकार ले। आज मैं तुझसे जुदा होता हूँ। तू मेरा अन्नदाता है। अपनी विपद के दिन मैंने तुझमें काटे हैं। तेरे ऋण का बदला यह गरीब सिपाही नहीं दे सकता। भाई नरवरगढ़! यदि मैंने जानबूझकर एक दिन भी अपनी सेवा में चूक की हो, यहाँ की प्रजा की शुभ चिंता न की हो, यहाँ की स्त्रियों को माता और बहन की दृष्टि से न देखा हो तो मेरा प्रणाम न ले, नहीं तो प्रसन्न होकर एक बार मेरा प्रणाम ले और मुझे जाने की आज्ञा दे।’

प्रश्न 4: ‘विदाई-संभाषण’ तत्कालीन साहसिक लेखन का नमूना है। सिदध कीजिए।

उत्तर- विदाई-संभाषण व्यंग्यात्मक, विनोदपूर्ण, चुलबुला, ताजगीवाला गद्य है। यह गद्य आततायी को पीड़ा की चुभन का अहसास कराता है। इससे यह नहीं लगता कि कर्ज़न ने प्रेस पर पाबंदी लगाई थी। इसमें इतने व्यंग्य प्रहार हैं कि कठोर-से-कठोर शासक भी घायल हुए बिना नहीं रह सकता। इसे साहसिक लेखन के साथ-साथ आदर्श भी कहा जा सकता है।

प्रश्न 5: कर्ज़न के कौन-कौन-से कार्य क्रूरता की सीमा में आते हैं?

उत्तर- कर्ज़न के निम्नलिखित कार्य क्रूरता की सीमा में आते हैं

  • प्रेस पर प्रतिबंध।
  • करोड़ों लोगों की विनती के बावजूद बंगाल का विभाजन।
  • देश के संसाधनों का अंग्रेजी-हित में प्रयोग।
  • अंग्रेजों का वर्चस्व स्थापित करना।

We hope that class 11 Hindi (Aroh) Chapter 4 विदाई-संभाषण Important Questions in Hindi helped you. If you have any queries about class 11 Hindi (Aroh) Chapter 4 विदाई-संभाषण Important Questions in Hindi or about any other Important Questions of class 11 Hindi (Aroh) in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible.

हमें उम्मीद है कि कक्षा 11 हिंदी (आरोह) अध्याय 4 विदाई-संभाषण हिंदी के महत्वपूर्ण प्रश्नों ने आपकी मदद की। यदि आपके पास कक्षा 11 हिंदी (आरोह) अध्याय 4 विदाई-संभाषण के महत्वपूर्ण प्रश्नो या कक्षा 11 के किसी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न, नोट्स, वस्तुनिष्ठ प्रश्न, क्विज़, या पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों के बारे में कोई सवाल है तो आप हमें [email protected] पर मेल कर सकते हैं या नीचे comment कर सकते हैं। 


Share Now on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *