पाठ – 15
पृथ्वी पर जीवन
In this post, we have mentioned all the important questions of class 11 Geography chapter 15 Life on the Earth in Hindi.
इस पोस्ट में क्लास 11 के भूगोल के पाठ 15 पृथ्वी पर जीवन के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 15 |
Chapter Name | पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth) |
Category | Class 11 Geography Important Questions in Hindi |
Medium | Hindi |
Chapter – 15, पृथ्वी पर जीवन
अति लघु प्रश्न
प्रश्न 1. बायोम का अर्थ स्पष्ट करे ?
उत्तर : पौधों व प्राणियों का समुदाय जो एक भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है उसे बायोम कहते हैं। जैसे वन, मरूस्थल, घास भूमि जलीय भूभाग, पर्वत, पठार, ज्वारनदमुख, प्रवाल भित्ति, कच्छ व दलदल आदि।
प्रश्न 2. पारिस्थितिक अनुकूलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : विभिन्न प्रकार के पर्यावरण व विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न प्रकार के पारितन्त्र पाए जाते हैं, अलग-अलग प्रकार के पौधे व जीव-जन्तु धीरे-धीरे उसी पर्यायवरण के अभ्यस्त हो जाते हैं अर्थात स्वयं को पर्यावरण के अनुकूल ढाल लेते हैं । इसी को परिस्थितिक अनुकूलन कहा जाता है।
प्रश्न 3. शीतोष्ण घास भूमियों को संयुक्त राज्य अमेरिका में क्या कहते है ?
उत्तर : प्रेयरी
प्रश्न 4. शीतोषण घास-भूमियों को अर्जेंटाइना में क्या कहते हैं ?
उत्तर : पम्पास
प्रश्न 5. शीतोषण घास-भूमियों को आस्ट्रेलिया व एशिया में क्या कहते हैं ?
उत्तर : आस्ट्रेलिया में डाउँस, एशिया में स्टेपी
प्रश्न 6. खाद्य श्रृंखला (Food Chain) की प्रक्रिया क्या है ?
उत्तर : पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह क्रमबद्ध स्तरों की एक श्रृंखला में होता है। इसे खाद्य श्रृंखला कहते हैं।
प्रश्न 7. पारितंत्र में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत्र कौन सा है ?
उत्तर : सौर विकिरण।
प्रश्न 8.जैवमण्डल क्यों महत्वपूर्ण है ?
उत्तर : जैवमण्डल में विभिन्न प्रकार के जीव पाए जाते हैं। ये जीव सूक्ष्म जीवाणुओं से लेकर विशालकाय वेल अथवा बड़े वृक्ष के आकार तक हो सकते हैं। इन्हीं जीवों के अन्तक्रियात्मक एंव पारस्परिक अध्ययन के लिए जैवमण्डल महत्वपूर्ण है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. पारिस्थितिक असन्तुलन के चार कारक कौन-कौन से हैं ? स्पष्ट करो।
उत्तर : संसार में जीवों तथा भौतिक पर्यावरण में सन्तुलन बना रहता है लेकिन जब ये सन्तुलन बिगड़ जाता है तब पारिस्थतिक असन्तुलन पैदा हो जाता है। इसके कई कारण हैं:
- जनसंख्या वृद्धि :- लगातार जनसंख्या वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर जनसंख्या का दबाव बढ़ता जाता है और पारिस्थितिक असन्तुलन की स्थित उत्पन्न हो जाती है।
- वन सम्पदा का विनाश :- वन सम्पदा के विनाश (मानव व प्रकृति दोनों के द्वारा) से भी पारिस्थितिक असन्तुलन की स्थिति पैदा हो जाती है अत्याधिक वर्षा से बाढ़ द्वारा मृदा अपरदन या सूखे से भी वन नष्ट हो जाते हैं।
- तकनीकी प्रगति :- लगातार प्रगति के कारण औद्योगिक क्षेत्र बढता जा रहा है और इनसे निकलने वाला धुंआ व अपशिष्ट पदार्थ वातावरण को दूषित कर परिस्थितिक सन्तुलन को बिगाड़ते हैं।
- माँसाहारी पशुओं की कमी :- मासांहारी पशुओं की कमी से शाकाहारी पशुओं की संख्या बढ़ जाती है और उनके द्वारा वनस्पति (घास-झाडिया) अधिक मात्रा में खाई जाती है। जिससे पहाडियों पर वनस्पति का आवरण कम हो जाता है और मृदा अपरदन की तीव्रता बढ़ जाती है जिससे पारिस्थितिक असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न 2. पारितन्त्र क्या है ? पारितन्त्र के प्रकारों का वर्णन कीजिए ?
