पाठ – 3
दोहे
In this post we have mentioned all the important questions of class 10 Hindi (Sparsh) chapter 3 दोहे in Hindi
इस पोस्ट में कक्षा 10 के हिंदी (स्पर्श) के पाठ 3 दोहे के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | हिंदी (स्पर्श) |
Chapter no. | Chapter 3 |
Chapter Name | दोहे |
Category | Class 10 Hindi (Sparsh) Important Questions |
Medium | Hindi |
Chapter 3 दोहे
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1. छाया भी कब छाया हूँढ़ने लगती है?
उत्तर- जेठ मास की दोपहर की प्रचंड गरमी में तो छाया भी छाया की इच्छा करने लगती है अर्थात् छाया रूपी नायिका भी जेठ मास की प्रचंड गरमी में घर से बाहर नहीं निकलना चाहती, क्योंकि भीषण गरमी प्राणियों के साथ-साथ प्रकृति को भी दग्ध कर देती है, तो लगता है कि छाया भी कहीं छिपकर बैठ गई है।
प्रश्न 2. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’–स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- बिहारी की नायिका विरह की अग्नि में जल रही है। वह अपने मन की बात नायक को बताने में असमर्थ है। वह कागज पर अपने प्रियतम को संदेश लिखना चाहती है, परंतु आँसू, पसीने व कंपन के कारण निष्फल हो जाती है। किसी अन्य के माध्यम से नायक को संदेश भेजने में उसे लज्जा आती है। नायिका को विश्वास है कि प्रेम दोनों ओर से है। जैसा प्रेम उसके मन में है, वैसा ही प्रेम प्रेमी के हृदय में भी है, प्रेम हृदय की भाषा स्वयं जान लेता है, अतः इसमें कुछ कहने सुनने की ज़रूरत नहीं रह जाती।
प्रश्न 3. सच्चे मन में राम बसते हैं-दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- सच्चे मन में ही ईश्वर का वास होता है अर्थात् सच्चे मन में ही राम बसते हैं, क्योंकि सच ही तो ईश्वर है। कच्चा मन अर्थात् विषयी मन तो भोग-विलास, विषय-वासनाओं में उलझा रहता है। जिनका मन साफ नहीं होता, वे भौतिक सुखों की चकाचौंध में ही फंसे रहते हैं। माला जपना आडंबर है, दिखावा है। इनसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। सच्चे। मन, सच्ची श्रद्धा -तथा सच्ची लगन से ही ‘राम’ की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 4. गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं?
उत्तर- गोपियाँ रसिक शिरोमणि श्रीकृष्ण से बातें करने के लालच में उनकी निकटता अधिक समय तक पाने की इच्छा रखने के कारण श्रीकृष्ण की बाँसुरी छिपा लेती हैं। क्योंकि श्रीकृष्ण सदा मुरली बजाने में मस्त रहते हैं जिसके कारण गोपियाँ उनसे बातें नहीं कर पाती हैं। वे उनकी मुरली छिपाने का उपाय सोचती हैं क्योंकि जब मुरली उनके पास नहीं रहेगी तो वे उनसे मुरली के बहाने बातें करेंगी। इस उद्देश्य से वे जान-बूझकर कृष्ण की बाँसुरी छिपा लेती हैं।
प्रश्न 5. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- कवि बिहारी जी ने सभी की उपस्थिति में भी बिना शब्दों के कैसे बात की जा सकती है, इस रहस्य के उद्घाटन का बड़ा ही सजीव वर्णन किया है। लोगों की उपस्थिति में तथा भरे हुए भवन में भी प्रेमी-प्रेमिका आँखों-ही-आँखों में एक-दूसरे की भाषा समझ लेते हैं। आँखों की सांकेतिक भाषा से दोनों एक-दूसरे के हृदय की बात जान लेते हैं। और किसी को इसकी खबर भी नहीं लगती।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1. मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पर्यो प्रभात।
उत्तर- इस पंक्ति का भाव है कि भगवान श्रीकृष्ण का नीला शरीर पीतांबर ओढ़े दिव्य स्वरूप ऐसे प्रतीत हो रहा है, मानो नीलमणि पर्वत पर सुबह का सूर्य शोभायमान हो अर्थात् सुबह का सूर्य जगमगा उठा हो।
प्रश्न 2. जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।
