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Home » Class 10 Hindi Important Questions » नेताजी का चश्मा Important Questions || Class 10 Hindi (Kshitij) Chapter 10 in Hindi ||

नेताजी का चश्मा Important Questions || Class 10 Hindi (Kshitij) Chapter 10 in Hindi ||

Posted on January 18, 2023January 18, 2023 by Anshul Gupta

पाठ – 10

नेताजी का चश्मा

In this post we have mentioned all the important questions of class 10 Hindi (Kshitij) chapter 10 नेताजी का चश्मा in Hindi

इस पोस्ट में कक्षा 10 के हिंदी (क्षितिज) के पाठ 10 नेताजी का चश्मा  के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectहिंदी (क्षितिज)
Chapter no.Chapter 10
Chapter Nameनेताजी का चश्मा
CategoryClass 10 Hindi (Kshitij) Important Questions
MediumHindi
Class 10 Hindi (Kshitij) Chapter 10 नेताजी का चश्मा Important Questions

Chapter 10 नेताजी का चश्मा 

प्रश्न 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

उत्तर- सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मेवाले को कैप्टन इसलिए कहते थे, क्योंकि

  • कैप्टन चश्मेवाले में नेताजी के प्रति अगाध लगाव एवं श्रद्धा भाव था।
  • वह शहीदों एवं देशभक्तों के अलावा अपने देश से उसी तरह लगाव रखता था जैसा कि फ़ौजी व्यक्ति रखते हैं।
  • उसमें देश प्रेम एवं देशभक्ति का भाव कूट-कूटकर भरा था।
  • वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर दुखी होता था।

प्रश्न 2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा

(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर-

(क) हालदार साहब इसलिए मायूस हो गए थे. क्योंकि वे सोचते थे कि कस्बे के चौराहे पर मूर्ति तो होगी पर उसकी आँखों पर चश्मा न होगा। अब कैप्टन तो जिंदा है नहीं, जो मूर्ति पर चश्मा लगाए। देशभक्त हालदार साहब को नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उदास कर देती थी।

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि देश में देशप्रेम एवं देशभक्ति समाप्त नहीं हुई है। बच्चों द्वारा किया गया कार्य स्वस्थ भविष्य का संकेत है। उनमें राष्ट्र प्रेम के बीज अंकुरित हो रहे हैं।

(ग) हालदार साहब सोच रहे थे कि कैप्टन के न रहने से नेताजी की मूर्ति चश्माविहीन होगी परंतु जब यह देखा कि मूर्ति की आँखों पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ है तो उनकी निराशा आशा में बदल गई। उन्होंने समझ लिया कि युवा पीढ़ी में देशप्रेम और देशभक्ति की भावना है जो देश के लिए शुभ संकेत है। यह बात सोचकर वे भावुक हो गए।

प्रश्न 3. आशय स्पष्ट कीजिए

‘‘बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।

उत्तर- उक्त पंक्ति का आशय यह है कि बहुत से लोगों ने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। कुछ लोग उनके बलिदान की प्रशंसा न करके ऐसे देशभक्तों का उपहास उड़ाते हैं। लोगों में देशभक्ति की ऐसी घटती भावना निश्चित रूप से निंदनीय है। ऐसे लोग इस हद तक स्वार्थी होते हैं कि उनके लिए अपनी स्वार्थ ही सर्वोपरि होता है। वे अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए देशद्रोह करने तक को तैयार रहते हैं।

प्रश्न 4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- पानवाला अपनी पान की दुकान पर बैठा ग्राहकों को पान देने के अलावा उनसे कुछ न कुछ बातें करता रहता है। वह स्वभाव से खुशमिज़ाज, काला मोटा व्यक्ति है। उसकी तोंद निकली हुई है। वह पान खाता रहता है जिससे उसकी बत्तीसी लाल-काली हो रही है। वह जब हँसता है तो उसकी तोंद थिरकने लगती है। वह वाकपटु है जो व्यंग्यात्मक बातें कहने से भी नहीं चूकता है।

प्रश्न 5. “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”

कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर- “वह लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल !” पानवाला कैप्टन चश्मेवाले के बारे में कुछ ऐसी ही घटिया सोच रखता है। वास्तव में कैप्टन इस तरह की उपेक्षा का पात्र नहीं है। उसका इस तरह मजाक उड़ाना तनिक भी उचित नहीं है। वास्तव में कैप्टन उपहास का नहीं सम्मान का पात्र है जो अपने अति सीमित संसाधनों से नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर देशप्रेम का प्रदर्शन करता है और लोगों में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करने के अलावा प्रगाढ़ भी करता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं

(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।

(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हु बोला–साहब! कैप्टन मर गया।

(ग) कैप्टन बार-बारे मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

उत्तर-

(क) हालदार साहब अपने कर्म के प्रति सजग तथा पान खाने के शौकीन थे। उनके मन में शहीदों और देशभक्तों के प्रति आदर की भावना थी। नेताजी की मूर्ति को रुककर ध्यान से देखना तथा चश्माविहीन मूर्ति को देखकर आहत होना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। वे चाहते हैं कि युवा पीढ़ी में यह भावना और भी प्रबल हो।

(ख) पानवाला प्रायः कैप्टन चश्मेवाले का उपहास उड़ाया करता था, जिससे ऐसा लगता था, जैसे उसके अंदर देशभक्ति का भाव नहीं है पर जब कैप्टन मर जाता है तब उसके देशप्रेम की झलक मिलती है। वह कैप्टन जैसे व्यक्ति की मृत्यु से दुखी होकर हालदार को उसकी मृत्यु की सूचना देता है। ऐसा करते हुए उसकी आँखें भर आती हैं।

(ग) कैप्टने भले ही शारीरिक रूप से फ़ौजी व्यक्तित्व वाला न रही हो पर मानसिक रूप से वह फ़ौजियों जैसी ही मनोभावना रखता था। उसके हृदय में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर वह आहत होता था और उस कमी को पूरा करने के लिए अपने सीमित आय से भी चश्मा लगा दिया करता था ताकि नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा न दिखे।

प्रश्न 7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।

उत्तर- जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात रूप से नहीं देखा था तब तक उनके मानस पटल पर कैप्टन का व्यक्तित्व एक फ़ौजी व्यक्ति ‘ जैसा रहा होगा जो लंबे कदवाला मजबूत कद-काठी वाला हट्टा-कट्टा दिखता होगा। उसका चेहरा रोबीला तथा घनी मूंछों वाला रहा होगा। वह अवश्य ही नेताजी की फ़ौज का सिपाही रहा होगा। वह हर कोण से फ़ौजियों जैसा दिखता होगा।

प्रश्न 8. कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है

(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों ?

(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

उत्तर-

(क) समाज सेवा, देश सेवा या ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्ति प्रायः कस्बों, चौराहों, महानगरों या शहरों में लगाई जाती हैं। ऐसी मूर्तियाँ लगाने का उद्देश्य सजावटी न होकर उद्देश्यपूर्ण होता

  • लोग ऐसे लोगों के कार्यों को जाने तथा उनसे प्रेरित हों।
  • लोगों में अच्छे कार्य करने की रुचि उत्पन्न हो और वे उसके लिए प्रेरित हों।
  • लोग ऐसे लोगों को भूलें न तथा उनकी चर्चा करते हुए युवा पीढ़ी को भी उनसे परिचित कराएँ।

(ख) मैं अपने इलाके के चौराहे पर चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगवाना चाहूँगा ताकि लोगों विशेषकर युवावर्ग को अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिले। वे अपनी मातृभूमि पर आंच न आने दें और अपने जीते जी देश को गुलाम होने से बचाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने से भी न हिचकिचाएँ। इसके अलावा युवाओं में देश-प्रेम और देशभक्ति की भावना बलवती रहे।

(ग) चौराहे या कस्बे में लगी समाज सेवी या अन्य उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति की प्रतिमा के प्रति हमारा तथा अन्य लोगों का यह उत्तरदायित्व होना चाहिए कि

  • हम उसकी साफ़-सफ़ाई करवाएँ।
  • साल में कम से कम एक बार वहाँ ऐसा आयोजन करें कि लोग वहाँ एकत्र हों और उस व्यक्ति के कार्यों की चर्चा की जाए।
  • उस व्यक्ति के कार्यों की वर्तमान में प्रासंगिकता बताते हुए उनसे प्रेरित होने के लिए लोगों से कहें।
  • मूर्ति के प्रति सम्मान भाव बनाए रखें।

प्रश्न 9. सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में। देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।

उत्तर- सीमा पर तैनात फ़ौजी विशिष्ट रूप में देशप्रेम का परिचय देते हैं। उनका देशप्रेम अत्यंत उच्चकोटि का और अनुकरणीय होता है, परंतु हम लोग भी विभिन्न कार्यों के माध्यम से देश प्रेम को प्रकट कर सकते हैं। ये काम हैं-सरकारी संपत्ति को क्षति न पहुँचाना, बढ़ते प्रदूषण को रोकने में मदद करना, अधिकाधिक वृक्ष लगाना, पर्यावरण तथा अपने आसपास की सफ़ाई रखना, पानी के स्रोतों को दूषित होने से बचाना, वर्षा जल का संरक्षण करना, बिजली की बचत करना, कूड़ा इधरउधर न फेंकना, नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने का प्रयास करना, तोड़-फोड़ न करना, शहीदों एवं देशभक्तों के प्रति सम्मान रखना, लोगों के साथ मिल-जुलकर रहना आदि।