उत्तर : किसी क्षेत्र विशेष में किसी विशेष समूह के जीवाधारियों का भूमि, जल तथा वायु से ऐसा अन्तर्सम्बन्ध जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण श्रंखलाएं स्पष्ट रूप से समायोजित हो, उसे पारितन्त्र कहा जाता है।
पारितन्त्र के प्रकार :- पारितन्त्र मुख्यतः दो प्रकार के हैं:
(1) स्थलीय पारितन्त्र (Terrestrial)
(2) जलीय पारितन्त्र (Aquatic)
1. स्थलीय पारितन्त्र :- स्थालीय पारितन्त्र को पुनः बायोम में विभक्त किया जा सकता है। बायोम, पौधों व प्रणियों का एक समुदाय है, जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। वर्षा, तापमान, आर्द्रता व मिट्टी आदि बायोम की प्रकृति तथा सीमा निर्धारित करते हैं। विश्व के कुछ प्रमुख पारितन्त्र में वन, घास क्षेत्र, मरूस्थल, तट तथा टुण्डा प्रदेश शामिल है। इनके अलावा ज्वार-नदमुख, प्रवाल भित्ति, महासागरीय नितल भी इसमें शामिल है।
2. जलीय पारितन्त्र :- जलीय पारितन्त्र को समुद्री पारितन्त्र व ताजे जल के पारितन्त्र में बांटा जाता है। समुद्री पारितन्त्र में महासागरीय, ज्वारनदमुख, प्रवालभित्ति पारितन्त्र सम्मिलित है। ताजे जल के पारितन्त्र में झीलें, तालाबें सारिताएं, कच्छ व दलदल शामिल हैं।
प्रश्न 3. पारितन्त्र की संरचना की दृष्टि से जैविक व अजैविक कारकों का वर्णन करें?
उत्तर: अजैविक कारकों में तापमान, वर्षा, सूर्य का प्रकाश, आर्द्रता, मृदा की स्थिति व अकार्बनिक तत्व (कार्बन-डाई-ऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन, कैल्शियम फॉसफोरस, पोटेशियम आदि) सम्मिलित हैं। जैविक कारक में उत्पादक, उपभोक्ता (प्राथमिक, द्वितीयक तृतीयक) तथा अपघटक शामिल हैं। उत्पादकों में सभी हरे पौधे हैं, जो प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। प्राथमिक उपभोक्ताओं में शाकाहारी जन्तु जैसे हिरण, बकरी, चूहे और सभी पौधों पर मानव व अन्य जीव निर्भर हैं। द्वितीयक श्रेणी के उपभोक्ताओं में सभी मांसाहारी जैसे साँप, बाघ, शेर. मानव आदि शामिल हैं। तृतीयक उपभोक्ताओं में वो मांसाहारी जीव शामिल हैं जो दूसरे मांसाहारी जीवों पर निर्भर हैं, जैसे बाज और नेवला । अपघटक वे हैं जो मृत जीवों पर निर्भर हैं जैसे कौवा और गिद्ध तथा कुछ अन्य अपघटक जैसे बैक्टीरीया और सूक्ष्म जीवाणु जो मृतकों को अपघटित कर उन्हें सरल पदार्थों में परिवर्तित करते हैं।
प्रश्न 4. खाद्य-श्रृंखला क्या है ? इसके दो प्रकारों का उदाहरण सहित वर्णन करें?
उत्तर: किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र में समस्त जीव भोजन के लिए परस्पर एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। इस प्रकार समस्त जीव एक दूसरे पर निर्भर होकर भोजन श्रृंखला बनाते हैं इससे पारिस्थितिक तन्त्र में खाद्य ऊर्जा का प्रवाह होता है। खादय ऊर्जा का एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह ही खाद्य श्रृखला कहलाती है। इसमें तीन से पाँच स्तर होते है। हर स्तर पर ऊर्जा कम होती जाती है।
सामान्यतः दो प्रकार की खाद्य श्रंखला पाई जाती है।
(1) चराई खाद्य श्रृंखला
(2) अपरद खाद्य श्रृंखला
1. चराई खाद्य श्रृंखला पौधों (उत्पादक) से आरम्भ होकर मांसाहारी (तृतीयक उपभोक्ता) तक जाती है, जिसमें शाकाहारी मध्यम स्तर पर है। हर स्तर पर ऊर्जा का ह्रास होता है जिसमें श्वसन, उत्सर्जन व विघटन प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। इसमें काबनिक पदार्थ निकलते हैं।
2. अपरद खाद्य श्रृंखला चराई श्रृंखला से प्राप्त मृत पदार्थों पर निर्भर है और इसमें कार्बनिक पदार्थ का अपघटन सम्मिलत है।
प्रश्न 5. विश्व के बोरियल बायोम का तीन बिन्दुओं में वर्णन करें ?