उत्तर- भाव-इस पंक्ति का भाव यह है कि ग्रीष्म ऋतु के प्रचंड ताप से संपूर्ण वन तपोवन जैसा पवित्र बन गया है। अब यहाँ हिंसा का नामोनिशान नहीं है। आपसी वैर-भाव को भूलकर सबमें मैत्रीभाव विकसित हो गया है। शेर-हिरण, साँप-मोर जैसे शत्रु भी समान रूप से एक-दूसरे पर आक्रमण किए बिना गर्मी सहन कर रहे हैं जैसे तपस्वियों का सान्निध्य पाकर वैर-भाव रखने वाले हिंसक पशु भी एक साथ निवास करते हैं।
प्रश्न 3. जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु ।
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु ।।
उत्तर- इन पंक्तियों का भाव है कि माला जपने से, मस्तक पर तिलक लगाने से अर्थात् बाहरी आडंबरों द्वारा भक्ति करने से एक भी कार्य पूर्ण नहीं होता तथा इससे सच्ची भक्ति नहीं मिलती। सच्ची भक्ति तो मन की सच्चाई, श्रद्धा तथा सच्ची लगन से मिलती है, क्योंकि सच्चे मन में ही राम का निवास होता है अर्थात् कवि ने बाहरी आडंबरों का खंडन करके प्रभु की सच्चे मन से भक्ति करने पर बल दिया है।
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1. सतसैया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर ।
देखन में छोटे लगै, घाव करें गंभीर ।।
अध्यापक की मदद से बिहारी विषयक इस दोहे को समझने का प्रयास करें। इस दोहे से बिहारी की भाषा संबंधी किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर- कवि बिहारी द्वारा रचित इस दोहे को पढ़ने से पता चला चलता है कि बिहारी गागर में सागर भरने की कला में सिद्धहस्त हैं। वे कम-से-कम शब्दों में अधिकाधिक बात कहने की कला में निपुण हैं। ‘सतसई’ के दोहों के माध्यम से उन्होंने कम-से-कम शब्दों में भावों को अभिव्यक्त करने के अलावा अर्थगांभीर्य के भी दर्शन होते हैं। ये दोहे मन को गहराई से छू जाते हैं।
इसके अलावा उनके दोहों में ब्रजभाषा की सरसता, कोमलता और मधुरता व्याप्त है। इन दोहों में श्रृंगार रस (संयोग-वियोग दोनों) तथा भक्ति रस घनीभूत है। अनुप्रास, रूपक, उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग होने से भाषिक सौंदर्य बढ़ गया है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कृष्ण के साँवले शरीर पर पीला वस्त्र कैसा लग रहा है?
उत्तर- श्रीकृष्ण के साँवले शरीर पर पीला वस्त्र अत्यधिक सुशोभित हो रहा है। इस पीले वस्त्र के कारण उनका सौंदर्य बढ़ गया है। साँवले शरीर पर पीला वस्त्र ऐसे लग रहा है जैसे नीलमणि पर्वत पर प्रभातकालीन सूर्य की पीली-पीली धूप पड़ रही हो।
प्रश्न 2. भयंकर गरमी का जीव-जंतुओं के स्वभाव पर क्या असर हुआ है?
उत्तर- भयंकर गरमी ने जीव-जंतुओं को इतना परेशान कर दिया है कि वे अपना स्वाभाविक वैर भी भूल बैठे हैं। प्रायः साँप और मोर को साथ नहीं देखा जाता है, क्योंकि उनमें स्वाभाविक वैर है। यही हाल बाघ और हिरन का भी है। गरमी के कारण ये एक साथ बैठे नज़र आ रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे सारा संसार तपोवन बन गया है जहाँ उनका स्वाभाविक वैर समाप्त हो गया है।
प्रश्न 3. गोपियाँ बातों का आनंद लेने के लिए क्या करती हैं?
उत्तर- गोपियाँ श्री कृष्ण का सामीप्य और उनकी बातों से आनंदित होना चाहती हैं। इसके लिए कोई गोपी कृष्ण की मुरली चुरा लेती है। कृष्ण जब उससे मुरली वापस मागते हैं तो वह सौगंध खाकर मुरली चुराने से मना करती है, परंतु भौहों से हँस देती है। इसका तात्पर्य है कि मुरली उसी के पास है। अब कृष्ण उससे पुनः मुरली माँगते हैं तो वह देने से मना करती है। ताकि वह कृष्ण की बातों से आनंदित होती रहे।
प्रश्न 4. कवि बिहारी ने छाया के प्रति अनूठी कल्यना की है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कवि बिहारी ने जेठ माह की प्रचंड गरमी के बीच छाया को देखकर अनूठी और सर्वथा नवीन कल्पना की है कि छाया भी गरमी से बेहाल होकर जंगल में चली गई है और वह भी घर में या पेड़ों के नीचे बैठना चाहती है अर्थात् छाया भी छाया चाहने लगी है।
प्रश्न 5. बिहारी के दोहे के आधार पर नायिका नायक को संदेश भिजवाने में असमर्थ क्यों रहती है?