प्रश्न 10. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-

कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।

उत्तर- मान लो कोई ग्राहक आ गया। उसे चौड़ा फ्रेम चाहिए। तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसे मूर्तिवाला फ्रेम दे देता है और मूर्ति पर दूसरा फ्रेम लगा देता है।

प्रश्न 11. ‘भई खूब! क्या आइडिया है। इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर- एक भाषा के शब्द जब ज्यों के त्यों दूसरी भाषा में आते हैं तो इससे भाषा सरल, सहज और बोधगम्य बनती है। वह अधिकाधिक लोगों द्वारा प्रयोग और व्यवहार में लाई जाती है। कुछ ही समय में ये शब्द उसी भाषा के बनकर रह जाते हैं।

प्रश्न 12. निम्नलिखित वाक्य से निपात छाती और उनसे नए वाक्य बनाइए –

(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।

(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।

(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।

(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।

(गं) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे।

उत्तर-

(क) कुछ न कुछ – तुम हमेशा कुछ न कुछ मांगते ही रहते हो।

(ख) को ही – राकेश को ही हमेशा अच्छे अंक मिलते हैं।

(ग) तो था – रास्ते में कोई सवारी तो थी नहीं।

(घ) अब भी – तुम अब भी बाज़ार नहीं गए।

(ङ) में – इस समय में तुम्हें अधिक मेहनत करनी चाहिए।

प्रश्न 13. निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए –

(क) वह अपनी छोटी – सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर एक फिट कर देता है।

(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।

(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया था।

(घ) ड्राईवर ने जोर से ब्रेक मारा।

(ड़) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।

(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।

उत्तर-

(क) उसके द्वारा अपनी छोटी – सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर एक फिट कर दिया जाता है।

(ख) पानवाले से नया पान खाया जा रहा था।

(ग) पानवाले द्वारा साफ़ बता दिया गया था।

(घ) ड्राईवर द्वारा जोर से ब्रेक मारा गया।

(ड़) नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।

(च) हालदार साहब द्वारा चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।

प्रश्न 14. नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए –

(क) माँ बैठ नहीं सकती।

(ख) मैं देख नहीं सकती।

(ग) चलो, अब सोते हैं।

(घ) माँ रो भी नहीं सकती।

उत्तर-

(क) माँ से बैठा नहीं जाता।

(ख) मुझसे देखा नहीं जाता।

(ग) चलो अब सोया जाए।

(घ) माँ से रोया भी नहीं जाता।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1. नगरपालिका द्वारा किसकी मूर्ति को कहाँ लगवाने का निर्णय लिया गया?

उत्तर- नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति को नगरपालिका द्वारा लगवाने का निर्णय लिया गया। इस मूर्ति को कस्बे के बीचोबीच चौराहे पर लगवाने का फैसला किया गया। ताकि हर आने-जाने वाले की दृष्टि उस पर पड़ सके।

प्रश्न 2. जिस कस्बे में मूर्ति लगवाई जानी थी उसका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर- जिस कस्बे में नेताजी की मूर्ति लगवाई जानी थी, वह बहुत बड़ा नहीं था। वहाँ कुछ मकान पक्के थे। एक छोटा-सा बाज़ार था। वहीं, लड़के-लड़कियों का एक स्कूल, सीमेंट का एक छोटा कारखाना, दो ओपन एअर सिनेमाघर और नगरपालिका थी।

प्रश्न 3. मूर्ति बनवाने का कार्य स्थानीय ड्राइंग मास्टर को क्यों सौंपना पड़ा?

उत्तर- मूर्ति बनवाने का कार्य स्थानीय ड्राइंग मास्टर को इसलिए सौंपना पड़ा क्योंकि अधिकारी ने फाइलों और मूर्ति संबंधी अन्य बातों के निर्णय में बहुत अधिक समय ले लिया। ये अधिकारी अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही मूर्ति बनवाने का काम कर लेना चाहते थे, इसलिए जल्दबाजी में इसे स्थानीय ड्राइंग मास्टर को सौंप दिया।

प्रश्न 4. नगरपालिका मूर्ति लगवाने में ठोस निर्णय क्यों नहीं ले पा रही थी?