उत्तर :
- ये 50° से 60° उत्तरी अक्षांशों में पाए जाते हैं। बोरियल बायोम या टैगा शंकुधारी वन, शीतल और छोटी अवधि की ग्रीष्म ऋतु तथा बहुत ठंडी और लम्बी शीत ऋतु वाले जलवायु विशेष प्रदेशों में पाए जाते हैं।
- यहाँ वर्षा मुख्यतः हिमपात के रूप में 40 से 100 से. मी. तक होती है।
- यहाँ मृदा की अपेक्षाकृत पतली परत पाई जाती है जोकि अम्लीय होती है तथा पोषक तत्वों में कमजोर ।
- ये वन सदाबहार कोणधारी वन कहलाते हैं तथा उनमें मुख्य वृक्ष पाइन, फर तथा स्यूस जोकि उत्तरी अमेरिका, यूरेशिया साइबेरिया में पाए जाते हैं उगते हैं।
प्रश्न 6. जैव भू-रासायनिक चक्र क्या है ? इसके प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर : विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि पिछले 100 करोड़ वर्षों में वायुमण्डल व जलमंण्ड की संरचना में रासायनिक घटकों का संतुलन एक जैसा अर्थात बदलाव रहित रहा है। रासायनिक ऊतकों से होने वाले चक्रीय प्रवाह से यह संतुलन बना रहता है । यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्वों के अवशोषण से आरंभ होता है और उनके वायु, जल व मिट्टी में विघटन से पुनः आरंभ होता है। ये चक्र मुख्यतः सौर ताप से संचलित होते हैं। जैव मंडल में जीवधारी व पर्यावरण के बीच में रासायनिक तत्वों के चक्रीय प्रवाह को जैव भू-रासायनिक चक्र कहा जाता है।
(1) गैसीय चक्र
(2) तलछटी चक्र
(1) गैसीय चक्र :- यहाँ पदार्थ का भंडार/स्त्रोत वायुमंडल व महासागर हैं।
(2) तलछटी चक्र :- यहाँ पदार्थ का प्रमुख भंडार पृथ्वी की भूपर्पटी पर पाई जाने वाली मिट्टी, तलछट व अन्य चट्टाने हैं।
प्रश्न 7. परिस्थितिक संतुलन क्या है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर: किसी पारितंत्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक साम्यता की अवस्था ही पारिस्थितिक संतुलन है। यह पारितंत्र में हर प्रजाति की संख्या के एक स्थायी संतुलन के रूप में तभी रह सकता है, जब किसी पारिस्थितिकी तंत्र में निवास करने वाले विभिन्न जीवों की सापेक्षिक संख्या में संतुलन हो। यह इस तथ्य पर निर्भर करता हैं कि कुछ जीव अपने भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर करते हैं उदाहरणतया घास के विशाल मैदानों के हिरण , जेबरा, भैंस आदि शाकाहारी जीव अधिक संख्या में होते हैं। दूसरी और बाघ व शेर जैसे मांसाहारी जीव अपने भोजन के लिए शाकाहारी जीवों पर निर्भर करते हैं और उनकी संख्या अपेक्षाकृत कम होती है अथवा इनकी संख्या नियंत्रित रहती है।
प्रश्न 8. जू प्लैंक्टन क्या है ?
उत्तर : सूक्ष्म जीव जो महासागरीय जल में पाए जाते है। जू प्लैंक्टन कहलाते हैं।
प्रश्न 9. डीट्रीटस पोषक क्या है ?
उत्तर : उपभोक्ता समूह जो चराई खाद्य श्रृंखला से प्राप्त मृत प्राणियों पर निर्भर करता है।
प्रश्न 10. सांख्यिक पिरामिड (Pyramid of Numbers) का चित्र बनाइए।
उत्तर :
- उत्पादक
- प्राथमिक उपभोक्ता
- गौण उपभोक्ता
- तृतीय उपभोक्ता
प्रश्न 11. नाइट्रोजन चक्र को समझाइए।
उत्तर :
- वायुमंडल में 79% नाइट्रोजन है। कुछ विशिष्ट जीव, मृदा, जीवाणु व नीले हरे शैवाल ही इसे प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण कर सकते है।
- स्वंतत्र नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया व संबंधित पौधों की जड़े तथा रंध्र वाली मृदा है जहाँ से वह वायुमंडल में पहुँचती है।
- वायुमंडल में चमकने वाली बिजली एवं अंतरिक्ष विकिरण द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है तथा हरे पौधों में स्वांगीकरण होता है।
- मृत पौधों तथा जानवरों के अपशिष्ट मिट्टी में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा नाइट्राइट में बदल जाते हैं।
- कुछ जीवाणु इन नाइट्रेट को दोबारा स्वंतत्र नाइट्रोजन में परिवर्तित करने में योग्य होते हैं इस प्रक्रिया को डी-नाइट्रीकरण कहते हैं।
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