उत्तर- कवि बिहारी के दोहे की नायिका विरह व्यथा से पीड़ित है। इसके कारण वह इतनी दुर्बल हो गई है कि उसके हाथ और पैर हिलने लगे हैं, शरीर पसीना-पसीना हो रहा है, ऐसे में वह स्वयं नायक को पत्र लिखकर अपनी विरह व्यथा और प्रेमातुरता से अवगत नहीं करा पा रही है। वह अपने मन की बात संदेशवाहक से लोक-लाज और नारी सुलभ लज्जा के कारण नहीं कह पाती है। इस तरह वह नायक को संदेश भिजवाने में असमर्थ रहती है।
प्रश्न 6. बिहारी भगवान से क्या प्रार्थना करते हैं ?
उत्तर- कवि बिहारी भगवान श्रीकृष्ण से अपना दुख दूर करने की प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे श्रीकृष्ण! आप चंद्रवंश में उत्पन्न हुए हो और अपनी इच्छा से ब्रज आकर बस गए हो। हे केशव! अब आप मेरे सारे कष्ट हर लीजिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बिहारी गागर में सागर भरने की कला में सिद्धहस्त हैं। कहत नटत…’ दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कवि बिहारी कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक बातें कहने में कुशल हैं। वे अपने दोहों में ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो एक ही शब्द में पूरे वाक्य का अर्थ अभिव्यंजित कर देते हैं। कहत नटत रीझत… को एक-एक शब्द पूरे वाक्य का अर्थ व्यक्त करने में समर्थ है। इस दोहे में नायक-नायिका प्रणय-निवेदन संबंधी बातें जिस तरह संकेतों-ही-संकेतों में कर लेते हैं उसकी अभिव्यक्ति एक दोहे के रूप में बिहारी जैसा कवि ही कर सकता है, अन्य कवि नहीं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि बिहारी गागर में सागर भरने की कला में सिद्धहस्त हैं।
प्रश्न 2. कवि बिहारी भी कबीर की भाँति आडंबरपूर्ण भक्ति से दूर रहना चाहते थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कवि बिहारी का मानना था कि दिखावा एवं आडंबर करने को भक्ति नहीं कहा जा सकता है। कुछ लोग हाथ में माला लेकर राम-राम रटने को भक्ति मानते हैं तो कुछ लोग रामनामी वस्त्र ओढ़कर प्रभुभक्ति कहलाने का प्रयास करते हैं।
इतना ही नहीं कुछ लोग माथे पर रामनामी तिलक लगाकर प्रभु को पाने का प्रयास करते हैं। कवि बिहारी कहते थे कि ऐसा तो वही करते हैं जिनका मन कच्चा होता है या जो अपने मन को प्रभु राम के चरणों में नहीं लगा पाते हैं। प्रभु राम को पाने के लिए किसी आडंबर की आवश्यकता नहीं। वे तो सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी तरह के विचार कबीर के थे। इस तरह स्पष्ट है कि बिहारी भी कबीर की भाँति आडंबरपूर्ण भक्ति से दूर ही रहना चाहते थे।
We hope that class 10 Hindi (Sparsh) Chapter 3 दोहे Important Questions in Hindi helped you. If you have any queries about class 10 Hindi (Sparsh) Chapter 3 दोहे Important Questions in Hindi or about any other Important Questions of class 10 Hindi (Sparsh) in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible.
हमें उम्मीद है कि कक्षा 10 हिंदी (स्पर्श) अध्याय 3 दोहे हिंदी के महत्वपूर्ण प्रश्नों ने आपकी मदद की। यदि आपके पास कक्षा 10 हिंदी (स्पर्श) अध्याय 3 दोहे के महत्वपूर्ण प्रश्नो या कक्षा 10 के किसी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न, नोट्स, वस्तुनिष्ठ प्रश्न, क्विज़, या पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों के बारे में कोई सवाल है तो आप हमें [email protected] पर मेल कर सकते हैं या नीचे comment कर सकते हैं।