उत्तर- नगरपालिका मूर्ति के संबंध में ठोस निर्णय इसलिए नहीं ले पा रही थी क्योंकि नगरपालिका को अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी न थी। उन्होंने पत्र व्यवहार में काफ़ी समय निकाल दिया। उन्हें अपना कार्यकाल समाप्त होने का डर सता रहा था। इसके अलावा उन्हें मूर्ति के लिए उपलब्ध बजट भी कम होता दिख रहा था।

प्रश्न 5. नेताजी की मूर्ति का संक्षिप्त चित्रण कीजिए।

उत्तर- कस्बे की हृदयस्थली के चौराहे पर नेताजी की जो मूर्ति लगाई गई थी वह टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक दो फुट ऊँची थी। संगमरमर की बनी इस मूर्ति में नेताजी सुंदर लग रहे थे। उन्हें देखते ही उनके नारे याद आने लगते थे।

प्रश्न 6. नेताजी की मूर्ति में कौन-सी कमी खटकती थी?

उत्तर- नेताजी की मूर्ति सुंदर थी। वह अपने उद्देश्य में सार्थक सिद्ध हो रही थी। उसे देखते ही नेताजी द्वारा किए गए कार्य याद आने लगते थे, परंतु इस मूर्ति में एक कमी जो खटकती थी वह थी-मूर्ति पर चश्मा न होना। चश्मा न होने से नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा-सा प्रतीत होता था।

प्रश्न 7. मूर्ति की कमी को कौन और किस तरह पूरा करने का प्रयास करता था?

उत्तर- नेताजी की मूर्ति चश्माविहीन थी। इससे उनका व्यक्तित्व अपूर्ण-सा लगता था। इस कमी को पूरा करने का प्रयास कैप्टन चश्मेवाला करता था। वह नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगा दिया करता था। इस प्रकार वह मूर्ति की कमी और नेताजी के व्यक्तित्व की अपूर्णता को भरने का प्रयास करता था।

प्रश्न 8. कैप्टन कौन था? उसका व्यक्तित्व नाम के विपरीत कैसे था?

उत्तर- कैप्टन फेरी लगाकर चश्मे बेचने वाला एक मरियल और लँगड़ा-सा व्यक्ति था, जो हाथ में संदूकची और एक बाँस में चश्मे के फ्रेम टाँगे घूमा करता था। कैप्टन नाम से लगता था कि वह फ़ौजी या किसी सिपाही जैसा शारीरिक रूप से मजबूत रोबीले चेहरे वाला बलिष्ठ व्यक्ति होगा, पर ऐसा कुछ भी न था।।

प्रश्न 9. कैप्टन मूर्ति के चश्मे को बार-बार क्यों बदल दिया करता था?

उत्तर- कैप्टन देशभक्त तथा शहीदों के प्रति आदरभाव रखने वाला व्यक्ति था। वह नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर दुखी होता था। वह मूर्ति पर चश्मा लगा देता था पर किसी ग्राहक द्वारा वैसा ही चश्मा माँगे जाने पर उतारकर उसे दे देता था और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा दिया करता था।

प्रश्न 10. ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश देने का प्रयास किया है?

उत्तर- ‘नेताजी का चश्मा’ नामक पाठ के माध्यम से लेखक ने देशवासियों विशेषकर युवा पीढ़ी को राष्ट्र प्रेम एवं देशभक्ति की भावना मजबूत बनाए रखने के साथ-साथ शहीदों का सम्मान करने का भी संदेश दिया है। देशभक्ति का प्रदर्शन देश के सभी नागरिक अपने-अपने ढंग से कार्य-व्यवहार से कर सकते हैं।

प्रश्न 11. हालदार साहब के लिए कैप्टन सहानुभूति का पात्र था? इसे आप कितना उचित समझते हैं?

उत्तर- हालदार साहब जब कैप्टन को फेरी लगाते हुए देखते हैं तो उनके मुँह से अनायास निकल जाता है, तो बेचारे की अपनी दुकान भी नहीं है। वे चश्मेवाले की देशभक्ति के कारण उससे सहानुभूति रखते हैं। उनके इस विचार से मैं पूर्णतया सहमत हूँ क्योंकि कैप्टन जैसा व्यक्ति सहानुभूति का पात्र है।

प्रश्न 12. बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या प्रदर्शित करता है?

उत्तर- बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रदर्शित करता है कि बच्चों के मन में देश प्रेम और देशभक्ति के बीज अंकुरित हो गए हैं। उन्हें यह ज्ञान हो गया है कि शहीदों और देशभक्तों का आदर करना चाहिए।

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Category: Class 10 Hindi Important Questions

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